जानिए क्यों आता हैं आपको गुस्सा, क्या कहती है कुंडली?
लखनऊ। जीवन एक सिक्के की तरह है, जिसके दो पहलू है, सुख-दुःख। जब हमारे अनुकूल चीजें होती रहती है तो हमें सुख की अनुभूति होती है और जब वहीं चीजें हमारी सोंच के अनुसार नहीं होती है तो हम दुःखी हो जाते है। दुःख क्रोध का पर्याय है। दुःखी व्यक्ति के अन्दर क्रोध व्यापक रूप में विद्यमान रहता है। किन्तु कुछ लोगों को बात-बात पर गुस्सा आता है आखिर ऐसा क्यों ? कहीं इसका कारण आपकी कुण्डली में बैठे ग्रह तो नहीं। ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाये तो क्रोध के मुख्य कारण मंगल, सूर्य, शनि, राहु तथा चंद्रमा होते हैं। सूर्य सहनशक्ति है तो मंगल अक्रामक और चंद्रमा शारीरिक और भावनात्मक जरूरतों का प्रतीक। यदि जन्मकुंडली में सूर्य और चंद्रमा, मंगल ग्रह एक-दूसरे के साथ किसी रूप में सम्बद्ध है तो व्यक्ति के अन्दर क्रोध अधिक रहता है।
क्रोध का प्रभाव भी घटता-बढ़ता है
सामान्य तौर पर एक छोटा सा वाकया भी, दीर्घ समय तक क्रोध को जीवित रख सकता है। मंगल ग्रह का शनि से युति गुस्से को नियंत्रित करने में असमर्थ होती है। यह अत्यधिक विघटन का भाव पैदा कर सकते हैं। जिन व्यक्तियों का मंगल अच्छा नहीं होता है, उनमें क्रोध और आवेश की अधिकता रहती है। ऐसे व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर भी उबल पड़ते हैं। अन्य व्यक्तियों द्वारा समझाने का प्रयास भी क्रोध के आगे बेकार हो जाता है। क्रोध और आवेश के कारण ऐसे लोगों का खून एकदम गर्म हो जाता है। लहू की गति (रक्तचाप) के अनुसार क्रोध का प्रभाव भी घटता-बढ़ता रहता है।
क्रोध अग्नि तत्व का द्योतक है
- राहू के कारण जातक अपने आर्थिक वादे पूर्ण नहीं कर पाता है। इस कारण भी वह तनाव और मानसिक संत्रास का शिकार हो जाता है।
- क्रोध अग्नि तत्व का द्योतक है। अग्नि तत्व के साथ संबंधित ग्रहों और राशियों के नकारात्मक या विपरीत होने से संबंधित व्यक्ति प्रतिकूल ग्रहों की अवधि के दौरान, अत्यधिक क्रोध करता है।
- मंगल के साथ नीच चंद्रमा घरेलू शांति के लिए शुभ नहीं होता है। दूसरे, तीसरे और छठे भाव के स्वामी अगर मंगल व शनि के साथ बैठे है तो जातक के क्रोधी स्वभाव के कारण कैरियर में गंभीर समस्याओं का सामना कराता है।
झगड़ालू प्रवृत्ति
वे सभी जातक जिनकी कुंडली मे मंगल राहु और शनि ज्यादा प्रभावित होते है वो लोग अधिक झगड़ालू प्रवृत्ति के होते है। यदि मंगल के साथ राहु होगा तो ज्यादा झगड़ा करते है, कयोंकि राहु शरीर मे गर्मी बढ़ाता है । यदि कुंडली में शनि कमजोर होगा तो भी झगड़े बहुत होते है। यदि चंद्रमा लग्न में या तीसरे स्थान में मंगल, शनि या केतु के साथ युत हो तो क्रोध के साथ चिडचिडापन देता है। वहीं यदि सूर्य मंगल के साथ योग बनाये तो अहंकार के साथ क्रोध का भाव आता है।
क्रोध उत्पन्न हो सकता है
मंगल शनि की युति क्रोध को जिद के रूप बदल देती है। राहु के लग्न, तीसरे अथवा द्वादश स्थान में होने पर काल्पनिक अहंकार के कारण अपने आप को बडा मानकर अंहकारी बनाता है जिससे क्रोध उत्पन्न हो सकता है।
उपाय
- चांदी के गिलास में जल व दूध का सेंवन करें।
- 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- गणेश स्त्रोत का नियमित पाठ करें।
- गले में या कनिष्ठका उॅगली में बसरे का मोती चाॅदी में धारण करें।
- रूद्राष्टक का पाठ करें व सोमवार का उपवास रखें।
- अगर आप मांगलिक है तो चण्डिका स्त्रोत का पाठ अवश्य करें।
- अनुलोम-विलोम व भ्रामरी प्रणायाम करें।
- क्रोधी बच्चों को गले में अर्द्ध चन्द्र बनाकर पहनायें।
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