कब ठीक होगी बीमारी, प्रश्न कुंडली खोल देगी राज
प्रत्येक व्यक्ति की जीवन में प्रमुख दो ही चाहत होती है। एक तो उसके पास खूब धन-पैसा हो और दूसरा वह हमेशा स्वस्थ बना रहे। इन दो अमूल्य चीजों को प्राप्त करने के लिए वह दिन रात प्रयास करता रहता है, लेकिन दोनों एक साथ कम ही लोगों के पास आ पाती है। धन कमाने की चाहत में व्यक्ति अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना कम कर देता और एक दिन अचानक कोई बड़ा रोग उसके सामने आ खड़ा होता है और फिर उसका वही कमाया हुआ धन रोग के उपचार में खर्च होने लगता है। इसलिए व्यक्ति को धन अर्जित करने के साथ-साथ सेहत का खयाल रखना अत्यंत आवश्यक है।
जब व्यक्ति रोग ग्रस्त होता है, तब वह डॉक्टरों के साथ-साथ ज्योतिषियों के पास भी अपनी कुंडली लेकर पहुंचता है कि आखिर वह कब ठीक होगा। ज्योतिष की प्रत्येक विधा में मनुष्य के हर प्रश्न का उत्तर है। ऐसी ही एक विधा है प्रश्न कुंडली। कई लोगों के पास अपनी जन्म कुंडली नहीं होती है, ऐसे में उनकी सहायक बनती है प्रश्न कुंडली। प्रश्न कुंडली वह होती है जब प्रश्न पूछने वाला व्यक्ति किसी ज्योतिषी से अपने सवाल का जवाब पाने पहुंचता है और प्रश्नकर्ता के प्रश्न पूछने के समय के आधार पर कुंडली बनाई जाती है। जिस समय प्रश्न पूछा गया है ठीक उस समय को लेकर कुंडली बनाई जाती है और उसके आधार पर उत्तर दिया जाता है।
प्रश्न लग्न के आधार पर फल कथन
1.
प्रश्न
कुंडली
के
लग्न
स्थान
यानी
पहले
घर
में
पापग्रह
मंगल,
शनि
की
राशि
हो
या
लग्न
में
मंगल,
शनि,
राहु,
केतु
हो
तथा
आठवें
घर
में
चंद्रमा
या
कोई
पाप
ग्रह
हो
तो
रोगी
के
स्वस्थ
होने
की
संभावना
कम
ही
होती
है
और
मृत्यु
तुल्य
कष्ट
भोगता
है।
2.
प्रश्नलग्न
कुंडली
में
पापग्रह
आठवें
या
12वें
स्थान
में
हों
तथा
चंद्रमा
5,
6,
7,
8वें
स्थान
में
हो
तो
रोगी
की
शीघ्र
मृत्यु
हो
जाती
है।
चंद्रमा
पहले
स्थान
में,
सूर्य
सातवें
स्थान
में
और
मंगल
मेष
राशि
में
चंद्रमा
की
दृष्टि
में
हो
तो
रोगी
ठीक
नहीं
होता।
नक्षत्र
के
अनुसार
रोग
की
अवधि
पता
करें
नक्षत्र
के
आधार
पर
भी
रोगी
के
ठीक
होने
या
न
होने
का
पता
लगाया
जा
सकता
है।
इसके
लिए
यह
देखना
जरूरी
है
कि
व्यक्ति
का
रोग
कब
शुरू
हुआ।
यानी
पहली
बार
कब
उसे
परेशानी
आई।
उस
समय
जो
नक्षत्र
था
उसके
आधार
पर
रोगी
की
स्थिति
बताई
जाती
है।
1.
स्वाति,
ज्येष्ठा,
पूर्वाषाढ़ा,
पूर्वाभाद्रपद,
पूर्वाफाल्गुनी,
आर्द्रा
और
अश्लेषा
में
जिस
व्यक्ति
को
रोग
प्रारंभ
होता
है
उसकी
मृत्यु
होती
है।
2.
रेवती
और
अनुराधा
में
रोग
प्रारंभ
हो
तो
अधिक
दिन
तक
रोग
बना
रहता
है
और
बड़े
कष्ट
देने
के
बाद
जाता
है।
3.
भरणी,
श्रवण,
शतभिषा
और
चित्रा
में
रोग
हो
तो
11
दिन
तक
रोग
रहता
है।
4.
विशाखा,
हस्त
और
धनिष्ठा
में
हो
तो
15
दिन
तक
रोग
रहता
है।
5.
मूल,
कृतिका
और
अश्विनी
में
होने
वाली
बीमारी
नौ
दिन
तक
परेशान
करती
है।
6.
मघा
में
हो
तो
7
दिन
और
मृगशिरा,
उत्तराषाढ़ा
में
हो
तो
एक
महीने
तक
रोग
बना
रहता
है।
7.
अन्य
जो
नक्षत्र
बच
गए
हैं
उनमें
होने
वाला
रोग
जल्दी
चला
जाता
है।
8.
भरणी,
अश्लेषा,
मूल,
कृतिका,
विशाखा,
आर्द्रा
और
मघा
नक्षत्र
में
किसी
को
सर्प
कार्ट
तो
उसकी
मृत्यु
होती
है।