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जानिए क्या हैं रज्जू योग, मूसल योग और नल योग?

By Pt. Gajendra Sharma
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Moosal, Rajju and Nal Yoga: अक्सर हम अपने कुटुंब में देखते हैं किकोई एक व्यक्ति अतुलनीय धन-संपत्ति का मालिक होता है, जबकिउसी परिवार के अन्य लोग गरीब या अत्यंत सामान्य जीवन वाले होते हैं। कोई एक व्यक्ति साधारण कार्य करके भी बहुत सी संपत्ति अर्जित कर लेता है और परिवार या कुटुंब के बाकी लोग ईमानदारी, सच्चाई से खूब मेहनत करने के बाद भी वो सब प्राप्त नहीं कर पाते हैं। इसका जवाब ज्योतिष के प्रमुख ग्रंथ लघुजातकम के नाभसयोगाध्याय में मिलता है।

जानिए क्या हैं रज्जू योग, मूसल योग और नल योग?

चरभवनादिषु सर्वेराश्रयजा रज्जुमुसलनलयोगा: ।
ईष्र्युर्मानी धनवान् क्रमेण कुलविश्रुता: सर्वे: ।।

लघुजातकम के इस श्लोक के अनुसार जिस जातक के जन्म के समय सातों ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि यदि चर राशि में हों तो रज्जू योग, सातों ग्रह स्थिर राशि में हों तो मूसल योग और द्विस्वभाव राशि में हो तो नलयोग का निर्माण होता है। इन तीनों योग को आश्रय योग कहा जाता है।

  • चर राशि : मेष, कर्क, तुला, मकर
  • स्थिर राशि : वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ
  • द्विस्वभाव राशि : मिथुन, कन्या, धनु, मीन
  • रज्जू योग और प्रभाव : जिस जातक की जन्मकुंडली में जन्मकालिक सातों ग्रह यदि 1, 4, 7, 10वीं राशि में हों तो रज्जू योग का निर्माण होता है। इस योग के प्रभाव से जातक अपने संपूर्ण कुल में विख्यात होता है। इसके पास कुल के अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक संपत्ति होती है। अनेक स्रोत से धन अर्जित करता है और समस्त भौतिक सुख-सुविधाएं इसके पास रहती है। लेकिन इस योग के प्रभाव से जातक ईष्र्यालु प्रकृति का हो जाता है। इसके पास सबकुछ होते हुए भी इसे दूसरों की संपत्ति से ईष्र्या होती है और बार-बार उसकी बराबरी करने का प्रयास करता है। ऐसा जातक नाते-रिश्तेदारों की परवाह नहीं करता और फलस्वरूप सब इससे दूर हो जाते हैं।
  • मूसल योग और प्रभाव : जिस जातक की जन्मकुंडली में जन्मकालिक सातों ग्रह यदि स्थिर राशि में हों तो मूसल योग का निर्माण होता है। मूसल योग में उत्पन्न जातक अपने कुल में विख्यात, प्रतिष्ठित और स्वाभिमानी होता है। धन-संपत्ति इसके पास भी रहती है, लेकिन यह परिवार और कुटुंब के लोगों को साथ लेकर चलता है। अपनी संपत्ति का कभी घमंड नहीं करता। इस जातक को अन्य प्रियजन पसंद करते हैं और उसका सम्मान करते हैं।
  • नल योग और प्रभाव : जिस जातक की जन्मकुंडली में जन्मकालिक सातों ग्रह यदि द्विस्वभाव राशि में हों तो नल योग का निर्माण होता है। इस योग में उत्पन्न जातक अपने कुल में धनवान होता है। इसमें रज्जू और मूसल दोनों योगों के कुछ-कुछ गुणों का समावेश होता है। यह जातक अवसरवादी भी होता है। अर्थात् जहां अपना लाभ दिखा वैसा हो जाता है, लेकिन धन संपत्ति इसके पास भी खूब होती है। यह अपने कुछ विशेष प्रियजनों की सहायता भी करता है लेकिन कभी-कभी अपने ऐश्वर्य का दंभ भरते हुए अन्य लोगों को छोटा समझने की गलती कर बैठता है।

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English summary
what is Moosal, Rajju and Nal Yoga, read all about this.
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