Palmistry: उच्च पद दिलाता है त्रिभुज के भीतर त्रिभुज
नई दिल्ली। हस्तरेखा शास्त्र जातक की हथेली पर बनी हर सूक्ष्म रेखा, निशान या चिन्ह का वृहद् अध्ययन करता है। हथेली की रेखाओं के बारे में तो हर व्यक्ति थोड़ी बहुत जानकारी रखता है, पर हथेली पर कुछ ऐसे चिन्ह भी होते हैं, जो अपनी उपस्थिति से व्यक्ति के भाग्य में बड़ा उलटफेर कर सकते हैं।
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इनकी जानकारी कम ही लोगों को होती है और विशेषज्ञ ही इनकी उपस्थिति, स्थान, आकार-प्रकार आदि को देखकर किसी जातक के भाग्यफल की सही भविष्यवाणी कर सकते हैं। इस संदर्भ में हथेली में 8 प्रकार के चिन्ह पाए गए हैं। इन्हीं में से एक है त्रिभुज।
आइए आज इसी पर चर्चा करते हैं...
त्रिभुज का निर्माण
हथेली में यदि कहीं पर भी तीन तरफ से आकर रेखाएं आपस में मिलती हों तो त्रिभुज का निर्माण होता है। हथेली पर ये चिन्ह अलग-अलग स्थानों और आकार के पाए जाते हैं एवं उसी के अनुरूप व्यक्ति के भाग्य को प्रभावित करते हैं। यह सर्वमान्य तथ्य है कि हथेली पर बना त्रिभुज जितना स्पष्ट, निर्दोष और गहरी रेखाओं का होगा, वह उतना ही अधिक शुभ फलदायी होगा। इसी प्रकार त्रिभुज का आकार जितना बड़ा होगा, वह उतना ही अधिक लाभदायक और सौभाग्यशाली होता है। इसके विपरीत अगर त्रिभुज कटा-फटा या दूषित हो तो वह व्यक्ति के नकारात्मक गुणों का परिचय देता है।
क्या जानकारी देता है...
- हथेली के मध्य भाग में त्रिभुज की उपस्थिति जातक के भाग्यवान, आस्तिक और उन्नतिशील होने का परिचय देती है। ऐसे व्यक्ति की शारीरिक एवं मानसिक वृत्तियां शुद्ध होती हैं, उसका स्वभाव शांत और मधुर होता है और वह समाज में सम्मान पाता है।
- हथेली पर बना बड़ा त्रिभुज बताता है कि व्यक्ति का हृदय विशाल है, वहीं संकीर्ण और अस्पष्ट त्रिभुज उसकी संकीर्ण मनोवृत्ति दर्शाता है। यदि हथेली में बने बड़े त्रिभुज के अंदर एक छोटा त्रिभुज और बन जाए, तो वह व्यक्ति निश्चित ही उच्च पद प्राप्त करता है।
- शुक्र पर्वत पर निर्मित त्रिभुज व्यक्ति के सरल, मधुर एवं रसिक स्वभाव के बारे में बताता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन उच्च स्तर का होता है और वह शानो शौकत से रहना पसंद करता है।
- मंगल पर्वत पर त्रिभुज हो तो व्यक्ति विशेषकर युद्ध क्षेत्र में साहसी और धैर्यवान होता है। वीरता में वह राष्ट्रीय पुरस्कार पाता है। लेकिन यदि यह त्रिकोण दूषित हो तो वह व्यक्ति निर्दयी और कायर होता है।
- राहु क्षेत्र में बना त्रिभुज व्यक्ति को यौवनकाल में ही उच्च पद दिलवाता है। ऐसा व्यक्ति राजनीति के क्षेत्र में अपार सफलता पाता है। लेकिन यदि राहु क्षेत्र में दो त्रिभुज हों तो ऐसा व्यक्ति भाग्यहीन होता है।
- गुरू पर्वत पर निर्दोष त्रिभुज का होना व्यक्ति का धूर्त कूटनीतिज्ञ और अपनी उन्नति की चाह रखने वाला होना बताता है। यदि यह त्रिभुज दोषयुक्त हो तो वह जातक घमंडी व स्वार्थी होता है।
- शनि पर्वत पर त्रिभुज होने पर व्यक्ति तंत्र मंत्र के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करता है। यदि यह त्रिभुज दूषित हो, तो व्यक्ति बड़ा ठग और धोखेबाज होता है।
- सूर्य पर्वत पर त्रिभुज का होना जातक के धार्मिक, परोपकारी तथा परहितकारी होने का प्रमाण देता है। इस स्थान पर सदोष त्रिभुज होने पर व्यक्ति समाज में निंदा, जीवन में असफलता और भाग्यवृद्धि में बाधा पाता है।
- बुध पर्वत पर त्रिभुज के चिन्ह वाला व्यक्ति सफल वैज्ञानिक बनता है और साथ ही व्यापार में विदेशों में भी सफलता पाता है। इस स्थान पर दोषयुक्त त्रिभुज होने पर व्यक्ति अपनी संचित पूंजी भी समाप्त कर देता है और व्यापार में दिवालिया होकर समाज में बदनामी पाता है।
- हस्तरेखाओं पर त्रिभुज की उपस्थिति के अनेक शुभ- अशुभ फल होते हैं। यदि आयु रेखा पर त्रिभुज हो तो व्यक्ति दीर्घायु होता है। मस्तिष्क रेखा पर त्रिभुज व्यक्ति को उच्च शिक्षा और तेज बुद्धि का फल देता है। हृदय रेखा पर त्रिभुज व्यक्त् िके बुढ़ापे में भाग्योदय की ओर संकेत करता है। स्वास्थ्य रेखा पर त्रिभुज होने पर व्यक्ति श्रेष्ठ स्वास्थ्य पाता है। सूर्य रेखा पर बना त्रिभुज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाता है।
- त्रिभुज के मध्य भाग में बना कोई भी चिन्ह विशेष महत्व रखता है। यदि हथेली पर त्रिभुज के अंदर क्रॉस का चिन्ह हो, तो व्यक्ति दूसरों को दुख देना वाला होता है। यदि त्रिभुज के मध्य में क्रॉस हो तो व्यक्ति नेत्रहीन होता है। त्रिभुज के अंदर तारे का चिन्ह होने पर व्यक्ति प्रेम में बदनाम होता है। त्रिभुज के अंदर वृत्त का चिन्ह हो तो व्यक्ति प्रेमिका से धोखा पाता है।
- हथेली की हर रेखा की तरह त्रिभुज के अध्ययन का क्षेत्र अत्यंत विशाल है और उसके अनुरूप परिणाम भी दूरगामी हैं। उपर्युक्त विवरण संपूर्ण तो नहीं है, किंतु हस्त रेखा में रूचि रखने वाले जातकों की ज्ञानवृद्धि में सहयोगी अवश्य है।
मंगल पर्वत पर
शनि पर्वत
अनेक शुभ- अशुभ फल