Vikram Samvat 2076 : नव संवत्सर का राजा होगा शनि, मंत्री सूर्य
नई दिल्ली। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 6 अप्रैल शनिवार से नव संवत्सर विक्रम संवत 2076 और शालिवाहन शक संवत 1941 प्रारंभ हो रहा है। आचार्य वराहमिहिर के अनुसार चैत्रीय चंद्रवर्षारंभ में रूद्रविंशति के अंतर्गत परिधावी नामक संवत्सर प्रारंभ होगा। नव संवत्सर का राजा शनि और मंत्री सूर्य होगा। राजा शनि होने के कारण यह वर्ष भारी उठापटक वाला रहेगा। शनि न्यायाधिपति भी हैं इसलिए इस साल केवल वे ही लोग मौज में रहेंगे जो सत्य के मार्ग पर चलेंगे, दूसरों का अहित नहीं करेंगे और सदैव न्याय प्रिय बातें और सद्व्यवहार करेंगे। बुरे कर्म, किसी के साथ धोखा, स्त्रियों का अपमान, अत्याचार, चोरी और पापकर्म करने वाले लोगों को इस साल शनिदेव बिलकुल भी नहीं बख्शेंगे।
राजा शनि का फल
नव संवत्सर का राजा शनि है इसलिए प्रजा को कई तरह के कष्टों से गुजरना होगा। परेशानी उन्हें ही होगी जो न्याय का मार्ग छोड़ेंगे। कुछ क्षेत्रों में भारी वर्षा तो कहीं अल्पवृष्टि के कारण फसलों और जनजीवन को नुकसान पहुंचेगा। अन्न उत्पादन प्रभावित होगा। महंगाई में वृद्धि होगी। संक्रामक रोग बढ़ेंगे। राजनीतिक मामलों में देश आंतरिक मोर्चों पर जूझता रहेगा लेकिन विश्व मंच पर भारत की प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
यह भी पढ़ें:Vikram Samvat 2076: जानिए विक्रम संवत् 2076 का फल
यह रहेगी नए संवत की पूरी परिषद
- राजा शनि - राष्ट्रपति, राष्ट्राध्यक्ष
- मंत्री सूर्य - प्रधानमंत्री, शासनाध्यक्ष
- सस्येश मंगल - वर्षा ऋतु की फसलों का स्वामी
- धान्येश चंद्र - शरद ऋतु की फसलों का स्वामी
- मेघेश शनि - बादलों का स्वामी, बारिश पर आधिपत्य
- रसेश गुरु - रसभरे पदार्थों का स्वामी
- नीरसेश मंगल - धातुओं, वस्त्रों का स्वामी
- फलेश शनि - समग्र फलों का स्वामी
- धनेश मंगल - धन एवं कोष का स्वामी
- दुर्गेश शनि - रक्षा मंत्री, सेनानायक
10 में से 8 पद पाप ग्रहों को
इस वर्ष परिषद के 10 अधिकारियों में से आठ पर पापग्रहों का अधिकार है। जिनमें शनि के अधीन चार, मंगल के अधीन तीन और सूर्य के अधीन एक पद है। ऐसी स्थिति कम ही बनती है इसलिए यह वर्ष अग्निपरीक्षा वाला वर्ष रहेगा। खासकर पड़ोसी राज्यों से मतभेद खुलकर सामने आएंगे। युद्ध जैसे हालात बनेंगे।
यह भी पढ़ें: Raj Rajeshwar Yoga: क्या आपकी कुंडली में है राज राजेश्वर योग?