क्या आप तनाव में रहते हैं, कहीं वास्तु दोष तो कारण नहीं?
वास्तु शास्त्र की वजह से मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है।
नई दिल्ली। हम अपने आसपास, रिश्तेदारों में, मित्रों के यहां, परिचितों में मोटे तौर पर दो तरह के परिवार देखते हैं। एक तो वे परिवार जिनमें खुशहाली रहती है। परिवार के सभी सदस्य मिलजुलकर रहते हैं, सभी के बीच आपस में अच्छा प्रेम और तालमेल रहता है। और दूसरे वे परिवार जिनमें लगभग हर दिन लड़ाई-झगड़ा होता रहता हो, परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव बना रहता है, और उस घर में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति तनाव में रहता हो।
क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है कि एक परिवार खुशहाल और दूसरा हमेशा तनाव में रहता है।
इसका कारण वास्तु दोष भी हो सकता है। वास्तुशास्त्र की मूल आधार दिशाएं होता है। यह बताता है कि आपका घर कैसा बनाया जाए। किस दिशा में मुख्य दरवाजा हो, बेडरूम किधर हो, किचन किस दिशा में हो। टॉयलेट कहां बनाए जाए। मकान बनाते समय जब इन्हीं दिशाओं का सिद्धांत गड़बड़ा जाता है, तो उस घर में रहना परेशानी भरा हो जाता है। कभी कोई सदस्य बीमार बना रहता है, तो कभी कोई मानसिक तनाव में रहता है। यदि परिवार के सदस्य मानसिक तनाव में हैं तो प्रत्येक कार्य रूक सा जाता है। यदि वास्तु दोष ठीक कर लिए जाएं तो घर में पॉजिटिव एनर्जी का प्रवाह बढ़ता है और मानसिक तनाव दूर होता है।
सबसे पहले हम जानते हैं मानसिक तनाव का कारण क्या है?
1. वास्तु शास्त्र में उत्तर और पूर्व को दैवीय दिशाएं माना गया है और इनके मध्य की दिशा ईशान कोण कहलाती है। इन तीनों दिशाओं को साफ-स्वच्छ, खुली और हवादार रखना चाहिए। इन दिशाओं की दीवारों पर लाल और पिंक रंग कभी न करें। पुराने समाचार पत्र, डस्टबिन, भारी वस्तुएं, विद्युतीय उपकरण न रखें। टॉयलेट और किचन भी इन दिशाओं में न हो। यदि ऐसा कर रखा है तो मानसिक तनाव बना रहेगा।
उत्तर-पश्चिम दिशा में बेडरूम नहीं होना चाहिए।
2. पश्चिम और उत्तर-पश्चिम दिशा में बेडरूम नहीं होना चाहिए। इससे आप भावनात्मक रूप से दबाव महसूस करते रहेंगे। किसी काम में मन नहीं लगेगा। सिर भारी रहेगा और अजीब का तनाव महसूस होगा। मन में नकारात्मक विचार आएंगे। दांपत्य जीवन में भी इस दिशा का बेडरूम तनाव पैदा करता है।
3. घर का मुख्य दरवाजा आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में कभी न रखें। इससे परिवार में बेवजह की परेशानी, तनाव, झगड़े बने रहेंगे।
उत्तर-पश्चिम दिशा में बेडरूम नहीं होना चाहिए।
4. घर का उत्तर-पश्चिमी कोना यानी वायव्य कोण बढ़ा हुआ नहीं होना चाहिए। ऐसा होने से उस घर में रहने वाले बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता। वे पढ़ाई को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं और इसका असर उनके रिजल्ट पर होता है।
5. दिमागी शांति के लिए अच्छी नींद होना जरूरी है। इसलिए यदि सोते समय आपका सिर उत्तर या पश्चिम दिशा में रहता है तो इसे तुरंत बदलें। सोते समय सिर दक्षिण दिशा हो तो बेहतर है।
पॉजिटिव एनर्जी के लिए क्या करें?
1. उत्तर या पूर्व दिशा में ओम या स्वस्तिक का चिन्ह लगाएं। इससे घर में सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होगा और मानसिक तनाव से छुटकारा मिलेगा। दिमाग के ब्लॉकेज खुलेंगे।
2. घर की पूर्वी दिशा में स्थित खिड़की या दरवाजा जहां सुबह सूरज की रोशनी आती हो, वहां एक क्रिस्टल बॉल रखें। धूप क्रिस्टल बॉल पर पड़ना चाहिए। इससे पूरे घर में सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होगा।
कोण या दक्षिण दिशा में रखें।
3.
भारी
और
विद्युतीय
उपकरण,
वॉशिंग
मशीन,
फ्रिज
आदि
आग्नेय
कोण
या
दक्षिण
दिशा
में
रखें।
4.
दक्षिणी
दीवार
को
लाल,
कत्थई
रंग
में
रंगें।
दक्षिण
दिशा
में
एक
लाल
बल्ब
लगाएं।
5.
पूरे
घर
को
साफ-स्वच्छ
रखें।
सुगंधित
धूप-अगरबत्ती
प्रतिदिन
लगाएं।
ताजे,
खुशबूदार
फूल
प्रतिदिन
गुलदस्ते
में
लगाएं।