वारुणी योग: 2 अप्रैल को बन रहा है अत्यंत दुर्लभ और शुभ योग, मिलेगी निश्चित सफलता
नई दिल्ली। 2 अप्रैल 2019 मंगलवार को अत्यंत दुर्लभ और शुभ, पुण्यकारक योग वारुणी योग बन रहा है। इसे वारुणी पर्व भी कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष में इस योग को अत्यंत दुर्लभ माना गया है। वारुणी योग चैत्र माह में बनने वाला एक अत्यंत पुण्यप्रद महायोग है। इसका वर्णन विभिन्न पुराणों में भी मिलता है। यह महायोग तीन प्रकार का होता है, चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को वारुण नक्षत्र यानी शतभिषा हो तो वारुणी योग बनता है। चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिषा नक्षत्र और शनिवार हो तो महावारुणी योग बनता है और चैत्र कृष्ण त्रयोदशी को शतभिषा नक्षत्र, शनिवार और शुभ नामक योग हो तो महा-महावारुणी योग बनता है। इस योग में गंगा आदि तीर्थ स्थानों में स्नान, दान और उपवास करने से करोड़ों सूर्य-चंद्र ग्रहणों में किए जाने वाले जप-अनुष्ठान के समान शुभ फल प्राप्त होता है।
इस कारण बना वारुणी योग
2 अप्रैल, मंगलवार को वारुणी योग प्रातः 8 बजकर 38 मिनट से प्रारंभ होगा। इस दिन प्रातः 8.38 बजे से त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होगी। इस दिन शतभिषा नक्षत्र है जो एक दिन पूर्व रात्रि 9.54 से प्रारंभ हो जाएगा और 2 अप्रैल को रात्रि 12.48 बजे तक रहेगा। इस दिन शुभ नामक योग भी है जो रात्रि 9.09 बजे तक रहेगा। तिथि, नक्षत्र और माह के संयोग से बने वारुणी योग का वर्णन स्कंद पुराण, नारद पुराण, शिव पुराण समेत अनेक पुराणों में मिलता है।
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क्या करें वारुणी योग में
- वारुणी योग में गंगा, यमुना, नर्मदा, कावेरी, गोदावरी समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान का बड़ा महत्व है।
- वारुणी योग में हरिद्वार, इलाहाबाद, वाराणसी, उज्जैन, रामेश्वरम, नासिक आदि तीर्थ स्थलों पर नदियों में स्नान करके भगवान शिव की पूजा की जाती है। इससे जीवन में समस्त प्रकार के सुख, ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं।
- वारुणी योग के दिन भगवान शिव की पूजा, अभिषेक से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- इस दिन मंत्र जप, अनुष्ठान, यज्ञ, हवन आदि करने का बड़ा महत्व है। पुराणों का कथन है कि इस दिन किए गए एक यज्ञ का फल हजारों यज्ञों के समान मिलता है।
- यदि पवित्र नदियों में स्नान करने का संयोग ना बन पाए तो अपने घर में ही पवित्र नदियों का जल डालकर स्नान करें।
किन कार्यों में लाभ
वारुणी
योग
में
शिक्षा
से
संबंधित
कार्य
प्रारंभ
किए
जाते
हैं।
पढ़ाई
शुरू
करना,
कोई
ट्रेनिंग,
कोर्स
शुरू
करने
से
सफलता
मिलना
निश्चित
होता
है।
नया
काम
धंधा
व्यापार
शुरू
करने
के
लिए
वारुणी
योग
अत्यंत
शुभ
माना
गया
है।
इस
योग
में
कार्य
प्रारंभ
करने
से
कभी
पराजय,
असफलता
का
सामना
नहीं
करना
पड़ता
है।
वारुणी
योग
में
नई
फैक्ट्री
शुरू
कर
सकते
हैं।
किसी
नए
प्रोजेक्ट
का
कार्य
शुरू
कर
सकते
हैं।
वारुणी
योग
में
नया
मकान,
दुकान,
प्लॉट
खरीदना
शुभ
रहता
है।
इससे
उनमें
उत्तरोत्तर
वृद्धि
होने
लगती
है।
वारुणी
योग
में
नया
स्कूल,
कॉलेज,
कोचिंग
इंस्टीट्यूट
खोलना
शुभ
होता
है।
वारुणी
योग
में
यदि
विवाह
की
बात
की
जाए
तो
रिश्ता
पक्का
होने
में
कोई
संदेह
नहीं
रहता
है।
इस
दिन
शिवलिंग
पर
गंगाजल
चढ़ाएं,
बेलपत्र
की
माला
अर्पित
करें।
शिवलिंग
पर
एक
जोड़ा
केला
चढ़ाएं
और
वहीं
बैठकर
शिव
पंचाक्षरी
मंत्र
का
जाप
करें।
इससे
शीघ्र
विवाह
का
मार्ग
खुलता
है।
किसी
विशेष
मंत्र
की
सिद्धि
करना
हो
तो
इस
दिन
जरूर
करें,
मंत्र
जल्दी
सिद्ध
होता
है।
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