हमेशा शुभ नहीं होता अचानक दौलत, शोहरत और औरत का मिलना
नई दिल्ली। धन-संपत्ति, प्रतिष्ठा, ख्याति और जीवन में औरत का सुख किसी किसी जातक को अचानक मिल जाता है। कई लोग इन सबको पाने के लिए पूरा जीवन लगा देते हैं, लेकिन कुछ लोगों को एकाएक ही ये सब मिलने लगता है। जब किसी को अचानक ये सब मिले तो जरूरी नहीं कि उसका भाग्योदय हो गया है या उसकी किस्मत चमक उठी है। कभी-कभी यह जातक को गर्त में धकेलने के लिए भी होता है। आइए इसके बारीकी से समझते हैं।
दौलत, शोहरत और औरत अचानक मिले तो...
जब किसी जातक को दौलत, शोहरत और औरत अचानक मिले तो इसका दूसरा पक्ष भी हो सकता है। यह जातक के स्वऋण से पीडि़त होने का संकेत भी होता है। लाल किताब ज्योतिष के अनुसार जातक अपने जीवन में अनेक प्रकार के ऋणों से ग्रसित होता है। इनमें पितृऋण, मातृऋण, स्वऋण, पत्नीऋण, रिश्तेदारीऋण, जालिमानाऋण, कुदरतीऋण और अजन्माऋण होता है। इनमें से जातक जब स्वऋण से ग्रसित होता है तो उसे अचानक कहीं से खूब सारा धन-संपत्ति प्राप्त हो जाती है। रातोरात उसकी ख्याति चारों ओर फैल जाती है और उसके जीवन में खूबसूरत स्त्रियों की भरमार हो जाती है। यह सब 12 वर्ष से अधिक तक स्थायी बना रहे तो यह जातक के भाग्योदय का संकेत है, लेकिन 12 वर्ष से पहले ये सब उत्तरोत्तर घटता जाए तो समझिए कि जातक को स्वऋण के प्रभाव से यह सब प्राप्त हुआ था जो धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा।
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कैसे बनता है स्वऋण
स्वऋण कैसे बनता है यह जातक की जन्मकुंडली में ग्रहों को देखकर पता किया जा सकता है। जब किसी जातक की जन्मकुंडली में सूर्य पांचवें घर में हो और उसी में शनि या शुक्र आ जाएं तो वह स्वऋण से पीडि़त होता है। जिसे स्वऋण लगता है वह अतुल संपत्ति हासिल करता है। उसका मान-सम्मान और ख्याति दूर-दूर तक फैलती है और उसे पलक झपकते ही दौलत, शोहरत और औरतें मिल जाती हैं।
क्यों लगता है स्वऋण
लाल किताब के अनुसार स्वऋण अक्सर उस व्यक्ति को लगता है जो नास्तिक होता है। घर-परिवार, कुल की परंपराओं को नहीं मानता हो। जिस जातक के घर के तहखाने में कोई अग्निकुंड बना हुआ हो या घर की छत से होकर सूर्य की रोशनी घर के भीतर आ रही हो।
स्वऋण का दुष्प्रभाव
स्वऋण के दुष्प्रभाव से जिस तरह जातक को अचानक सारे सुख मिलते हैं उसी तरह अचानक किसी भी दिन ये सारे सुख उससे छिनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। उसके सारे धन का नाश हो जाता है। उसके जीवन को विनाशलीला की ओर ले जाने में वे ही स्त्रियां कारण बनती हैं जो उसे सुख प्रदान कर रही थीं। उसका शरीर रोगों से ग्रसित हो जाता है। अधिकांश लोगों के जीवन में ये सब घटनाएं तब होती हैं जब उसके पुत्र की आयु 12 वर्ष की पूरी नहीं हो पाती।
क्या उपाय करें
कोई भी जातक स्वऋणी तब बनता है, जब उसकी कुंडली का सूर्य ऋणी हो जाता है। इस ऋण को चुकाने के लिए सूर्य की शांति के उपाय किए जाते हैं। स्वऋण से पीडि़त जातक प्रतिदिन ठीक सूर्योदय के समय सूर्य नमस्कार करे और सूर्य को उनके 12 नामों का उच्चारण करते हुए जल अर्पित करें। सगे संबंधियों से धन एकत्रित करके यज्ञ कराए। किसी भी नए कार्य को प्रारंभ करने से पूर्व कुछ मीठा खाकर पानी पीएं।
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