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रसोईघर में मौजूद है ग्रह दोषों की समस्याओं का निदान

By पं गजेंद्र शर्मा
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नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं आपके किचन में ग्रह दोषों की पीड़ा से मुक्ति के उपाय छुपे हुए हैं। जी हां, शास्त्रों के अनुसार रसोईघर में मौजूद मसालों सहित अन्य वस्तुओं पर ग्रहों का आधिपत्य होता है और आप उन वस्तुओं से जरिए ग्रहजनित पीड़ाओं से मुक्ति पा सकते हैं। आइए जानते हैं वे कौन-कौन सी वस्तुएं और मसाले हैं जिनके जरिए समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।

नमक का दान करने से दूर होगा दुर्भाग्य

नमक का दान करने से दूर होगा दुर्भाग्य

नमक : शिवपुराण के अनुसार नमक का दान करने से दुर्भाग्य दूर होता है।
तिल : तिल का दान करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। कठिन समय में आत्मबल प्राप्त होता है। पितृ प्रसन्न् होते हैं।
घी : घी का दान करने से मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है। रोग दूर होते हैं।
वस्त्र : नए कपड़े दान करने से आयु में वृद्धि होती है और रोगों से बचाव होता है।
अनाज : अन्न् दान करने से घर में कभी अनाज की कमी नहीं होती।

उग्र ग्रहों को शांत करता है फलों का दान

उग्र ग्रहों को शांत करता है फलों का दान

गुड़ : गुड़ का दान करने से जातक के घर-परिवार में हमेशा खान-पान की वस्तुओं का भंडार भरा रहता है।
हल्दी : हल्दी का दान करने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं। अविवाहितों के विवाह का मार्ग खुलता है।
आटा : गेहूं का आटा दान करने से पितरों की शांति होती है। ग्रह दोष दूर होते हैं।
खड़ा धनिया : खड़े धनिए का दान करने से बुध ग्रह प्रसन्न् होते हैं। बुद्धि, ज्ञान प्राप्त होता है।
गेहूं : गेहूं का दान सूर्य और मंगल की पीड़ा से बचाता है। नेत्र रोगों में लाभ होता है।
फल : समस्त प्रकार के फलों का दान उग्र ग्रहों को शांत करता है।

दान करते समय इन नियमों का पालन जरूर करें...

दान करते समय इन नियमों का पालन जरूर करें...

शास्त्रों में बताया गया है कि व्यक्ति को अच्छे कर्मों से कमाए गए धन का दसवां भाग दान करना चाहिए। यह दान व्यक्ति अपनी श्रद्धा से किसी देवालय में दान करें या जरूरतमंदों को भेंट करें। दान करते समय कुछ नियमों का पालन करना भी बताया गया है।

- शास्त्रों का कथन है कि स्वयं जाकर दिया हुआ दान सबसे उत्तम होता है, जबकि घर बुलाकर दिया गया दान मध्यम फलदायी होता है। जब गौ, ब्राह्मणों तथा रोगियों को कुछ दिया जाता हो उस समय यदि कोई व्यक्ति उसे न देने की सलाह देता है तो वह व्यक्ति दुख भोगता है।
- तिल, कुश, जल और चावल को हाथ में लेकर दान देना चाहिए अन्यथा उस दान पर दैत्य अधिकार कर लेते हैं। पितरों को तिल के साथ तथा देवताओं को चावल के साथ दान दिया जाता है। जल व कुश का संबंध सर्वत्र रखना चाहिए।
- गाय, शैय्या, घर, वस्त्र तथा कन्या इनका दान एक ही व्यक्ति को करना चाहिए। रोगी की सेवा करना, देवताओं का पूजन और ब्राह्मणों के पैर धोना, गाय दान के समान पुण्य देने वाला कहा गया है।

अपने दान का बखान ना करें

अपने दान का बखान ना करें

- दान करते समय दान देने वाले का मुख पूर्व दिशा में और दान स्वीकार करने वाले का मुख उत्तर दिशा में होना चाहिए। ऐसा करने से दोनों की आयु में वृद्धि होती है।
- दान करते समय कभी मन में घमंड के भाव नहीं लाना चाहिए। दान हमेशा निष्कपट, निच्छल मन से करना चाहिए।
- अपने दान का बखान ना करें, ना ही अपने दान का बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन करना चाहिए।
- दीन, निर्धन, अनाथ, गूंगे, दिव्यांग तथा रोगी मनुष्य की सेवा के लिए जो धन दिया जाता है उसका महान पुण्य प्राप्त होता है।
- गाय, सोना, चांदी, रत्न, विद्या, तिल, कन्या, हाथी, घोड़ा, शय्या, वस्त्र, भूमि, अन्न्, दूध, छत्र तथा दैनिक जीवन में काम आने वाली आवश्यक सामग्री सहित घर, इन 16 वस्तुओं के दान को महादान कहा गया है।

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English summary
These planet issue could be solved by these kitchen stuff
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