Motivational Story: वर्तमान पर निर्भर है हम सबका भविष्य
नई दिल्ली। हमारे देश में एक कहावत प्रसिद्ध है, आज बोओगे, कल काटोगे अर्थात् जैसा वर्तमान आप बनाते हैं, उसी के अनुरूप आपका भविष्य स्वतः निर्मित हो जाता है। यदि आप वर्तमान को अपनी मेहनत से सींचते हैं, तो भविष्य अपने आप ही सुनहरा हो जाता है।
इसके ठीक विपरीत यदि आप वर्तमान को अर्थात् अपनी युवावस्था को आलस्य में बिताते हैं, तो निश्चित मानिए कि आप अपना बुढ़ापा ही नहीं, आने वाली पीढि़यों का भविष्य भी स्वयं बिगाड़ रहे हैं। यह बात केवल युवावस्था में मेहनत करने पर लागू नहीं होती, आप उम्र के किसी भी दौर में हों, ईमानदारी से अपने हिस्से की मेहनत करते हैं, तो आप स्वयं अपने और अपनी आने वाली पीढि़यों के लिए एक सुनहरा भविष्य लिख रहे होते हैं,कैसे, एक सुंदर कथा के माध्यम से जानते हैं-
राज्य में सब ओर सुख-शांति, संपन्नता थी
यह उस समय की बात है, जब पंजाब में महाराजा रणजीत सिंह राज किया करते थे। उनके राज्य में सब ओर सुख-शांति, संपन्नता थी। महाराजा प्रजा वत्सल और न्यायप्रिय थे। वे अपनी प्रजा का ध्यान अपनी संतान की तरह रखा करते थे। वे समय-समय पर अपने राज्य और प्रजा की असली हालत जानने के लिए स्वयं राज्य का दौरा किया करते थे। ऐसे ही एक बार वे अपने काफिले के साथ राज्य भ्रमण पर निकले। धूप बहुत तेज थी, भोजन का समय हो गया था, तो काफिला आराम के लिए एक सड़क के किनारे रूका। भोजन की तैयारियों के बीच महाराज का ध्यान सड़क के किनारे एक बगीचे में काम कर रहे बुजुर्ग व्यक्ति पर गया। वह अपने काम में इतना मगन था कि उसका महाराज के काफिले की तरफ ध्यान ही नहीं गया। महाराज को उसे इतनी लगन से काम करते देख बड़ी संतुष्टि हुई।
महाराज के सामने वह व्यक्ति हाथ जोड़कर खड़ा हो गया
उस व्यक्ति की मेहनत देख महाराज बहुत उत्सुक हुए और सैनिक भेज उसे बुलवा भेजा। महाराज के सामने वह व्यक्ति हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। महाराज ने उससे कहा- बाबा, मैं आपको बहुत देर से देख रहा हूं। आप इतना मन लगाकर क्या कर रहे थे? उस व्यक्ति ने कहा कि महाराज, मैं आम के पौधे रोप रहा था। महाराज ने पूछा, बाबा, आपकी उम्र कितनी है? बाबा ने बताया कि वे 80 साल के हैं। महाराज ने फिर पूछा, बाबा, आप जो पौधे लगा रहे हैं, वे कम से कम 5 साल बाद फल देंगे। आप तब तक जीवित रहेंगे या नहीं, यह आप नहीं जानते, फिर इतनी मेहनत क्यों कर रहे हैं? बाबा ने कहा- महाराज, आज तक मैं जिन पेड़ों के स्वादिष्ट फल खाता रहा हूं, वे मैंने नहीं, मेरे पूर्वजों ने लगाए थे। उन्होंने नहीं सोचा कि उनके लगाए पेड़ के फल वे नहीं खा पाएंगे। अब मेरा कर्तव्य बनता है कि मैं पेड़ लगाऊं, ताकि भविष्य में मेरे बच्चे मीठे फलों का आनंद उठा सकें।
मेरे राज्य का वर्तमान ही नहीं, भविष्य भी सुरक्षित
महाराज ने खडे़ होकर उस व्यक्ति के हाथ अपने हाथ में लेकर सिर माथे लगा लिए और कहा कि आज मैं संतुष्ट हुआ। जब तक मेरे राज्य में इनके जैसे लोग हैं, मेरे राज्य का वर्तमान ही नहीं, भविष्य भी सुरक्षित और समृद्ध रहेगा, इसका मुझे पूर्ण विश्वास है। इसके साथ ही महाराज ने बाबा को इनाम के साथ सहायक और सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के आदेश दिए।
भावी पीढ़ी को विरासत में एक सुंदर भविष्य देने का प्रयास कीजिए
तो आप भी इस बात पर गौर कीजिए। यह दुनिया, इसके संसाधन केवल हमारे लिए नहीं हैं। इन पर हमारी आने वाली पीढि़यों का भी उतना ही अधिकार है। तो हाथ बढ़ाइए और भावी पीढ़ी को विरासत में एक सुंदर भविष्य देने के लिए एकजुट हो जाइए।
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