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मौनी अमावस्या पर इस बार सवार्थसिद्धि और महोदय योग का संगम

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। माघी सोमवती अमावस्या 4 फरवरी को है।
-अमावस्या तिथि- समाप्त 4 फरवरी को रात्रि (5 फरवरी के तड़के) 2.33 बजे तक
-अमावस्या का पंचांग: नक्षत्र- श्रवण, योग- सिद्धि, वार- सोमवार
-माघ मास में आने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस बार मौनी अमावस्या के साथ कई शुभ संयोग बन रहे हैं जो इस दिन व्रत, उपवास, -दान-पुण्य और पवित्र नदियों में स्नान करने वालों को करोड़ों गुना अधिक फल प्रदान करेंगे।

अमावस्या तिथि प्रारंभ 3 फरवरी रात्रि 11.52 बजे से

अमावस्या तिथि प्रारंभ 3 फरवरी रात्रि 11.52 बजे से

भारतीय वैदिक पंचांग के अनुसार मौनी अमावस्या 4 फरवरी 2019 को आ रही है। इस दिन सोमवार होने से सोमवती अमावस्या का संयोग है। इस दिन सर्वार्थसिद्ध और महोदय योग भी बन रहे हैं जो सारी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाले और कार्यों में सफलता प्रदान करने वाले हैं। मौनी अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य का बड़ा महत्व है।

शुभ संयोग

शुभ संयोग

मौनी अमावस्या पर श्रवण नक्षत्र होने से सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। इसके साथ व्यतिपात योग के होने से यह महोदय नामक योग का निर्माण भी कर रहा है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार एक करोड़ सूर्य ग्रहण के बाद स्नान और दान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है, वह इस योग में एक बार संगम, गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा आदि पवित्र नदियों में स्नान करने से प्राप्त हो जाता है।

चर्तुग्रही योग भी इसी दिन

चर्तुग्रही योग भी इसी दिन

वैदिक ज्योतिष की ग्रह गोचर गणना के अनुसार सोमवती मौनी अमावस्या पर सूर्य, चंद्र, बुध, केतु मकर राशि में गोचर करेंगे। इस तरह चर्तुग्रही युति में महोदय योग बन रहा है। यह संयोग बहुत कम बनता है और यह शुभ माना जाता है इसलिए भी इस दिन का महत्व बढ़ गया है। यह योग सूर्य चंद्र की मकर राशि में मौजूद स्थिति पर केंद्रित है। साथ ही श्रवण व व्यतिपात नक्षत्र इस योग को ओर भी खास बनाते हैं।

मौनी अमावस्या का महत्व

मौनी अमावस्या का महत्व

शास्त्रीय मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा मैया का जल अमृत बन जाता है। इसलिए माघ स्नान के लिए मौनी अमावस्या विशेष होती है। इस दिन व्रती को मौन धारण करते हुए दिन भर मुनियों जैसा आचरण करना चाहिए। साधु, संत, ऋषि, महात्मा सभी प्राचीन समय से प्रवचन सुनाते रहे हैं कि मन पर नियंत्रण रखना चाहिये। मन बहुत तेज गति से दौड़ता है। मौनी अमावस्या का भी यही उद्देश्य है कि इस दिन मौन व्रत धारण कर मन को संयमित किया जाए। मन ही मन ईश्वर के नाम का स्मरण करें। यह एक प्रकार से मन को साधने की यौगिक क्रिया भी है। मान्यता यह भी है कि यदि किसी के लिए मौन रहना संभव न हो तो वह अपने विचारों में किसी भी प्रकार की मलिनता न आने देने, किसी के प्रति कोई कटुवचन न निकले तो भी मौनी अमावस्या का व्रत उसके लिए सफल होता है। इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु व भगवान शिव की पूजा करें।

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English summary
the combination of sarvarthsiddhi and mahoday yoga on this mouni amavasya
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