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Jupiter or Guru: बृहस्पति के अनुकूलता के उपाय

By Pt. Anuj K Shukla
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लखनऊ। यदि आप बृहस्पति से पीड़ित हो, आप पर बृहस्पति दशा-अन्तर दशा चल रही हो या बृहस्पति छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो अथवा पाप ग्रहों से युत व दृष्ट हो। किसी भी प्रकार से बृहस्पति कमजोर होकर अशुभ फल दे रहा हो तो पीताम्बरा विष्णु का पूजन, बृहस्पति व्रत का अनुष्ठान करें। द्वादश भाव में बृहस्पति स्थित होने पर जातक अपने पिता और दादा के जीवन काल में सुखी रहता है तथा उनकी मृत्यु के पश्चात जातक को अनेको कष्टों का सामना करना पड़ता है। अतः जातक को सोना व हल्दी अवश्य धारण करना चाहिए।

गुरू को मजबूत करने के निम्न उपाय

केसर, हल्दी, दाल, चना, सोना व पीतल दान देना चाहिए

केसर, हल्दी, दाल, चना, सोना व पीतल दान देना चाहिए

  • शिक्षण संस्थान व निर्धन छात्रो को यथा शक्ति दान देना चाहिए व पीपल के वृक्ष की नियमित सेवा करनी चाहिए।
  • केसर, हल्दी, दाल, चना, सोना व पीतल दान देना चाहिए।
  • मन्दिर के पुजारी को यथा शक्ति कपड़ों का दान करना चाहिए।

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अपने गुरूओं का सम्मान अवश्य करना चाहिए

अपने गुरूओं का सम्मान अवश्य करना चाहिए

  • निरंतर आठ गुरूवार तक कच्चे सूत को हल्दी में रंगकर पीपल के पेड़ में बाॅधने से गुरू मजबूत होता है।
  • अपने गुरूओं का सम्मान अवश्य करना चाहिए।
  • हल्दी व केसर का तिलक लगाने से भी गुरू ग्रह की शुभता प्राप्त होती है।
  • स्त्री को उसके पति सामथ्र्यनुसार 2 सोने के टूकड़े दें और इन टुकड़ों में से एक टुकड़ा पानी में बहायें और दूसरा अपने पास रखें।
  • शुभ फल के लिए करें ये उपाय

    शुभ फल के लिए करें ये उपाय

    • अगर अष्टम भाव में गुरू बैठकर कष्टकारी साबित हो रहा है तो पीले रंग की वस्तु या चने की दाल, गुड आदि दान करने से शुभ फल मिलता है।
    • द्वादश भाव में बैठा गुरू धन देगा किन्तु सन्तान दुष्ट निकलेगी। ऐसे में हमेशा केसर का तिलक लगाना चाहिए, पीपल के वृक्ष को जल देना चाहिए, साधु-सन्तों की सेवा करें, नाक हमेशा साफ रखें। ये उपाय करने से सन्तान भी सही राह पर चलेगी एवं व्यापार में प्रगति होगी।
    • यदि आपकी कुण्डली में गुरू कहीं भी बैठकर अधिक कष्ट दे रहा है तो भांगरमूल की जड़ को शुद्ध करके ताबीज में भरकर गले में पहनें एवं गुरूवार के दिन पानी में नागरमोथा डालकर स्नान करें।

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English summary
Jupiter, also known as Guru is considered to be one of the most benefic planets in astrology. It is the largest planet in the solar system, and is nearest in comparison with the Sun in regard to its size.
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