Surya Grahan or Annular Solar eclipse (26 December 2019): गर्भवती महिलाएं इस सूर्यग्रहण से बचकर रहेंं
नई दिल्ली। सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों का प्रभाव पृथ्वी के प्रत्येक जीव-जंतु से लेकर प्रकृति-पर्यावरण तक पर पड़ता है, लेकिन इस बार का खंडग्रास सूर्यग्रहण गर्भवती महिलाओं के लिए अत्यंत अशुभ है। इस ग्रहण से गर्भवती महिलाओं को खासतौर पर बचकर रहना होगा। साल 2019 का अंतिम सूर्यग्रहण 26 दिसंबर गुरुवार को आ रहा है। पौष अमावस्या के दिन आ रहा यह सूर्यग्रहण सुबह 8.08 बजे प्रारंभ होगा और 10.58 बजे समाप्त होगा। इस सूर्यग्रहण के दौरान छह ग्रह सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु, शनि और केतु एक साथ धनु राशि में रहेंगे और ग्रहण भी धनु राशि में ही हो रहा है। इसलिए इस षटग्रही योग का असर सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे शिशु पर होगा। इसलिए अत्यंत सावधान रहने की जरूरत है। इस ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए कुछ विशेष उपाय करना होंगे।
क्या करें गर्भवती महिलाएं
- ग्रहण प्रारंभ होने से लेकर समाप्त होने तक गर्भवती महिलाएं घर से बाहर ना निकलें। किसी भी तरह उन पर सूर्य की किरणें नहीं पड़ना चाहिए। षटग्रही योग के कारण ग्रहण काल में पाप ग्रहों की छाया गर्भ पर पड़ने के कारण गर्भस्थ शिशु को दिक्कत हो सकती है। इस दौरान निकलने वाली हानिकारक किरणें गर्भ को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए ग्रहणकाल में घर के भीतर ही रहें।
- ग्रहण काल के दौरान अपने गर्भ पर गेरू को गंगाजल में घोलकर और उसमें तुलसी पत्र का लेप मिलाकर संपूर्ण गर्भ स्थान या नाभि के आसपास गोलाकार रूप में लगाकर रखें। इससे गर्भ पर पड़ने वाली हानिकारक किरणों का प्रभाव नहीं होगा। घर के भीतर रहने पर भी यह प्रयोग अवश्य करें क्योंकि सूर्य की किरणें सीधे गर्भ पर भले ना पड़े लेकिन उसकी रोशनी तो घर के भीतर आती ही है।
- गर्भवती स्त्रियां ग्रहण काल में अपने गले में तुलसी की लकड़ी या तुलसी के मोती से बनी माला धारण करके रखें।
विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें
- ग्रहण काल के दौरान गर्भवती स्त्रियां विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करती रहें। या भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण का नाम जाप करती रहें।
- ग्रहण शुरू होने से पहले खाने-पीने की समस्त चीजों में, तरल पदार्थों में तुलसी पत्र या कुश की घास डाल दें। वैसे तो किसी भी व्यक्ति को ग्रहणकाल में कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए, लेकिन यदि गर्भवती स्त्रियों को आवश्यकता पड़े तो वही भोज्य पदार्थ ग्रहण करें जिसमें पहले से तुलसी पत्र डला हुआ हो।
- ग्रहणकाल में काटने वाली कोई भी वस्तु कैचीं, छुरी, चाकू, ब्लेड, रेजर आदि को बिलकुल हाथ ना लगाएं। यदि गर्भ चार माह से कम का है तब तो बिलकुल भी इन चीजों को हाथ नहीं लगाना चाहिए। काटने वाली चीजों के इस्तेमाल से गर्भस्थ शिशु के अंगों में दोष आ जाता है। इसी प्रकार सुई का प्रयोग भी ना करें। कुछ सिलाई करने से भी गर्भस्थ शिशु के अंग दोषपूर्ण हो जाते हैं।
यह ग्रहण धनु राशि में हो रहा है...
- ग्रहण शुरू होने से पहले और ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान अवश्य करें। स्नान के बाद भगवान की पूजा करें। दान करें।
- ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियां अपने पास एक साबूत नारियल अवश्य रखें, इससे ग्रहण के दोष दूर होते हैं।
- धनु राशि और लग्न वाली गर्भवती महिलाओं को इस ग्रहण से खासतौर पर बचकर रहना होगा क्योंकि यह ग्रहण धनु राशि में हो रहा है।
- वृषभ, कन्या, मकर राशि की गर्भवती महिलाओं के लिए ग्रहण अशुभ है।
- कर्क, तुला, कुंभ, मीन राशि के लिए श्रेष्ठ है, और मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक राशि की गर्भवती महिलाओं के लिए यह ग्रहण मध्यम फलदायी रहेगा।
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