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सूर्य की गति और दिशा के अनुसार करें कार्य,मिलेगी सफलता

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। हिंदू धर्म शास्त्रों में सूर्य को प्रत्यक्ष देवता कहा गया है। प्राचीन ऋषि मनीषी सूर्य की गति के अनुसार भविष्य का निर्धारण करते थे। वास्तुशास्त्र भी सूर्य की दिशा के आधार पर कार्य करता है। इसीलिए वास्तु के अनुसार घर के प्रत्येक कक्ष, वस्तु आदि की दिशा इसी आधार पर तय की जाती है। आइए जानते हैं 24 घंटे में सूर्य की गति के अनुसार किस दिशा में कौन-सा कक्ष बनाना उत्तम रहता है और कौन-सी दिशा में क्या कार्य किया जाना चाहिए।

सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक समय

सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक समय

सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक के समय में सूर्य घर के दक्षिण-पूर्व हिस्से में होता है। यह समय भोजन पकाने के लिए उत्तम माना गया है। रसोई घर व स्नानघर गीले होते हैं। ये ऐसी जगह होने चाहिए, जहां सूर्य की रोशनी मिले, तभी वे सूखे और स्वास्थ्यकर हो सकते हैं।

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दोपहर 12 से 3 बजे तक का समय

दोपहर 12 से 3 बजे तक का समय

  • इसके बाद दोपहर 12 से 3 बजे तक का समय विश्रांति काल कहलाता है। यानी यह समय भोजन के पश्चात आराम का वक्त होता है। इस समय में सूर्य दक्षिण दिशा में आ चुका होता है। इसलिए शयन कक्ष इसी दिशा में बनाना चाहिए।
  • दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक का समय अध्ययन और अन्य कार्यों का समय होता है। इस समय में सूर्य दक्षिण-पश्चिम भाग में आ जाता है। इसलिए यह स्थान अध्ययन कक्ष या पुस्तकालय के लिए होता है।
  • रात 9 बजे से मध्य रात्रि के समय

    रात 9 बजे से मध्य रात्रि के समय

    • सायं 6 से रात 9 बजे तक का समय रात्रि भोजन, बैठने और पढ़ने का होता है। इसलिए घर का पश्चिमी भाग भोजन या बैठक कक्ष के लिए उत्तम होता है।
    • रात 9 बजे से मध्य रात्रि के समय सूर्य घर के उत्तर-पश्चिम भाग में आ चुका होता है। इसलिए रात्रि शयन के लिए यह स्थान भी उपयोगी होता है।
    • मध्यरात्रि 12 बजे से लेकर रात्रि 3 बजे तक सूर्य घर के उत्तरी भाग में होता है। यह समय अत्यंत गोपनीय होता है। यह दिशा व समय कीमती वस्तुओं या जेवरात आदि को रखने के लिए उत्तम है।

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English summary
Sun is treated as a ferocious and cruel planet. It's nature is hot and it is the controller of sharpness of mind, beauty and energy of body.
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