सूर्यग्रहण 26 फरवरी 2017: जानिए कुछ रोचक तथ्य
अगर सूर्य ग्रहण पड़ रहा है तो गर्भवती महिलायें सूर्य के प्रकाश से बचने का पूरा प्रयास करें
लखनऊ। जब ग्राहक वस्तु द्वारा ग्राहय वस्तु का ग्रहण किया जाता है तो उसे ग्रहण कहते है। जिस का ग्रहण हो रहा हो या किया जा रहा हो, उसे ग्राहय या छाद्य कहा जाता है तथा जो ग्रहण करता है उसे ग्राहक या छादक कहते है। ज्योतिषशास्त्र में सामान्यतः दो ग्रहण माने गये है-सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण।
दोनों ग्रहण में पांच अवयव होते है-
1-स्पर्श
2-सम्मेलनन
3-मध्यग्रहण
4-उन्मीलन
5-मोक्ष
18 वर्ष 18 दिन की समयावधि
भू-वैज्ञानिकों ने गणित से पता लगाया है कि 18 वर्ष 18 दिन की समयावधि में 41 सूर्य ग्रहण और 29 चन्द्र ग्रहण पड़ते है। एक वर्ष में 5 सूर्यग्रहण और 2 चन्द्रग्रहण तक ही हो सकते है। एक वर्ष में कम से कम 2 सूर्य ग्रहण तो होते ही है। शास्त्रों की मान्यता है राहु और केतु छाया ग्रह है। ये दोनों ही छाया की सन्ताने है। चन्द्र ग्रहण के समय मानसिक शक्ति क्षीण होती व कफ की प्रधानता बढ़ती है और सूर्य ग्रहण के दौरान अपच, नेत्र रोग, पित्त में वृद्धि होती है।
शास्त्रों में ग्रहण के दौरान भोजन करना क्यों वर्जित है ?
ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के दौरान आकाश से आने वाली उर्जा नकारात्मक होती है एंव उस समय कीटाणुओं की बहुलता हो जाती है। सभी खाद्यय वस्तुओं व जल में स्क्षूम जीवाणु एकत्रित होकर भोजन व जल को दूषित कर देते है। जिस कारण ऋषियों ने जल वाले पात्रों में कुश डालने को कहा है। क्योंकि कुश से कटीणु नष्ट हो जाते है। ग्रहण के तुरन्त बाद स्नान करने का विधान है, क्योंकि आकाश से आने आने नकारात्मक उर्जा का असर सीधे हमारे शरीर पर पड़ती है। स्नान करने से उष्मा का प्रवाह बढ़ता है और नकारामक उर्जा नष्ट हो जाती है।
चार प्रहर पूर्व...
सूर्य ग्रहण में चार प्रहर पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। वृद्ध बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व तक भोजन कर सकते है। ग्रहण होने के पश्चात सूर्य या चन्द्र जिसका भी ग्रहण हो।
ग्रहण में क्या न करें-
ग्रहण के दिन पत्ते, लकड़ी, फूल नहीं तोड़ना चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व ब्रश भी नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय सोना, मल-मूत्र त्यागना, मैथुन आदि करना वर्जित है।
ग्रहण में क्या करें
ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमन्दों को कपड़े व दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है। पूजा-पाठ व ध्यान करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं पर होता है विशेष असर-
दरअसल ग्रहण के दौरान आम जनमानस की अपेक्षा गर्भवती महिलाओं पर खास असर पड़ता है। गर्भ में पल रहा शिशु बहुत ही नाजुक और संवेदशील होता है, इसलिए शिशु पर नकारात्मक उर्जा का असर जल्दी पड़ता है। अगर सूर्य ग्रहण है तो सूर्य से नकारात्मक उर्जा पृथ्वी पर पड़ती है और यदि चन्द्र ग्रहण है तो चन्द्रमा से बुरी उर्जा पृथ्वी पर पड़ती है। अब सवाल यह उठता है कि गर्भवती महिलायें ग्रहण के दौरान आकाश से आने वाली नकारात्मक उर्जा से अपने गर्भ में पल रहे
शिशु को कैसे बचाये ?
वैसे तो विभिन्न प्रकार के उपाय बताये गये है किन्तु सबसे सार्थक और वैज्ञानिक उपाय यह है कि अगर सूर्य ग्रहण पड़ रहा है तो गर्भवती महिलायें सूर्य के प्रकाश से बचने का पूरा प्रयास करें और अगर चन्द्र ग्रहण पड़ रहा है तो रात्रि में चन्द्रमा की रोशनी में गर्भवती महिलायें कदापि न जायें।