सोम प्रदोष 18 मार्च को, होलिका दहन से पूर्व बना शुभ संयोग
नई दिल्ली। भगवान शिव को सर्वोच्च प्रिय कोई व्रत है तो वह है प्रदोष व्रत। इसमें भी सोमवार और शनिवार का संयोग आना बड़े महत्व का होता है। इस बार प्रदोष व्रत सोमवार 18 मार्च को आ रहा है, जो सोम प्रदोष का शुभ संयोग बना रहा है। फाल्गुन पूर्णिमा यानी होलिका दहन से ठीक पहने आने वाले इस प्रदोष व्रत का सर्वाधिक महत्व बताया गया है। क्योंकि इस संयोग में की जाने वाली शिव की आराधना अनंत गुना फलदायी होती है।
प्रदोष व्रत करने से शीघ्र प्राप्त होती है भगवान शिव की कृपा
शास्त्रों का कथन है कि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और वे साधक को समस्त प्रकार की सुख-समृद्धि, भोग, ऐश्यर्वशाली जीवन, सुखी वैवाहिक जीवन, श्रेष्ठ आयु और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करते हैं। कहा जाता है यदि किसी विशेष कामना की पूर्ति के निमित्त प्रदोष व्रत किए जाए तो वह कामना भी सौ फीसदी पूर्ण होती है।
कैसे करें प्रदोष व्रत?
प्रदोष व्रत करने के लिए व्यक्ति प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान शिव का पूजन करें और प्रदोष व्रत का संकल्प लें। यदि किसी विशेष इच्छा की पूर्ति के लिए व्रत कर रहे हैं तो संकल्प करते समय उस कार्य का भी उच्चारण करें। इसके बाद पूरे दिन निराहर, निर्जल रहते हुए भगवान शिव की आराधना में लीन रहें। प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोषकाल सूर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व का होता है। यानी सायं 4.30 से 7 बजे के बीच का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस समय स्नान करके साफ स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करें। पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें। कुशा के आसन पर बैठकर शिव का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें। इसकी संपूर्ण विधि प्रदोष व्रत पूजा विधि की पुस्तक में मिल जाएगी। शिवजी को बेलपत्र, धतूरा, आंक के पुष्प आदि अर्पित करें और दूध से बनी मिठाई का नैवेद्य लगाएं। इसके बाद सोम प्रदोष व्रत की कथा सुनें। कथा समाप्ति के बाद ओम नमः शिवाय मंत्र से 108 आहूति डालकर हवन करें।
क्या होते हैं लाभ?
-
प्रदोष
व्रत
का
अनंत
गुना
फल
व्रती
और
उसके
परिवार
को
प्राप्त
होता
है।
-
व्रत
के
प्रभाव
से
व्यक्ति
आर्थिक
संपन्नता
हासिल
करता
है।
नौकरी
प्राप्ति
या
व्यापार
में
लाभ
के
उद्देश्य
से
व्रत
कर
रहे
हैं
तो
उसमें
शीघ्र
ही
लाभ
होने
लगता
है।
-
प्रदोष
व्रत
करने
वाला
व्यक्ति
स्वयं
तो
रोग
मुक्त
रहता
ही
है,
यदि
किसी
अन्य
व्यक्ति
की
रोग
मुक्ति
की
कामना
से
व्रत
करे
तो
उसे
भी
शीघ्र
लाभ
होता
है।
-
वैवाहिक
और
दांपत्य
सुख
की
प्राप्ति
के
लिए
प्रदोष
व्रत
अवश्य
करना
चाहिए।
जिन
युवक-युवतियों
के
विवाह
में
बाधा
आ
रही
है
वे
जल्द
विवाह
होने
की
कामना
से
व्रत
करें
तो
विवाह
की
बाधा
समाप्त
होती
है।
-
भगवान
शिव
समस्त
ग्रह-नक्षत्रों
के
जनक
हैं।
इसलिए
प्रदोष
व्रत
के
प्रभाव
से
जन्मकुंडली
में
पीड़ा
दे
रहे
ग्रहों
का
दोष
समाप्त
होता
है।
ग्रह
अनुकूल
बनते
हैं।
-
जन्मकुंडली
में
पितृदोष,
कालसर्प
दोष,
नाग
दोष
हो
या
शनि
की
साढ़ेसाती
या
ढैय्या
के
कारण
परेशानी
आ
रही
हो
तो
वह
भी
प्रदोष
व्रत
से
दूर
हो
जाती
है।
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