13 जुलाई को सूर्य ग्रहण, भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन असर तो होगा
नई दिल्ली। आषाढ़ कृष्ण अमावस्या दिनांक 13 जुलाई 2018 शुक्रवार को सूर्य ग्रहण होने वाला है। यह ग्रहण पुनर्वसु नक्षत्र और हर्षण योग में होगा। यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसका सूतक भी नहीं माना जाएगा, लेकिन चूंकि आकाश मंडल में उपस्थित प्रत्येक ग्रह का प्रभाव पृथ्वी पर होता है इसलिए भले ही यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य न हो लेकिन इसका असर प्रकृति पर जरूर होगा। यह ग्रहण पृथ्वी के धु्रवीय क्षेत्रों, दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न, स्टीवर्ट आईलैंड और होबार्ट में आंशिक रूप से दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण 13 जुलाई को प्रात: 7 बजकर 18 मिनट और 23 सेकंड से प्रारंभ होगा, जिसका मध्य 8 बजकर 13 मिनट 05 सेकंड पर और मोक्ष 9 बजकर 43 मिनट 44 सेकंड पर होगा।
अमावस्या तिथि प्रात: 8.17 बजे तक रहेगी
इस दिन अमावस्या तिथि प्रात: 8.17 बजे तक रहेगी। यह ग्रहण कर्क लग्न और मिथुन राशि में हो रहा है। खास बात यह है कि इस दौरान सूर्य और चंद्र दोनों मिथुन राशि में मौजूद रहेंगे और लग्न में बुध और राहु रहेंगे। चूंकि यह ग्रहण कर्क लग्न और मिथुन राशि में हो रहा है इसलिए कर्क लग्न, कर्क राशि, मिथुन लग्न, मिथुन राशि वालों के लिए ग्रहण शुभ नहीं रहेगा। सूर्य और चंद्र के एक साथ एक ही राशि में रहने से कर्क, मिथुन और सिंह राशि वालों को मानसिक कष्ट होगा। शारीरिक रूप से अस्वस्थ महसूस करेंगे। आर्थिक मामलों में सावधानी रखने की आवश्यकता होगी। अन्य राशि वाले भी ग्रहण के प्रभाव में आएंगे। इनके कार्यों में कुछ समय के लिए विराम लग सकता है यानी कार्य धीमे हो सकते हैं। आर्थिक परेशानी आएगी। मानसिक रूप से विचलित रहेंगे। किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाएंगे।
पृथ्वी पर ग्रहण का प्रभाव
सूर्य ग्रहण के कारण पृथ्वी के कुछ भूभाग पर अतिवर्षा होगी। भूस्खलन, बाढ़, भूकंप, समुद्र में तूफान, आंधी जैसी घटनाएं होंगी। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुछ चौंकाने वाले घटनाक्रम होंगे। बड़े देशों में युद्ध छिड़ सकता है। जिन देशों के बीच तनाव चल रहे हैं, वे खुलकर विरोध में आ जाएंगे। भारत की बात करें तो यहां किसी बड़े राजनेता की हानि, ट्रेन और विमान दुर्घटना की आशंका है। ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्र के साथ में मौजूद रहने के कारण लोगों की निर्णय क्षमता नष्ट हो जाएगी। आपसी द्वेष बढ़ेंगे। जातियों के बीच टकराव, हिंसक घटनाएं होंगी। आत्महत्या जैसी प्रवृत्तियां बढ़ेंगी।
ये उपाय करें
ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए समस्त राशि वालों को कुछ उपाय कर लेना चाहिए । ग्रहण के दौरान शिव चालीसा और आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करें। नवग्रह शांति पाठ और नवग्रह पूजा इस दिन विशेष फलदायी रहेगी। समस्त राशि वाले समान रूप से गरीबों को अनाज का दान करें। गायों को चारा खिलाएं। भिखारियों को मीठे चावल बनाकर खिलाएं। अपनी जेब में चंद्र यंत्र जरूर साथ रखेंं। चंद्र यंत्र ना मिले तो चांदी का कोई आभूषण धारण करके रखें। वैसे तो भारत में ग्रहण दिखाई नहीं देगा, लेकिन फिर भी गर्भवती स्त्रियां ग्रहण काल के दौरान चाकू, छुरी, काटने वाली वस्तुओं का उपयोग, सिलाई आदि न करें। ग्रहण प्रारंभ होने से पूर्व तुलसी के पत्ते का सेवन कर लें। ग्रहण काल में बाहर न निकलें।
गुप्त नवरात्रि भी इसी दिन प्रारंभ
वर्ष में 4 नवरात्रि आती हैं। जिनमें से दो चैत्र और आश्विन मास की तो जगजाहिर है, लेकिन दो गुप्त नवरात्रि होती हैं। पहली गुप्त नवरात्रि माघ माह में आती है और दूसरी आषाढ़ में। इस बार प्रतिपदा तिथि का क्षय होने के कारण गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ 13 जुलाई को ही प्रात: 8 बजकर 17 मिनट के बाद से हो जाएगा। पंचांग भेद के कारण कुछ लोग गुप्त नवरात्रि 14 जुलाई से प्रारंभ मानेंगे, लेकिन वह सही नहीं है। द्वितीया में नवरात्रि प्रारंभ नहीं होती है।
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