रत्नों से बने शिवलिंग चमकाएंगे भाग्य, होगी लक्ष्मी की बरसात
नई दिल्ली। महाशिवरात्रि के संबंध में शास्त्रों का कथन है कि इस दिन कोटि सूर्य के समान तेजोमय शिवलिंग का उद्भव हुआ था। भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनका पूजन सगुण और निर्गुण दोनों रूपों में किया जाता है। सगुण में शिव की प्रतिमा का पूजन किया जाता है और निर्गुण में शिवलिंग की पूजा का विधान है। लेकिन दोनों पूजाओं में निर्गुण यानी शिवलिंग की पूजा श्रेष्ठ मानी गई है। निर्गुण होते हुए भी शिव सभी की मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण करते हैं। इनमें अलग-अलग पदार्थों से बने शिवलिंग की पूजा का अलग-अलग महत्व है। आइए जानते हैं इस महाशिवरात्रि पर शिव के किस पदार्थ से बने शिवलिंग का क्या महत्व होता है और इनका क्या फल मिलता है।
गरुड़ पुराण में विभिन्न प्रकार के शिवलिंग का विवरण मिलता है।
गंध लिंग: दो भाग कस्तूरी, 4 भाग चंदन और 3 भाग कुमकुम मिलाकर गंध लिंग का निर्माण किया जाता है। गंध लिंग की पूजा सर्वसौभाग्यदायक मानी गई है। इसकी पूजा से गृहस्थों को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
पुष्प
लिंग:
विभिन्न
प्रकार
के
सुगंधित
पुष्पों
से
बने
शिवलिंग
का
पूजन
यदि
महाशिवरात्रि
के
दिन
किया
जाए
तो
इससे
भूमि,
भवन,
संपत्ति
की
प्राप्ति
होती
है।
संपत्ति
संबंधी
समस्त
समस्याओं
से
पुष्प
लिंग
मुक्ति
दिलाता
है।
कर्पूर
शिवलिंग:
आध्यात्मिक
उन्नति
और
ज्ञान
की
प्राप्ति
के
लिए
कर्पूर
से
बने
शिवलिंग
का
पूजन
किया
जाता
है।
जो
लोग
अध्यात्म
के
पथ
पर
चलना
चाहते
हैं
या
शिक्षा
के
क्षेत्र
में
सफलता
अर्जित
करना
चाहते
हैं
उन्हें
कर्पूर
शिवलिंग
का
पूजन
जरूर
करना
चाहिए।
सर्वश्रेष्ठ माना गया है अष्टधातु शिवलिंग
अष्टधातु
शिवलिंग:
अष्टधातु
से
बने
शिवलिंग
का
पूजन
सर्वसिद्धि
साधना
के
लिए
सर्वश्रेष्ठ
माना
गया
है।
इससे
जीवन
के
प्रत्येक
क्षेत्र
में
उन्नति
होती
है।
माणिक्य
शिवलिंग:
शुद्ध
माणिक्य
से
बने
शिवलिंग
का
पूजन
आयु
और
आरोग्यता
में
वृद्धि
करता
है।
इससे
व्यक्ति
के
तेज
में
वृद्धि
होती
है।
मान-सम्मान,
पद-प्रतिष्ठा
सहज
ही
प्राप्त
होने
लगती
है।
नीलम
शिवलिंग:
शुद्ध
नीलम
से
बना
आभायुक्त
शिवलिंग
दांपत्य
और
पारिवारिक
जीवन
के
लिए
श्रेष्ठ
कहा
गया
है।
इससे
गृह
कलह
समाप्त
होती
है
और
परिवार
में
शुभ
सामंजस्य
स्थापित
होता
है।
पन्ना
शिवलिंग:
बुद्धि,
विवेक,
चातुर्य,
व्यवहार
और
ज्ञान
की
प्राप्ति
के
लिए
पन्ना
से
शिवलिंग
का
निर्माण
करके
पूजन
करना
चाहिए।
इस
शिवलिंग
से
भौतिक
जीवन
में
तरक्की
होती
है।
तीन शिवलिंग सर्वश्रेष्ठ
1. पारदेश्वर शिवलिंग: पारे को स्वयं शिव स्वरूप कहा गया है इसलिए पारद से बने शिवलिंग की पूजा सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। शास्त्रों में कहा गया है जो मनुष्य पारद शिवलिंग का दर्शन करता है और भक्ति भाव से उसका स्मरण करता है वह कई जन्मों के पापों से छूट जाता है और उसे परम पुण्य की प्राप्ति होती है। रस रत्नाकर ग्रंथ के अनुसार पारद शिवलिंग को घर में स्थापित करना और नित्य उसके दर्शन करना सभी समस्याओं से मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला होता है। पारद शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल को जो व्यक्ति ग्रहण करता है वह समस्त दुखों से मुक्त होकर निरोगी रहता है। पारद शिवलिंग की पूजा से अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
2.
स्फटिक
शिवलिंग:
स्फटिक
शिवलिंग
सफेद,
पारदर्शी,
कांच
के
समान
चमकदार
होता
है।
जिस
घर
में
स्फटिक
शिवलिंग
स्थापित
होता
है
वहां
किसी
भी
प्रकार
का
रोग
या
परेशानी
नहीं
आती
है।
स्फटिक
शिवलिंग
की
आराधना
तथा
पूजन
सभी
सौभाग्यों
को
देने
वाला
है।
इस
शिवलिंग
के
पूजन
से
दरिद्रता,
शोक,
रोग
समाप्त
हो
जाती
है
और
लक्ष्मी
अपने
पूर्ण
स्वरूप
में
विराजित
होती
हैं।
3.
नर्मदेश्वर
शिवलिंग:
नर्मदा
नदी
से
प्राप्त
होने
वाला
प्राकृतिक
रूप
से
बना
शिवलिंग
नर्मदेश्वर
शिवलिंग
कहलाता
है।
इसे
स्वयंभू
और
चैतन्य
कहा
गया
है।
जिस
घर
में
नर्मदेश्वर
शिवलिंग
स्थापित
होता
है
वह
घर
अत्यंत
सौभाग्यशाली
माना
जाता
है।
महाशिवरात्रि
पर
जो
व्यक्ति
नर्मदेश्वर
शिवलिंग
पर
जल
और
दूध
अर्पित
करता
है
उसकी
सारी
मनोकामनाएं
पूर्ण
होती
हैं।