'शंखनाद कालसर्प दोष', एक महाभयानक दोष, जो आपको हमेशा मुश्किल में डाले रखेगा
क्या आपके जीवन में सबकुछ होते हुए भी आपको एक अनजाना भय सताता रहता है? आपके पास भोग-विलास की सारी चीजें होते हुए भी मानसिक सुख-शांति नहीं है? या फिर जी-तोड़ मेहनत करने के बाद भी आपको कुछ हासिल नहीं हो रहा है? दूसरों के लिए आप चाहे जितना भी अच्छा कर लें लेकिन बदले में आपको मान-सम्मान नहीं मिल पा रहा है? यदि आपके साथ भी ऐसी कोई स्थिति बन रही है तो अपनी कुंडली किसी योग्य ज्योतिषी को दिखाइए। संभव है आपकी कुंडली में शंखनाद कालसर्प दोष का साया हो। जी हां, शंखनाद कालसर्प दोष के प्रभाव से जातक के जीवन में अस्थिरता बनी रहती है और उसे मनचाहा परिणाम नहीं मिलता है। आइए जानते हैं यह शंखनाद कालसर्प दोष है क्या?
कैसे बनता है शंखनाद कालसर्प दोष
जन्म कुंडली में राहु और केतु के बीच बाकी सारे ग्रह बैठे हों तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है। कुंडली के 12 घरों में राहु-केतु की स्थिति के कारण कालसर्प दोष मुख्यत: 12 प्रकार के होते हैं। उन्हीं में से एक है शंखनाद कालसर्प दोष। किसी जन्म कुंडली में राहु जब नवम स्थान में हो और केतु तृतीय स्थान में बैठा हो और उनके बीच सारे ग्रह आ जाएं तो शंखनाद कालसर्प दोष बनता है। नवम स्थान धर्म, भाग्य स्थान होता है इसलिए इस दोष के प्रभाव से सीधे-सीधे व्यक्ति का भाग्य प्रभावित होता है।
दो तरह के परिणाम देता है
शंखनाद कालसर्प दोष का प्रभाव मुख्यत: किसी जातक पर दो प्रकार से दिखाई देता है। या तो जातक के पास अपने पूर्वजों का संचित धन प्रचुर मात्रा में रहता है या फिर उसके पास कुछ नहीं होता है। लेकिन जिन जातकों के पास पूर्वजों से प्राप्त धन होता है वे उसे संभाल नहीं पाते और उसे गलत कार्यों में नष्ट कर देते हैं। ऐसे जातक मानसिक रूप से भयंकर अस्थिर होते हैं। कई बार तो इनका मन-मस्तिष्क इतना अधिक विचलित हो जाता है कि ये आत्महत्या तक का प्रयास कर बैठते हैं। दूसरे प्रकार के वे लोग होते हैं जो कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन फिर भी उनके हाथ कुछ नहीं आता। ऐसे लोगों का भाग्य साथ नहीं देता। शंखनाद कालसर्प दोष का निवारण किया जाना जरूरी है, वरना जातक जीवनभर भटकता रहता है।
दोष का निवारण क्या है
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जिस
जातक
की
जन्म
कुंडली
में
शंखनाद
कालसर्प
दोष
बना
हुआ
है
सबसे
पहले
उन्हें
चांदी
की
अंगूठी
धारण
कर
लेना
चाहिए।
इसके
साथ
यदि
राहु
का
रत्न
गोमेद
पहन
लिया
जाए
तो
और
भी
अच्छा
रहता
है।
-
महाराष्ट्र
के
त्रयंबकेश्वर
ज्योतिर्लिंग
में
कालसर्प
दोष
की
पूजा
करवा
लेना
चाहिए।
यह
तीन
दिन
की
पूजा
होती
है।
इसके
बाद
दोष
का
प्रभाव
समाप्त
हो
जाता
है।
-
शंखनाद
कालसर्प
दोष
होने
पर
भगवान
शिव
और
हनुमान
की
पूजा
नियमित
रूप
से
करना
चाहिए।
शिवलिंग
पर
नियमित
रूप
से
जल
चढ़ाएं
और
प्रत्येक
मंगलवार
और
शनिवार
को
हनुमान
मंदिर
जाकर
श्रीफल
और
गुड़-चने
का
भोग
लगाएं।
-
प्रत्येक
शनिवार
को
चीटियों
के
बिल
में
आटा
डालने
से
शंखनाद
कालसर्प
दोष
से
मुक्ति
मिलती
है।
-
एक
एकाक्षी
नारियल
लेकर
इसे
अपने
सिर
से
सात
बार
क्लॉकवाइज
घुमा
लें
और
अपने
पास
रख
लें।
ऐसा
लगातार
सात
शनिवार
तक
करें।
सात
शनिवार
के
बाद
नारियल
को
गंगा,
नर्मदा
या
किसी
पवित्र
नदी
में
प्रवाहित
कर
दें।
-
रोजाना
पक्षियों
को
दाना
डालने
से
इस
दोष
से
मुक्ति
मिलती
है।