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Shani Pradosh 2019: शनि प्रदोष आज, जानिए इसका महत्व

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। भगवान शिव के प्रिय व्रतों में से एक है प्रदोष व्रत। इस व्रत से वे सबसे जल्दी प्रसन्न् होते हैं और व्रती द्वारा चाही गई इच्छा पूरी करते हैं। यदि आप जीवन में कुछ विशेष पाना चाहते हैं, अपने किसी बड़े संकल्प की पूर्ति करना चाहते हैं तो आपको प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। प्रदोष व्रत प्रत्येक माह में दो बार त्रयोदशी तिथि के दिन आता है, लेकिन जब प्रदोष व्रत सोमवार और शनिवार को आता है तो यह विशेष फलदायक माना जाता है। शनि प्रदोष का यह शुभ संयोग 9 नवंबर 2019 को बन रहा है।

9 नवंबर को शनि प्रदोष व्रत है

9 नवंबर को शनि प्रदोष व्रत है

कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी 9 नवंबर शनिवार को आने से शनि प्रदोष का संयोग बना है। प्रदोष के दिन शनिवार का संयोग इस दिन को बहुत खास बना रहा है। इस दिन प्रदोष व्रत करने से न केवल शिव की कृपा प्राप्त होगी, बल्कि शनिदेव को भी प्रसन्न् किया जा सकता है। यदि किसी जातक पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है या कुंडली में शनि खराब स्थिति में होकर नेष्टकारक है तो उन्हें भी शनिप्रदोष का यह व्रत जरूर करना चाहिए।

क्या करें शनि प्रदोष के दिन

शनि प्रदोष के दिन प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर विधि विधान से भगवान शिव समेत उनके पूरे परिवार मां पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी की पूजा करें। भगवान शिव को पंचामृत आदि से स्नान कराकर बेलपत्र, धतूरा, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, पान, सुपारी, लौंग आदि अर्पित करें। इसके बाद अपनी समस्त समस्याओं के निवारण के लिए प्रदोष व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन निराहार रहते हुए संयम का पालन करते हुए व्रत करें। संध्याकाल में जब प्रदोषकाल हो तब भगवान शिव का अभिषेक करें और शनि चालीसा, शनिस्तवराज, शिव चालीसा, शिव महिम्नस्तोत्र का पाठ करें। प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। प्रदोषकाल सूर्यास्त से लगभग 1 घंटा पूर्व का रहता है। यानी सायं 5.30 से 7 बजे के बीच प्रदोष व्रत की पूजा कर लेना चाहिए।

शनि प्रदोष व्रत के लाभ

शनि प्रदोष व्रत के लाभ

  • शनि प्रदोष का व्रत रखने से शिव और शनि दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
  • प्रदोष व्रत से कुंडली में बुरा प्रभाव दे रहा चंद्र ठीक होता है। इससे मानसिक सुख-शांति प्राप्त होती है।
  • शिव की पूजा से पारिवारिक और सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
  • आयु और आरोग्य प्राप्त होती है। रोगों से मुक्ति मिलती है। शारीरिक बल में वृद्धि होती है।
  • पूरे वर्ष के प्रदोष व्रत करने से आर्थिक संकट दूर होते हैं। भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
  • शनि प्रदोष व्रत से जन्मकुंडली में बुरे प्रभाव दे रहे शनि की शांति होती है।
  • शनि की साढ़ेसाती, ढैया, शनि की महादशा-अंतर्दशा आदि में हो रही परेशानियां दूर होती हैं।
  • वाहन दुर्घटना, बीमारी आदि में जातक की रक्षा होती है।
  • शनि प्रदोष व्रत करने से कभी पैसों की तंगी नहीं होती है।
  • अविवाहित युवक-युवतियों के विवाह की बाधा दूर होती है।
  • दांपत्य जीवन में आ रही परेशानियों, मनमुटाव से मुक्ति मिलती है।
प्रदोषकाल का समय 9 को ही रहेगा

प्रदोषकाल का समय 9 को ही रहेगा

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 9 नवंबर को दोपहर 2.39 बजे से
त्रयोदशी तिथि पूर्ण- 10 नवंबर को सायं 4.33 पर
प्रदोष पूजा का समय- 9 नवंबर को सायं 5.42 से रात्रि 8.21 बजे तक

प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारंभ हो जाता है

जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारंभ हो जाता है। जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं (जिसे त्रयोदशी और प्रदोष का अधिव्यापन भी कहते हैं) वह समय शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष के समय शिवजी प्रसन्न्चित मनोदशा में होते हैं। इसलिए प्रदोष पूजा 9 नवंबर को ही की जाएगी, क्योंकि इसी दिन सायंकाल के समय त्रयोदशी तिथि रहेगी। 10 नवंबर को त्रयोदशी तिथि रहेगी, लेकिन प्रदोषकाल में चतुर्दशी तिथि लग जाने से प्रदोष पूजा नहीं हो सकेगी।

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English summary
Pradosh falling on a Saturday is known as Shani Pradosh and it considered very important in relation to Shiv Pooja as well as all kind of worship to appease Lord Shanidev.
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