Shani Jayanti 2020: पश्चिम दिशा में भूलकर भी न करें ये काम, यह है शनि की दिशा
नई दिल्ली। आज है शनि जंयती, आज हम बात करते शनि के प्रिय दिशा की, दरअसल वैदिक ज्योतिष की तरह ही वास्तु में भी दस दिशाओं को महत्व दिया गया है। इनमें से चार मुख्य दिशाएं पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण तथा इनकी चार उप दिशाएं ईशान, आग्नेय, नेऋत्य और वायव्य हैं। इसके अलावा आकाश और पृथ्वी को भी दिशाएं माना गया है। इस प्रकार कुल दस दिशाओं को मान्यता दी गई है। इन प्रत्येक दिशाओं का एक-एक प्रतिनिधि ग्रह होता है, जिसका प्रभाव उस दिशा से होता है। आज हम बात करेंगे केवल पश्चिम दिशा की, क्योंकि पश्चिम दिशा पर शनिदेव का आधिपत्य होता है।
पश्चिम दिशा अत्यंत महत्वपूर्ण
वास्तु शास्त्र में पश्चिम दिशा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इस दिशा पर शनिदेव का आधिपत्य होता है और वरुण इसके देवता होते हैं। इस दिशा में किसी भी प्रकार का दोष होना घर या प्रतिष्ठान के संपूर्ण वास्तु को बिगाड़कर रख देता है। इसलिए पश्चिम दिशा में किसी प्रकार का दोष नहीं होना चाहिए। पश्चिम दिशा सफलता, संपन्न्ता और उज्जवल भविष्य तय करने वाली दिशा है। इस दिशा में दोष होने पर वायु संबंधी विकार, कुष्ठ रोग, पैरों में दर्द एवं जीवन में प्रसिद्धि एवं सफलता की कमी बनी रहती है।
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पश्चिम दिशा के दोष
- जिस प्रकार सूर्य पूर्व से उदित होकर पश्चिम में अस्त होता है, उसी प्रकार इसकी ऊर्जा भी पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित होती है। पश्चिम दिशा में डूबते सूर्य की रोशनी रहती है, इसलिए घर की इस दिशा में ज्यादा बड़ा खुला एरिया नहीं होना चाहिए, इससे घर की सुख-समृद्धि प्रभावित होती है।
- पश्चिम दिशा में घर का मुख्य दरवाजा नहीं होना चाहिए। यदि प्लॉट का वास्तु ऐसा है कि मुख्य दरवाजा पश्चिम दिशा में बनाना पड़ रहा है, तो दरवाजे के दोनों ओर थोड़ी दूरी पर ऊंचे घने छायादार पेड़ लगाना चाहिए, ताकि सूर्य की क्षीण ऊर्जा घर में प्रवेश्ा ना कर सके।
- यदि पश्चिम दिशा में खिड़कियां लगाई हुई हैं तो उनका आकार पूर्व दिशा वाली खिड़कियों से छोटा होना चाहिए।
- दंपती को पश्चिम दिशा में अपना बेडरूम नहीं बनाना चाहिए इससे जीवन में स्थायित्व नहीं रहता। आजीविका में बार-बार बदलाव आता है या पति-पत्नी लंबे समय तक साथ नहीं रह पाते हैं।
- पश्चिम दिशा में किचन बनाने से घर में खर्च अधिक रहता है।
- पश्चिम दिशा में पूजा कक्ष या मेडिटेशन रूम बनाने से घर का मुखिया स्वार्थी होता है।
- पश्चिम दिशा में टूटे-फूटे फर्नीचर आदि नहीं रखना चाहिए। इससे बदहाली आती है।
ये कर सकते हैं पश्चिम दिशा में
- पश्चिम दिशा में गेस्ट रूम बनाया जा सकता है, या बच्चों का कमरा बनाया जा सकता है।
- पश्चिम दिशा में ओवरहेड वाटर टैंक बनाया जा सकता है।
- पश्चिम दिशा की दीवारों पर वॉयलेट या ग्रे जैसे डार्क रंग करना चाहिए। यह इस दिशा के ग्रह शनि को सूट करती है।
- पश्चिम दिशा में घर का स्लोप नहीं होना चाहिए। इस दिशा में घर का तल पूर्व की अपेक्षा ऊंचा होना चाहिए।
- पश्चिम दिशा में बनाई जाने वाली कंपाउंडिंग वॉल मोटी और अधिक ऊंची होना चाहिए।
ये हैं दिशाओं के देवता और ग्रह
- पूर्व - सूर्य इंद्र, पश्चिम- शनि वरुण, उत्तर- बुध कुबेर,
- दक्षिण- मंगल यम,
- उत्तर पूर्व (ईशान)- गुरु शिव,
- दक्षिण पूर्व (आग्नेय)- शुक्र अग्नि देवता,
- दक्षिण पश्चिम (नैऋत्य)- राहु-केतु,
- उत्तर पश्चिम (वायव्य)- चंद्र वायु देवता।
दोष दूर करने के लिए ये करें
- पश्चिम दिशा में यदि किसी प्रकार का दोष है और उसे दूर करना संभव नहीं हो रहा हो तो घर में शनि यंत्र की स्थापना करके उसकी नियमित पूजा करें।
- पश्चिम दिशा की दीवारों पर डार्क रंग किया जा सकता है। इससे संबंधित ग्रह की दृष्टि सौम्य होगी।
- ऐसे घरों में रहने वाले लोगों को मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
- भैरो की उपासना करने से पश्चिम दिशा के दोष दूर होते हैं।
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