2019 में खूब बजेंगी शहनाइयां, मई में सबसे ज्यादा मुहूर्त
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में शुभ समय का बहुत महत्व है। प्रत्येक शुभ कार्य करने के लिए पंचांग में मुहूर्त देखने या पंडित से मुहूर्त निकलवाने की परंपरा रही है। इसका उद्देश्य यह रहता है कि जो भी कार्य किया जा रहा है उसमें पूर्ण सफलता मिले। खासकर विवाह जैसे कार्य के लिए तो अत्यंत शुद्ध और शुभ मुहूर्त होना जरूरी है, क्योंकि यह दो स्त्री-पुरुषों का ही नहीं बल्कि दो परिवारों के सुखद भविष्य का भी सवाल होता है। विवाह के लिए सूर्य, चंद्र एवं गुरु की शुद्धता देखना आवश्यक होता है। वर्ष 2019 में विवाह के अनेक मुहूर्त हैं, 14 जनवरी तक मलमास होने के कारण साल 2019 का पहला विवाह मुहूर्त 17 जनवरी को आएगा। अनेक मुहूर्तों में पूजा करवाना आवश्यक होगी। यह वर-वधू के गुरुबल, चंद्रबल और सूर्यबल के आधार पर स्थानीय ज्योतिषी तय करेंगे। विवाह के लिए कन्या का गुरुबल और वर का सूर्यबल देखा जाता है। उसके अनुसार ही विवाह का मुहूर्त तय होता है।
ये हैं विवाह के शुद्ध मुहूर्त
जनवरी
- 17 जनवरी गुरुवार, पौष शुक्ल एकादशी
- 18 जनवरी शुक्रवार, पौष शुक्ल द्वादशी
- 22 जनवरी मंगलवार, माघ कृष्ण द्वितीया
- 23 जनवरी बुधवार, माघ कृष्ण तृतीया
- 25 जनवरी शुक्रवार, माघ कृष्ण पंचमी
- 26 जनवरी शनिवार, माघ कृष्ण षष्ठी
- 29 जनवरी मंगलवार, माघ कृष्ण नवमी
फरवरी
- 8 फरवरी शुक्रवार, माघ शुक्ल तृतीया
- 9 फरवरी शनिवार, माघ शुक्ल चतुर्थी
- 10 फरवरी रविवार, माघ शुक्ल पंचमी
- 19 फरवरी मंगलवार, माघ पूर्णिमा
- 21 फरवरी गुरुवार, फाल्गुन कृष्ण द्वितीया
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मार्च
- 8 मार्च शुक्रवार, फाल्गुन शुक्ल द्वितीया
- 9 मार्च शनिवार, फाल्गुन शुक्ल तृतीया
- 15 अप्रैल सोमवार, चैत्र शुक्ल दशमी-एकादशी
- 16 अप्रैल मंगलवार, चैत्र शुक्ल द्वादशी
- 17 अप्रैल बुधवार, चैत्र शुक्ल त्रयोदशी
- 19 अप्रैल शुक्रवार, चैत्र पूर्णिमा
- 20 अप्रैल शनिवार, वैशाख कृष्ण प्रतिपदा
- 22 अप्रैल सोमवार, वैशाख कृष्ण तृतीया
- 6 मई सोमवार, वैशाख शुक्ल द्वितीया
- 7 मई मंगलवार, वैशाख शुक्ल तृतीया
- 12 मई रविवार, वैशाख शुक्ल अष्टमी
- 13 मई सोमवार, वैशाख शुक्ल नवमी
- 14 मई मंगलवार, वैशाख शुक्ल दशमी
- 15 मई बुधवार, वैशाख शुक्ल एकादशी
- 17 मई शुक्रवार, वैशाख शुक्ल त्रयोदशी
- 18 मई शनिवार, वैशाख पूर्णिमा
- 19 मई रविवार, ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा
- 23 मई गुरुवार, ज्येष्ठ कृष्ण पंचमी
- 28 मई मंगलवार, ज्येष्ठ कृष्ण नवमी
- 29 मई बुधवार, ज्येष्ठ कृष्ण दशमी
- 30 मई गुरुवार, ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी
- 8 जून शनिवार, ज्येष्ठ शुक्ल षष्ठी
- 9 जून रविवार, ज्येष्ठ शुक्ल सप्तमी
- 10 जून सोमवार, ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी
- 12 जून बुधवार, ज्येष्ठ शुक्ल दशमी
- 15 जून शनिवार, ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी
- 16 जून रविवार, ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्दशी
- 24 जून सोमवार, आषाढ़ कृष्ण सप्तमी
- 25 जून मंगलवार, आषाढ़ कृष्ण अष्टमी
- 7 जुलाई रविवार, आषाढ़ शुक्ल पंचमी
- 8 जुलाई सोमवार, आषाढ़ शुक्ल षष्ठी
- 10 जुलाई बुधवार, आषाढ़ शुक्ल नवमी
- 11 जुलाई गुरुवार, आषाढ़ शुक्ल दशमी
- 19 नवंबर मंगलवार, मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी
- 20 नवंबर बुधवार, मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी
- 21 नवंबर गुरुवार, मार्गशीर्ष कृष्ण नवमी
- 22 नवंबर शुक्रवार, मार्गशीर्ष कृष्ण दशमी
- 23 नवंबर शनिवार, मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी
- 28 नवंबर गुरुवार, मार्गशीर्ष शुक्ल द्वितीया
- 30 नवंबर शनिवार, मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी
अप्रैल
मई
जून
जुलाई
नवंबर
दिसंबर
7
दिसंबर
शनिवार,
मार्गशीर्ष
शुक्ल
एकादशी
11
दिसंबर
बुधवार,
मार्गशीर्ष
शुक्ल
चतुर्दशी
12
दिसंबर
गुरुवार,
मार्गशीर्ष
शुक्ल
पूर्णिमा
विवाह के अशुद्ध मुहूर्त
उपरोक्त तिथियां विवाह के शुद्ध मुहूर्त हैं। इनके अलावा इस वर्ष विवाह के कई अशु्रद्ध मुहूर्त भी हैं, जिनमें वैध योग, मृत्युपंचक, संक्रमण दोष, दग्धा योग जैसे अनेक योग आ रहे हैं। अति आवश्यक होने पर ही अशुद्ध तिथियों में विवाह किए जाना चाहिए। अशुद्ध मुहूर्तों में कुछ विशेष पूजन की आवश्यकता रहती है। उसके लिए किसी विद्वान ज्योतिषी से सलाह लेकर ही काम करें।
मलमास
15 मार्च 2019 फाल्गुन शुक्ल नवमी को सूर्य के मीन राशि के प्रवेश करने के साथ ही मलमास प्रारंभ हो जाएगा जो 14 अप्रैल 2019 चैत्र शुक्ल नवमी तक रहेगा। अतः इस एक माह की अवधि के दौरान विवाह कार्य नहीं हो सकेंगे।
देवशयनी एकादशी
12 जुलाई 2019 आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन देवशयनी एकादशी होने के कारण चातुर्मास प्रारंभ हो जाएगा जो 8 नवंबर 2019 देव प्रबोधिनी एकादशी तक चलेगा। अतः इन चार माह में विवाह नहीं होंगे। इसके बाद 16 दिसंबर 2019 से 15 जनवरी 2020 तक धनुर्मास या मलमास रहने के कारण विवाह नहीं होंगे। इस बीच 15 दिसंबर 2019 से 10 जनवरी 2020 तक गुरु भी अस्त रहेंगे।
नोट: विवाह की उपरोक्त तिथियां उज्जैनी पंचागों के आधार पर है। स्थान और पंचांग भेद तथा मतांतर के कारण इन तिथियों में आंशिक परिवर्तन हो सकता है। विवाह की तारीखों के लिए विद्वजन भावी वर-वधू की कुंडलियों और नाम राशि के अनुसार स्थानीय ज्योतिषियों से सलाह अवश्य लें।
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