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Sawan or Shravan 2019: कुंडली के अनेक दोषों की शांति होती है श्रावण में

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। श्रावण माह भगवान शिव का माह है और भगवान शिव को समस्त ग्रहों का जनक माना गया है। इसलिए इस माह में उनकी आराधना करके जन्मकुंडली के अनेक ग्रह दोषों की शांति की जा सकती है। इनमें प्रमुख हैं कालसर्प दोष, नाग दोष, ग्रहण दोष और पितृ दोष। इन दोषों की शांति के लिए भक्त पूरे वर्ष श्रावण माह की प्रतीक्षा करते हैं।

आइए जानते हैं कौन-से दोष की शांति के लिए श्रावण माह में क्या-क्या उपाय-प्रयोग किए जा सकते हैं...

कालसर्प दोष की शांति

कालसर्प दोष की शांति

जन्मकुंडली में जब राहु और केतु के मध्य अन्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है। जिन जातकों की कुंडली में स्पष्ट कालसर्प दोष होता है वे श्रावण माह में आने वाली कृष्णपक्ष की चतुर्दशी या अमावस्या तिथि को किसी ऐसे शिव मंदिर में जाएं जहां शिवलिंग पर सर्प नहीं हो। ऐसे शिवलिंग पर सर्प लगवाकर शिवमहिम्न स्तोत्र से अभिषेक करें। शिवजी को दूध से बनी मिठाई अर्पित करें। साथ ही 11 जरूरतमंद या भूखे लोगों को भोजन कराएं। इससे शिवकृपा तुरंत प्राप्त होगी और कालसर्प दोष की शांति होगी। इसी दिन कालसर्प दोष शांति अंगूठी बनवाकर भी धारण की जाती है। इस वर्ष कृष्णपक्ष की चतुर्दशी 31 जुलाई और अमावस्या 1 अगस्त को आ रही है।

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नाग दोष निवारण पूजा

नाग दोष निवारण पूजा

जिन लोगों को कुंडली में नागदोष बना हुआ है। वे श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि को व्रत रखे। इस दिन नागपंचमी व्रत किया जाता है। नागपचंमी 5 अगस्त को आ रही है। इस दोष के निवारण के लिए एक घड़े पर अष्टगंध से सर्प का आकार बनाकर पंचोपचार पूजन कर गीले आटे से चौमुखी दीपक बनाएं और घी डालकर उसे प्रज्जवलित करें। नागपंचमी की कथा सुनकर अपने परिवार की सुख-शांति, समृद्धि की कामना करें। किसी नाग की बाम्बी का पूजन कर वहां दूध रखें।

पितृदोष शांति का उपाय

जन्मकुंडली में पितृदोष होने पर पूरा जीवन अस्त-व्यस्त सा हो जाता है। सभी कार्यों में बाधाएं आती हैं और जीवन में संकट बने रहते हैं। यदि ऐसा है तो श्रावण के प्रत्येक सोमवार को घी से शिवजी का अभिषेक करें। शिवलिंग पर श्वेत चंदन का लेप करें। बिल्व पत्र, सफेद आंकड़े के फूल और धतूरे अर्पित करें। इससे पितृदोष की शांति होगी और आर्थिक तरक्की के रास्ते खुलेंगे। श्रावण अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी के किनारे पितरों के नाम पर तर्पण, पिंडदान करें, गरीबों को भोजन करवाएं।

ग्रहण दोष से मुक्ति

ग्रहण दोष से मुक्ति

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी जातक की जन्मकुंडली में सूर्य या चंद्र के साथ राहु या केतु बैठे हों तो ग्रहण दोष का निर्माण होता है। यह एक ऐसा दोष है जो सूर्य और चंद्र से मिलने वाले शुभ प्रभावों को रोक देता है। इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में कभी मान-सम्मान नहीं मिलता। वह दूसरों के लिए चाहे कितना भी कर ले लेकिन बदले में उसे कुछ हाथ नहीं लगता। यदि सूर्य के कारण ग्रहण दोष लगा हुआ है तो पूरे श्रावण माह में प्रातःकाल सूर्य को जल अर्पित करें और शुद्धजल में दूध और शकर मिलाकर शिवजी को हर दिन अर्पित करें। यदि चंद्र के कारण ग्रहण दोष लगा हुआ है तो पूरे श्रावण माह सायं के समय शिवजी को 108 बेलपत्र अर्पित करें। सुगंधित द्रव्यों से पूजन करें।

शनि शांति के उपाय

जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती चल रही है। वे श्रावण माह में प्रतिदिन 5 माला महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। इससे संकटों का नाश होगा और शनि की शांति होगी।

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English summary
Sawan or Shravan Month Starts from 17th July to 15th August, here is full list of saawan fast. Sawan is a fifth month in the Hindu calendar. Read Its Importance.
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