Saturn Effect: सबसे खतरनाक होती है शनि की तीसरी दृष्टि
नई दिल्ली। वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की दृष्टि बहुत मायने रखती है। प्रत्येक ग्रह कुंडली में अपने से सातवें घर में मौजूद ग्रह को पूर्ण दृष्टि से देखता है। यानी कोई ग्रह जिस भी घर में बैठा है, वह अपने से सातवें घर में मौजूद ग्रह पर अपना पूर्ण प्रभाव दिखाता है, लेकिन इनमें से मंगल ग्रह चौथे और आठवें, बृहस्पति ग्रह पांचवें और नौवें तथा शनि तीसरे और दसवें घर को भी देखते हैं यानी इन तीन ग्रहों की तीन-तीन दृष्टियां होती हैं।
शनि की दृष्टि
अभी हम बात करते हैं केवल शनि की दृष्टि की। शनि की तीन दृष्टियों 3,7,10 में से तीसरी दृष्टि को सबसे शक्तिशाली और खतरनाक माना गया है। किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में शनि की तीसरी दृष्टि जिस भी घर पर होती है, जातक को उस घर से संबंधित परिणाम प्राप्त करने में कड़ा संघर्ष और मेहनत करना पड़ती है। ऐसे जातक को अपनी 32 वर्ष की आयु तक तो तीसरी दृष्टि वाले घर से संबंधित फल पाने के लिए एड़ी-चोटी तक का जोर लगाना पड़ता है। 32 की आयु के बाद से संघर्ष कुछ कम जरूर होता है, लेकिन मेहनत फिर भी जबर्दस्त करना पड़ती है।
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शनि की तीसरी दृष्टि के प्रभाव
- किसी जन्मकुंडली में यदि शनि पहले भाव में बैठा है तो उसकी दृष्टि तीसरे, सातवें और दसवें घर पर होती है। तीसरा घर भाई-बहन, परिजनों का होता है। सातवां घर वैवाहिक जीवन का और दसवां घर आजीविका का होता है। यानी इन तीनों से संबंधित शुभ फल पाने के लिए जातक को बहुत संघर्ष करना होता है।
- पहले भाव के शनि की दृष्टि तीसरे भाव पर सबसे ज्यादा शक्तिशाली तरीके से होती है। यानी जातक को भाई-बहनों का सुख, परिजनों का सुख नहीं मिल पाता है।
- शनि की तीसरी दृष्टि जिस भाव पर पड़ती है, उस भाव का स्वामी यदि कुंडली में नीच राशि का है, कमजोर है तो उस भाव से संबंधित चीजों के लिए जातक को जीवनभर मेहनत करना होती है।
- शनि की तीसरी दृष्टि जिस भाव पर पड़ रही है, उस भाव का स्वामी यदि कुंडली में उच्च का है, बलवान है तो तीसरी दृष्टि राहत भी दे सकती है। इस अवस्था में संघर्ष कम करना पड़ता है, लेकिन मेहनत तो फिर भी खूब करवाता है। और मेहनत के अनुसार ही परिणाम भी देता है।
- शनि की तीसरी दृष्टि यदि दूसरे भाव पर पड़ रही है तो जातक को धन की प्राप्ति के लिए दिन-रात दौड़ लगाना पड़ती है।
तीसरी दृष्टि से राहत के उपाय क्या हैं?
- यह तो सभी जानते हैं कि शनि की तीसरी दृष्टि बहुत संघर्षपूर्ण जीवन बनाती है, लेकिन इससे बचने का या इससे राहत पाने का कोई तो उपाय होगा। जी हां, वैदिक ज्योतिष में शनि की दृष्टि से बचने के कुछ उपाय बताए गए हैं। इससे परेशानियों में कमी आती है।
- शनि देव की नियमित सेवा, गरीबों की सेवा, भिखारियों की सेवा, कौढ़ियों की सेवा करने से शनि की तीसरी दृष्टि से कुछ राहत मिलती है।
- घर आए अतिथियों का कभी अपमान, तिरस्कार ना करें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार जो उनके लिए कर सकें अवश्य करें।
- शनिवार के दिन लाल कंबल का आसन बिछाकर, लाल धोती या शोला पहनकर हनुमानजी की मूर्ति के सामने तेल का दीपक लगाकर हनुमान चालीसा के 21 पाठ करने से शनि की तीसरी दृष्टि से राहत मिलती है।
- शनिवार के दिन काले घोड़े को सवा किलो भिगोए हुए चने खिलाने से शनि की दृष्टि से राहत मिलती है।
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