धनवान पुरूष के लक्षण जानिए सामुद्रिक शास्त्र से...
लखनऊ। भौतिक जगत में धन की बहुत अधिक महत्ता है। धन की जरूरत सबको चाहे गरीब हो , अमीर हो, सन्यासी हो आदि। धन के बगैर न धर्म किया जाता सकता है और न ही किसी भूखे की क्षुधा को शान्त किया जा सकता है।
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इसलिए धन की देवी लक्ष्मी की आज के दौर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। कबीर दास जैसे महान सन्त ने भी धन की महत्ता के बारे में बखान किया है-सांई इतना दीजिये जितना कुटुम्ब समाय, मैं भी भूखा न रहूं, साधु भी भूखा न जाय।
आज आईये आपको बताते है कि सामुद्रिक शास्त्र में धनवान पुरूष के क्या लक्षण बताये गये है...
अंगुष्ठयवैराढयाः
सुतवन्तोगुंष्ठमूलगैश्च
यवैः।
दीर्घागंलिपवार्ण
सुभगो
दीर्घायुषश्चैव।।
धनी मनुष्यों के अंगूठे में यव का चिन्ह होता है अॅगूठे के मूल में यव का चिन्ह हो तो पुत्रवान होते है। यदि अॅगुलियों के पर्व लम्बे हो तो भाग्यशाली व दीर्घायु होता है।
स्निगधा
नित्ना
रेखा
र्धाननां
व्यव्ययेन
निःस्वानाम्।
विरलागंलयो
निःस्वा
धनसज्जायिनो
घनागंलयः।।
धनी मनुष्यों के हाथ की रेखायें चिकनी और गहरी होती है, दरिद्रों की इससे विररीत होती है। बीडर अॅगुलियों वाले पुरूष धनहीन और घनी अॅगुलियों व्यक्ति धन का संचय करने वाले होते है।
चक्रासि-परशु-तोमर-शक्ति-धनुः-कुन्तासन्निभा
रेखा।
कुर्वन्ति
चमूनार्थं
यज्वानमुलूखलाकारा।।
जिसके
हाथ
में
चक्र,
तलवार,
फरसा,
तोमर,
शक्ति,
घनुष
और
भाले
की
सदृश
रेखायें
हो
तो
वह
जातक
सेना,
पुलिस
आदि
में
उच्च
पद
पर
आसीन
होता
है।
ओखरी
के
समान
रेखा
हो
तो,
वह
पुरूष
विधिपूर्वक
यज्ञ
करने
वाला
होता
है।
मकर-ध्वज-कोष्ठागार-सन्निभार्भर्महाधनोपेताः।
वेदीनिभेन
चैवाग्रिहोत्रिणो
ब्रम्हतीर्थम।।
जिसके
हाथ
में
मकर,
ध्वज,
कोष्ठ
और
मन्दिर
के
चिन्ह
विशेष
की
रेखायें
हो
तो,
वह
व्यक्ति
महाधनी
होता
है
और
ब्रम्हतीर्थ
अथवा
अंगुष्ठमूल
में
वेदी
के
समान
चिन्ह
हो
तो,
वह
अग्निहोत्री
होता
है।
वापी-देवगृहाद्यैर्धर्मं
कुर्वन्ति
च
त्रिकोणाभिः।
अंगुष्ठमूलरेखाः
पुत्राः
स्युर्दारिकाः
सूक्ष्मा।।
यदि किसी जातक के हाथ में बावली, देवमन्दिर अथवा त्रिकोण का चिन्ह हो तो, वह मनुष्य धर्मात्मा होते है और अॅगूठे के मूल में मोटी रेखायें पुत्रों की मानी जाती है तथा स्क्षूम रेखायेंक कन्याओं की मानी जाती है।