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Shani Dosh Nivaran: शनि की पीड़ा से बचा लेता है रूद्राक्ष
नई दिल्ली। भगवान शिव का प्रिय रूद्राक्ष इसे धारण करने वालों की आध्यात्मिक उन्न्ति तो कराता ही है यह शनि दोष से भी बचा लेता। बहुत कम लोगों को यह जानकारी होगी कि रूद्राक्ष धारण करने से शनि के कुप्रभावों से रक्षा होती है। यदि जातक को शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही है या जन्मकुंडली में शनि पीड़ा दे रहा है तो रूद्राक्ष धारण करने से शनि की पीड़ा को शांत किया जा सकता है।
आइए जानते हैं शनि की किस प्रकार की पीड़ा को दूर करने के लिए कौन सा रूद्राक्ष धारण करना चाहिए...
शनि की पीड़ा से बचा लेता है रूद्राक्ष
- जन्मकुंडली में जब शनि खराब होता है तो यह रोजगार के लिए जातक को यहां-वहां भटकाता रहता है। व्यक्ति को कोई स्थायी जॉब नहीं मिल पाता है। यदि आपके साथ भी ऐसा ही कुछ है तो इस समस्या से मुक्ति और अच्छा जॉब पाने के लिए 10 मुखी रूद्राक्ष शनिवार के दिन लाल धागे में गले में धारण करें। कुछ मामलों में एक साथ तीन दस मुखी रूद्राक्ष भी धारण कराए जाते हैं।
- शनि की पीड़ा से व्यक्ति भयंकर शारीरिक कष्ट झेलने को मजबूर हो जाता है। जातक को सिर और पेट संबंधी रोग हो जाते हैं। शनि के कारण आपका शरीर रोगों का घर हो गया है तो शनिवार के दिन गले में आठ मुखी रूद्राक्ष धारण करें। ज्यादा बीमारी होने पर आठ मुखी रूद्राक्ष के 54 दानों वाली माली भी पहनी जा सकती है।
- शनि की साढ़ेसाती या ढैया होने पर गले में पांच मुखी रूद्राक्ष की माला धारण करें। इसे शनिवार या सोमवार के दिन धारण करें और धारण करने के पहले इसी माला से शनि के मंत्र ऊं शं शनैश्चराय नम: और शिव जी के मंत्र ऊं नम: शिवाय की एक-एक माला जाप करें।
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अशुभ दृष्टि
- जन्मकुंडली में शनि नीच का हो, अशुभ स्थान में हो, शुभ ग्रहों पर अशुभ दृष्टि डाल रहा हो तो उसके बुरे प्रभाव से बचने के लिए एक मुखी और ग्यारह मुखी रुद्राक्ष एक साथ धारण करें। इसमें 1, एक मुखी और दो, ग्यारह मुखी रुद्राक्ष रखें। इन्हें शनिवार के दिन एक साथ लाल धागे में धारण करें।
- शनि के कारण आर्थिक हानि हो रही हो, नौकरी, बिजनेस में तरक्की नहीं हो पा रही है। खर्च बढ़ता जा रहा है तो पांच मुखी और सात मुखी रूद्राक्ष एक साथ लाल धागे में पहनें। इससे आपके आत्मविश्वास में भी जबर्दस्त तरीके से वृद्धि होगी।
- रूद्राक्ष अत्यंत प्रभावी और पवित्र वस्तु है। इसलिए इसे धारण करने के भी कुछ नियम बनाए गए हैं। इसकी शुद्धता, पवित्रता, सात्विकता बनाए रखना आवश्यक है। वरना रूद्राक्ष का शुभ फल नहीं मिलेगा।
- रूद्राक्ष को कलाई, गले और हृदय पर धारण किया जा सकता है।
- इसे गले में धारण करना सर्वोत्तम माना गया है। कलाई में 12, गले में 36 और हृदय पर 108 दानों को धारण करना चाहिए।
- हृदय तक लाल धागे में एक दाना रूद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
- सावन में, सोमवार को और शिवरात्री के दिन रूद्राक्ष धारण करना श्रेष्ठ होता है। रूद्राक्ष धारण करने के पहले उसे शिव जी को समर्पित जरूर करें।
- जो माला धारण करने जा रहे हैं उसी माला या रूद्राक्ष पर मंत्र जाप करना चाहिए।
- रूद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को सात्विक रहना चाहिए। रूद्राक्ष पहना हुआ है तो मांसाहार, शराब आदि का सेवन ना करें। स्त्रीगमन करते समय भी रूद्राक्ष निकाल देना चाहिए।
- गृहस्थ व्यक्तियों को शवयात्रा में, श्मशान में जाने से पहले रूद्राक्ष को उतारकर रख देना चाहिए। यदि श्मशान में रूद्राक्ष पहनकर चले गए तो रूद्राक्ष का पवित्रिकरण करना आवश्यक होता है।
रूद्राक्ष धारण करने के नियम
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English summary
Shani Dosh nivaran combinations of 7 face (mukhi), 10 face (mukhi) and 11 face (mukhi). Seven Mukhi (7mukhi) saat mukhi - This mukhi is ruled by Saturn(Shani).
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