Kundali: अगर कुंडली में है ये योग तो नहीं रहेगी कभी भी पैसे की तंगी
लखनऊ। भारतीय ज्योतिष में जातक के सम्पूर्ण जीवन को यहां तक की माता-पिता, भाई-बहन, मामा, मित्र, सुसराल आदि को भी कुण्डली के बारह भावों से जोड़ा गया हैं। कुण्डली के इन बारह भावों से सुख-दुख, धन, वैभव, करियर, प्रतिष्ठा आदि सबकुछ जाना जा सकता है। पत्री में अनेको योगों का निर्माण होता है, जिसमें कुछ अशुभ योग होते है और कुछ शुभ।
आईये आज बात करते है जन्मपत्री के कुछ ऐसे योगों पर जिनके उपस्थित होने पर जातक के जीवन में धन, वैभव, पद-प्रतिष्ठा, सम्मान आदि की कमी नहीं रहती है।
अष्टलक्ष्मी योग
यदि किसी जातक की कुंडली में राहु छठे भाव में स्थित होता है और केन्द्र में गुरु विराजमान होता है तो यहां अष्टलक्ष्मी नामक शुभ योग बनता है। जिस जातक की कुंडली में यह योग होता है, उसके पास धन वैभव की कमी नहीं रहती है।
सरस्वती योग
जब शुक्र, बृहस्पति और बुध ग्रह एक दूसरे के साथ में हों या फिर केंद्र में बैठकर युति या फिर दृष्टि किसी भी प्रकार से एक दूसरे से संबंध बना रहे हों। तब सरस्वती नामक योग बनता है। जिस जातक की कुंडली में यह योग होता है उस पर मां सरस्वती की कृपा बनी रहती हैं। ऐसे जातक रचनात्मक क्षेत्रों में विशेषकर कला एवं ज्ञान के क्षेत्र में बड़ा नाम कमाते हैं जैसे कला, संगीत, लेखन एवं शिक्षा के क्षेत्र में आप ख्याति प्राप्त कर सकते है।
यह पढ़ें: Astrological Gemstones: रत्न धारण एवं चयन की नियम और शर्ते
अमला योग
जब जातक की जन्म पत्रिका में चंद्रमा से दसवें स्थान पर कोई शुभ ग्रह स्थित हो तो यह योग बनता है। अमला योग भी व्यक्ति के जीवन में धन और यश प्रदान करता है।
गजकेसरी
योग
जब चंद्रमा से केंद्र स्थान में पहले, चैथे, सातवें या दसवें स्थान में बृहस्पति हो तो इस योग को गजकेसरी योग कहते हैं। इसके अलावा चंद्रमा और बृहस्पति का साथ हो तब भी इस योग का निर्माण होता हैं। लग्न स्थान में कर्क, धनु, मीन, मेष या वृश्चिक के होने पर यह कारक प्रभाव माना जाता है। जिसकी जन्म कुंडली में यह योग बनता है वो व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली जातक होता है और वो कभी भी अभाव में जीवन व्यतीत नहीं करता।
नृप योग
जातक की कुंडली में यह योग तभी बनता है जब तीन या तीन से अधिक ग्रह उच्च स्थिति में रहते हों। जिस जातक की कुंडली में यह योग बनता है उस जातक का जीवन राजा की तरह व्यतीत होता है। अगर व्यक्ति राजनीति में है तो वह इस योग के सहारे शिखर तक पहुंच सकता हैं। ऐसे जातक जिस क्षेत्र में होते है, उस क्षेत्र में शिखर तक पहुंचते है।
यह पढ़ें:Kundali: पितृदोष का क्या पड़ता है जीवन पर प्रभाव?