एकादशी के साथ रवि-पुष्य का बना शुभ संयोग, स्वर्ण पूजा से खुलेंगे स्वर्णिम द्वार
नई दिल्ली। 17 मार्च रविवार को तीन शुभ संयोगों से मिलकर एक पूर्ण शुभ, समृद्धिदायक और भाग्यशाली योग बन रहा है। इस दिन रविवार, पुष्य नक्षत्र और एकादशी एक साथ आ जाने से अत्यंत शुभ संयोग बना है। रविवार को पुष्य नक्षत्र का आना रवि-पुष्य संयोग तो बना रहा है, साथ में एकादशी का योग होने से यह दिन विशेष लाभदायक, धनदायक, समृद्धिदायक और सुख दायक बन गया है।
एकादशी
प्रारंभ
16
मार्च
रात्रि
11.32
से
एकादशी
पूर्ण
17
मार्च
रात्रि
8.50
तक
पुष्य
नक्षत्र
प्रारंभ
16
मार्च
मध्यरात्रि
के
बाद
2.12
से
पुष्य
नक्षत्र
पूर्ण
17
मार्च
मध्यरात्रि
के
बाद
00.
बड़े दिनों बाद बनता है ऐसा शुभ संयोग
ऐसा शुभ संयोग बड़े दिनों बाद बनता है। इस योग में आई एकादशी का व्रत करने से जातक को अतुलनीय स्वर्ण की प्राप्ति होती है। उसके सारे पापों का क्षय हो जाता है और वह जातक स्वयं भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का प्रिय बन जाता है। इसे जीवन में फिर किसी वस्तु का अभाव नहीं रह जाता है। फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष में आने वाली यह एकादशी रंगभरी एकादशी कहलाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव मां पार्वती का गौना करवाकर काशी लाए थे। इसलिए इस दिन काशी में भव्य उत्सव मनाया जाता है। इसे आमलकी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से जातक को स्वर्ण के आंवलों की प्राप्ति होती है।
क्या करें रवि-पुष्य, एकादशी के दिन
- रवि-पुष्य नक्षत्र होने के कारण इस दिन स्वर्ण की पूजा अवश्य करें। अपने घर में जितने भी स्वर्ण के आभूषण हों, उन्हें गंगाजल से धोकर मां लक्ष्मी के चरणों में रखें और लाल कुमकुम और लाल सुगंधित गुलाब के पुष्पों से पूजन करें। इससे स्वर्ण के आभूषणों में वृद्धि होगी।
-
रवि-पुष्य
नक्षत्र
में
स्वर्ण
खरीदने
का
भी
महत्व
है।
संभव
हो
तो
स्वर्ण
का
कोई
आभूषण
इस
दिन
जरूर
खरीदें।
-
आमलकी
एकादशी
होने
के
कारण
इस
दिन
आंवले
के
वृक्ष
की
पूजा
करें।
वृक्ष
की
जड़
में
ताजे
जल
में
कच्चा
दूध
और
मिश्री
मिलाकर
अर्पित
करें।
इससे
स्त्रियों
के
सुख-सौभाग्य
में
वृद्धि
होती
है।
शिव और मां पार्वती को चढ़ाएं गुलाल
-
रंगभरी
एकादशी
होने
से
इस
दिन
भगवान
शिव
और
मां
पार्वती
को
अबीर-गुलाल
अवश्य
अर्पित
करें।
उनके
साथ
होली
खेलें।
इससे
मोक्ष
की
प्राप्ति
होती
है।
भगवान
शिव
की
कृपा
प्राप्त
होती
है।
-
इस
एकादशी
का
व्रत
रखें
और
भगवान
विष्णु
और
शिव
के
मंत्रों
का
जाप
करते
रहें।
-
किसी
विष्णु
मंदिर
में
जाकर
गाय
के
शुद्ध
घी
का
भोग
विष्णुदेव
को
लगाएं।
मां
लक्ष्मी
को
लाल
गुलाब
और
मिश्री
नैवेद्य
में
अर्पित
करें।
इससे
अतुलनीय
धन-संपदा
प्राप्त
होगी।
-
चूंकि
यह
समय
मलमास
का
भी
है
इसलिए
इस
दिन
भगवान
सूर्य
देव
की
आराधना
करें।
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