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Raksha Bandhan 2019: रक्षाबंधन पर नहीं रहेगा भद्रा का साया, पूरे दिन बांधी जा सकेगी राखी

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा 15 अगस्त 2019 गुरुवार को आ रही है। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं होने के कारण पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी। भद्रा एक दिन पूर्व ही समाप्त हो जाने से इस बार राखी बांधने में भद्रा अड़चन नहीं बनेगी। हालांकि रक्षाबंधन की रात्रि में 9 बजकर 28 मिनट से पंचक लग जाने के कारण उसके बाद राखी नहीं बांधी जा सकेगी। इसके अलावा दोपहर में 2 बजकर 08 मिनट से 3 बजकर 44 मिनट तक राहू काल होने के कारण इस समय में भी राखी नहीं बांधी जा सकेगी। श्रावणी पूर्णिमा का व्रत करने वालों के लिए भी यह दिन खास होगा। इस दिन सुख, सौभाग्य, धन, धान्य, संपत्ति, आयु, आरोग्य और दांपत्य जीवन में मधुरता प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा का विधान भी है।

श्रावणी उपाकर्म

श्रावणी उपाकर्म

यज्ञोपवित धारण करने वाले ब्राह्मण वर्ग के जातक श्रावण पूर्णिमा के दिन श्रावणी उपाकर्म करते हैं। यह क्रिया किसी पवित्र नदी के घाट पर करने का विधान है, लेकिन हर जगह नदियां उपलब्ध नहीं होने के कारण यह क्रिया मंदिरों में भी संपन्न की जाती है। श्रावणी उपाकर्म संस्कार वही ब्राह्मण करते हैं जिनका यज्ञोपवित हो चुका है। इस दिन वैदिक विधि से यज्ञोपवित बदला जाता है। श्रावणी उपाकर्म के मुख्यतः तीन पक्ष होते हैं प्रायश्चित्त संकल्प, संस्कार और स्वाध्याय। प्रायश्चित्त संकल्प के दौरान ब्राह्मण अपने गुरु के सानिध्य में गाय के पंचगव्य से स्नान करके वर्षभर किए अपने पापों के प्रायश्चित्त करता है। स्नान के बाद ऋषिपूजन, सूर्योपस्थान और यज्ञोपवित पूजन करके नया यज्ञोपवित धारण करते हैं। दूसरा होता है संस्कार। नया यज्ञोपवित धारण करने को यज्ञोपवित संस्कार कहा जाता है। तीसरा है स्वाध्याय। इसमें जौ के आटे में दही मिलाकार ऋग्वेद के मंत्रों से सप्तऋषियों समेत देवताओं आदि के नाम की आहूति दी जाती है। इसके बाद वेदाध्ययन प्रारंभ किया जाता है।

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राखी बांधने का मुहूर्त

राखी बांधने का मुहूर्त

  • चर: प्रातः 10.54 से 12.31 बजे तक
  • लाभ: दोप. 12.31 से 2.08 बजे तक
  • शुभ: सायं 5.21 से 6.58 बजे तक
  • अमृत: सायं 6.58 से रात्रि 8.21 बजे तक
  • चर: रात्रि 8.21 से 9.28 बजे तक
  • अभीजित मुहूर्त: दोप. 12.05 से 12.57 बजे तक
  • इस समय में ना बांधे राखी

    इस समय में ना बांधे राखी

    • यम घंटा: प्रातः 6.04 से 7.41 बजे तक
    • राहू काल: दोप. 2.08 से 3.44 बजे तक
    श्रावण पूर्णिमा व्रत

    श्रावण पूर्णिमा के दिन व्रत का विधान भी है। जो लोग वर्षभर की पूर्णिमा का व्रत रखते हैं उनके लिए यह व्रत महत्वपूर्ण है। इसे कजरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। श्रावणी पूर्णिमा व्रत करने से जीवन की समस्त समस्याओं का हल मिलता है। धन, संपदा की प्राप्ति होती है और व्यक्ति संपूर्ण सुखों का भोग करते हुए निरोगी जीवन व्यतीत करता है। इस दिन व्रती प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प करें और निराहार रहे। इस दिन भगवान विष्णु लक्ष्मी की पूजा की जाती है। यह दिन श्रावण माह का अंतिम दिन होने के कारण इस दिन पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक भी किया जाता है। श्रावण पूर्णिमा के दिन गाय को चारा खिलाना, मछलियों को आटे की गोलियां खिलाने का महत्व है। इस दिन चंद्र पूजा से चंद्र दोष से मुक्त हुआ जा सकता है।

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English summary
Raksha Bandhan is celebrated in Shravana month during full moon day or Purnima day. here is Raksha Bandhan or Rakhi Muhurat.
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