भाई के सुख, सौभाग्य और आयु में वृद्धि करेगी वैदिक रीति से बनी राखी
नई दिल्ली। वैदिक काल से भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को सामाजिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। वेद-पुराणों से लेकर रामायण, महाभारत तक में भाई-बहन के स्नेह और त्याग के कई चर्चित उदाहरण मिल जाएंगे। रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा के अपमान का बदला राम से लेने के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए, वहीं महाभारत में श्रीकृष्ण-सुभद्रा के स्नेह के बारे में सभी जानते हैं। भाई के लिए बहन और बहन के लिए भाई अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसीलिए भाई-बहन के पवित्र स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस त्योहार का मूल उद्देश्य बहनों द्वारा भाई को बांधे जाने वाले रक्षासूत्र में दिखाई देता है। बहन इस कामना से भाई को रक्षासूत्र बांधती है कि भाई की आयु-आरोग्य, यश्ा-कीर्ति में वृद्धि हो। वहीं भाई भी उस रक्षासूत्र की लाज रखते हुए सदैव बहन के हित और सुरक्षा के लिए उसके साथ होने का वचन देता है।
रक्षासूत्र वैदिक रीति के आधार पर बनाए जाते थे
प्राचीन काल में रक्षासूत्र वैदिक रीति के आधार पर बनाए जाते थे, लेकिन आजकल तो बाजार में तरह-तरह की चमचमाती राखियां नजर आने लगी हैं। यदि आप भी चाहती हैं कि आपका भाई हमेशा तरक्की करता रहे, उसकी आयु बढ़ती रहे और वह सदा निरोगी रहे तो आप भी इस रक्षाबंधन पर भाई के लिए वैदिक रीति से रक्षासूत्र बनाएं। इस बार रक्षाबंधन 15 अगस्त को आ रहा है, तो आप भी अपने भाई के लिए वेदों में वर्णित उन समस्त शुभ और मंगल वस्तुओं से राखी तैयार करें।
पवित्र वस्तुओं से तैयार कीजिए राखी
आइए जानते हैं इसे बनाना कैसे है। वैदिक राखी बनाने के लिए आपको जिन वस्तुओं की आवश्यकता होगी, वे सब आपके घर में ही उपलब्ध हैं। बहुत ही सरल और पवित्र वस्तुओं से तैयार होने वाली इस राखी को बनाने में अधिक वक्त भी नहीं लगता और हर तरह से आपके भाई के जीवन में शुभता का संचार करती है।
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राखी बनाने में लगने वाली वस्तुएं इस प्रकार हैं...
- ऊनी, रेशमी या सूती पीला कपड़ा
- दूर्वा
- अक्षत या चावल
- केसर या हल्दी
- चंदन
- सरसों या राई के दाने
- पीला कपड़ा : सबसे पहले हम छोटा सा पीला कपड़ा लेते हैं। पीला रंग हमारे समस्त धार्मिक कार्यों या पूजा से जुड़े हर काम में उपयोग में लिया जाता है। इसका कारण यह है कि पीला रंग सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। पीले रंग की वैदिक राखी भाई के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
- दूर्वा : दूर्वा हिंदू पूजा सामग्री का महत्वपूर्ण अंग है। यह अनंतता का प्रतीक है। जिस प्रकार दूर्वा का पौधा कभी नष्ट नहीं होता। सूखने के बाद भी थोड़ा सा पानी मिलते ही फिर हरा-भरा हो जाता है वैदिक राखी में दूर्वा रखने का तात्पर्य यही है कि दूर्वा की तरह ही भाई भी तीव्र गति से उन्न्ति करे और उसका ऐश्वर्य कभी समाप्त ना हो। दूर्वा गणेशजी को अत्यंत प्रिय है। राखी में दूर्वा रखने पर माना जाता है कि उसे गणपति जी का आशीर्वाद मिल गया है। राखी बांधने पर यह आशीर्वाद भाई तक पहुंचता है और विघ्नहर्ता गणेश उसके जीवन के समस्त विघ्नों को हर लेते हैं।
- अक्षत : अक्षत या साबुत चावल पूर्णता का प्रतीक है। अर्थात जो कुछ अर्पित किया जाए, पूर्णता से किया जाए। जब आप अपने भाई को राखी बांधें, तो उसमें आपका संपूर्ण प्रेम, संपूर्ण आशीर्वाद समाहित हो।
- केसर: केसर की प्रकृति गर्म ऊष्मायुक्त होती है। वैदिक राखी के माध्यम से यही ऊष्मा भाई के जीवन में प्रवेश करती है और उसके तेज, ज्ञान और बल में वृद्धि होती है। केसर के स्थान पर यदि हल्दी का उपयोग किया गया हो, तो हल्दी भी जीवन में आरोग्यता और सकारात्मकता का विकास करती है। दोनों ही वस्तुएं भाई के उत्तम स्वास्थ्य और उन्न्ति की कामना को साकार करती है।
- चंदन : चंदन शीतलता का प्रतीक है। वैदिक राखी में चंदन भाई के जीवन में शीतलता लाने और उसे समस्त तनावों से दूर रखने के लिए समाहित किया जाता है। चंदन से युक्त राखी बांधने का संदेश यह भी रहता है कि भाई के जीवन में सदाचार, पवित्रता और सज्जनता का समावेश हो और चंदन के भांति ही उसके सद्गुणों की सुगंध दूर-दूर तक फैले।
- सरसों : सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है। यह दुर्गुणों का नाश करती है। वैदिक राखी में सरसों का समावेश इसलिए किया जाता है ताकि भाई के दुर्गुणों का नाश हो।
विधि- पीले रंग के छोटे से कपड़े में उपर्युक्त पांचों वस्तुएं बांधकर गोल या चौकोर पोटली की तरह सिलाई कर दें। अगर सामर्थ्य हो तो इन वस्तुओं के साथ सोने का एक मोती भी डाला जा सकता है। अब इस तैयार राखी को कलावे या लाल मौली से जोड़ दें, जो डोर का काम करेगी। बस आपकी राखी तैयार है। आइए, अब जानते हैं कि इस वैदिक राखी का भाई के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार
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