दशम स्थान में बैठे ग्रह से जानें किस दिशा में खुलेगी आपकी किस्मत
नई दिल्ली। प्रत्येक इंसान की ख्वाहिश जीवन में ऊंचाइयों तक पहुंचने की होती है। वह मान-सम्मान, उच्च पद और प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहता है, लेकिन सफलता सभी को नहीं मिल पाती। सफलता प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग अनुपात में मिलती है या किसी को तो मिलती ही नहीं है। ज्योतिषीय दृष्टि से देखें तो जातक को सफलता कब, कहां, कैसे और किस दिशा में मिलेगी यह उसके सितारों पर निर्भर करता है। गलत दिशा में किए गए प्रयास व्यर्थ चले जाते हैं और सही दिशा में किया गया एक छोटा सा प्रयास भी जातक को तुरंत सफलता का स्वाद चखा देता है। आइए आज जानते हैं किसी जातक की सफलता के लिए कौन-कौन सी ग्रह परिस्थितियां जिम्मेदारी होती हैं।
इन राशि वालों के लिए शुभ है पश्चिम दिशा
जन्मकुंडली
में
दसवां
स्थान
कर्म
स्थान
कहलाता
है।
यानी
दशम
स्थान
से
जातक
के
कार्य
के
संबंध
में
ज्ञात
किया
जाता
है।
साथ
ही
दसवें
घर
में
बैठे
हुए
ग्रह
के
आधार
पर
पता
लगाया
जा
सकता
है
कि
जातक
को
किस
दिशा
में
सफलता
प्राप्त
होगी।
-
जन्मकुंडली
में
दशम
स्थान
में
सूर्य
या
गुरु
बैठा
हो
तो
ऐसे
जातकों
को
पूर्व
दिशा
में
सफलता
प्राप्त
होती
है।
मीन,
कर्क
और
वृश्चिक
राशि
के
जातकों
को
पूर्व
दिशा
में
प्रयास
करना
चाहिए।
इससे
उन्हें
अनुमान
से
अधिक
सफलता
मिलती
है।
-
जिन
जातकों
की
जन्मकुंडली
के
दशम
स्थान
में
शनि
बलवान
होकर
बैठा
हो
उन्हें
अपने
जन्म
स्थान
से
पश्चिम
दिशा
में
प्रयास
करना
चाहिये।
पश्चिम
दिशा
में
कार्य-व्यवसाय
की
तलाश
करेंगे
तो
सफलता
निश्चित
रूप
से
मिलेगी।
राशि
के
अनुसार
देखा
जाए
तो
वृषभ,
कन्या
और
मकर
राशि
के
जातकों
के
लिए
भी
पश्चिम
दिशा
शुभ
होती
है।
क्या हो अगर दशम स्थान में बैठा हो मंगल?
-
जन्मकुंडली
के
दशम
स्थान
में
शुक्र
या
चंद्र
स्थित
हो
अथवा
तुला,
कुंभ,
मिथुन
राशि
हो
तो
जातक
उत्तर
दिशा
में
सफलता
प्राप्त
करता
है।
-
जिन
जातकों
की
जन्म
कुंडली
के
दशम
स्थान
में
मंगल
बैठा
हो
उन्हें
दक्षिण
दिशा
में
सफलता
मिलने
के
योग
अच्छे
रहते
हैं।
राशि
के
अनुसार
देखें
तो
सिंह,
धनु
या
मेष
राशि
वाले
जातकों
को
भी
दक्षिण
दिशा
में
उत्तम
सफलता
मिलने
के
योग
बनते
हैं।
-
यदि
जन्म
कुंडली
में
लग्नेश
द्वादश
अथवा
अष्टम
स्थान
में
स्थित
हो
तो
जातक
को
काम
के
लिए
अपने
जन्म
स्थान
से
विपरीत
दिशा
में
अपने
घर
से
दूर
जाना
पड़ता
है।
-
लग्न
में
राहु
स्थित
हो
तथा
दशम
स्थान
का
स्वमी
आठवें
या
बारहवें
स्थान
में
बैठा
हो
तो
जातक
को
जॉब
या
बिजनेस
के
सिलसिले
में
समुद्रपारीय
देशों
का
रूख
करना
पड़ता
है।
-
जन्मकुंडली
के
दशम
स्थान
का
स्वामी
यानी
कर्मेश
जिस
भाव
में
उच्च
या
बलवान
होकर
बैठा
हो
उस
दिशा
में
सफलता
प्राप्त
होती
हैं।
लग्न
को
पूर्व
दिशा,
दशम
स्थान
को
दक्षिण
दिशा,
सप्तम
स्थान
को
पश्चिम
दिशा
तथा
चतुर्थ
भाव
को
उत्तर
दिशा
के
रूप
में
जाना
जाता
है।
सफलता के लिए क्या उपाय करें
यदि आपको किसी भी काम में सफलता नहीं मिल पा रही है तो सबसे पहले आपको अपनी जन्मकुंडली किसी ज्योतिषी को दिखाकर अपने लिए शुभ दिशा का निर्धारण करवाना चाहिए। शुभ दिशा पता लग जाए तो फिर सूर्य और बृहस्पति की स्थिति का आंकलन करवाएं। सफलता मिलना और ना मिलना बहुत कुछ सूर्य और बृहस्पति पर निर्भर करता है। यदि ये दोनों ग्रह गड़बड़ हैं, कमजोर हैं या इन पर किसी बुरे ग्रहों की दृष्टि है तो सफलता में संदेह रहता है। सूर्य और बृहस्पति को मजबूत बनाने से सफलता की संभावना बढ़ जाती है।