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श्राद्ध पक्ष में इन उपायों से पाएं कालसर्प दोष से मुक्ति

By पं. गजेंद्र शर्मा
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नई दिल्ली। पितरों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितृपक्ष यानी श्राद्ध के दिन सबसे उत्तम माने गए हैं। पितृपक्ष के पंद्रह दिनों में पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान आदि करके उनके अच्छे आशीर्वाद प्राप्त किए जा सकते हैं।

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लेकिन अक्सर हम देखते हैं कई लोगों के जीवन में परेशानियां खत्म होने का नाम ही नहीं लेती। हर ओर से वह व्यक्ति हैरान, परेशान रहता है। परिवार में कोई न कोई बीमार चलता रहता है और आर्थिक संकट भी बना रहता है। ज्योतिष के अनुसार इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन उनमें से एक प्रमुख कारण है कालसर्प दोष का होना।

कालसर्प दोष 12 प्रकार के होते हैं

जन्मकुंडली में राहु और केतु की विभिन्न भावों में उपस्थिति के अनुसार कालसर्प दोष 12 प्रकार के होते हैं। यदि आपकी कुंडली में भी कालसर्प दोष बना हुआ है तो इसके निवारण के लिए श्राद्धपक्ष का समय सबसे उत्तम होता है। यदि पितृपक्ष के दिनों में कालसर्प दोष के निवारण के उपाय किए जाएं तो वह अधिक फलदायी होते हैं।

राहु और केतु के मध्य अन्य समस्त ग्रह आ जाएं तब होता है कालसर्प दोष

ज्योतिष में 12 प्रकार के कालसर्प दोष होते हैं। इनका निर्धारण जन्मकुंडली देखकर किया जा सकता है। यह किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेकर आप पता कर सकते हैं। आपको जिस प्रकार का कालसर्प दोष है उसी के अनुसार दोष निवारण पूजा की जाती है। कालसर्प दोष तब बनता है जब राहु और केतु के मध्य अन्य समस्त ग्रह आ जाएं।

कालसर्प दोष

कालसर्प दोष

  • अनंत कालसर्प दोष: जब लग्न यानी प्रथम भाव में राहु और सप्तम में केतु हो और सभी ग्रह उनके मध्य में हो तो अनंत कालसर्प दोष बनता है। यह कालसर्प दोष होने पर श्राद्धपक्ष में एकमुखी, आठमुखी या नौमुखी रूद्राक्ष धारण करें। यदि इस दोष वाला जातक लगातार बीमार रहता हो तो श्राद्धपक्ष में रांगे धातु से बना सिक्का पानी में प्रवाहित करें।
  • कर्कोटक कालसर्प : जब द्वितीय स्थान में राहु और अष्टम में केतु हो तो कर्कोटक कालसर्प दोष बनता है। जिसकी कुंडली में यह दोष हो वे श्राद्धपक्ष में किसी भी दिन बटुकभैरव मंदिर में जाकर दही-गुड़ का भोग लगाएं। शीशे के आठ टुकड़े करके पानी में प्रवाहित करें।
  • वासुकि कालसर्प दोष: तृतीय यानी पराक्रम भाव में राहु और नवम में केतु हो तो रात में सोते समय सिरहाने पर थोड़ा सा बाजरा रखें और सुबह उठकर उसे पक्षियों को खिला दें। श्राद्ध के दौरान किसी भी दिन लाल धागे में तीन, आठ या नौमुखी रूद्राक्ष धारण करें।
  • 400 ग्राम साबूत बादाम

    400 ग्राम साबूत बादाम

    • शंखपाल कालसर्प दोष: राहु चतुर्थ और केतु दशम स्थान में हो तो शंखपाल कालसर्प दोष बनता है। यह दोष होने पर श्राद्धपक्ष के दौरान किसी भी दिन 400 ग्राम साबूत बादाम बहते पानी में प्रवाहित करें। शिवलिंग का दूध से अभिषेक करें।
    • पद्म कालसर्प दोष: पंचम स्थान में राहु और एकादश में केतु हो तो श्राद्धपक्ष के किसी भ दिन से प्रारंभ करते हुए 40 दिनों तक रोज सरस्वती चालीसा का पाठ करें। गरीबों को पीले रंग के कपड़े दान करें। घर में तुलसी का पौधा लगाएं और प्रतिदिन सायं को उसके पास दीपक लगाएं।
    • महापद्म कालसर्प दोष: षष्ठम राहु और द्वादश भाव में केतु हो तो हनुमान मंदिर में जाकर सुंदरकांड का पाठ करें। श्राद्ध के दौरान गरीबों, निःशक्तों और खासकर दिव्यांगों को भोजन करवाएं और यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें।
    • सप्तम में राहु और लग्न में केतु

      सप्तम में राहु और लग्न में केतु


      • तक्षक कालसर्प दोष: सप्तम में राहु और लग्न में केतु होने पर तक्षक कालसर्प दोष का निर्माण होता है। यह दोष होने पर 11 श्रीफल बहते जल में प्रवाहित करें। किसी गरीब को सफेद वस्त्र और चावल दान में दें।
      • कुलिक कालसर्प दोष: राहु अष्टम भाव में और केतु द्वितीय में हो तो यह कालसर्प दोष बनता है। इसके निवारण के लिए श्राद्धपक्ष के किसी भी दिन दो रंग वाला कम्बल या वस्त्रों का दान करें। चांदी की ठोस गोली बनाकर उसकी पूजा कर उसे काले या लाल कपड़े में बांधकर हमेशा अपने पास रखें।
      • चार, आठ या नौमुखी रूद्राक्ष

        चार, आठ या नौमुखी रूद्राक्ष

        • शंखनाद या शंखचूड़ कालसर्प दोष: जब जन्मकुंडली में राहु नवम और केतु तृतीय स्थान में हो तो कालसर्प दोष की शांति के लिए श्राद्ध के किसी भी दिन रात को सोने से पहले सिरहाने के पास जौ रखें और उसे अगले दिन पक्षियों को खिला दें। पांच, आठ या नौमुखी रूद्राक्ष धारण करें।
        • घातक कालसर्प दोष: राहु दशम और केतु चतुर्थ स्थान में हो तो इस दोष के निवारण के लिए पीतल के बर्तन में गंगाजल भरकर अपने पूजा स्थल पर रखें और प्रतिदिन उसमें से कुछ बूंदे जल लेकर अपने नहाने के पानी में डालें। चार, आठ या नौमुखी रूद्राक्ष हरे रंग के धागे में पहनें।
        • राहु एकादश और केतु पंचम हो

          राहु एकादश और केतु पंचम हो

          • विषाक्त कालसर्प दोष: राहु एकादश और केतु पंचम हो और समस्त ग्रह इनके मध्य में हो तो विषाक्त कालसर्प दोष बनता है। इस दोष के निवारण के लिए परिवार के सदस्यों की संख्या के बराबर श्रीफल लें। एक-एक श्रीफल पर उनका हाथ लगवाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करें। शिवमंदिर में जाकर यथाशक्ति दान-दक्षिणा भेंट करें।
          • शेषनाग कालसर्प दोष: राहु बारहवें घर में हों और केतु छठे में तो श्राद्धपक्ष के अंतिम दिन से एक रात पहले की रात्रि को लाल कपड़े में सौंफ बांधकर सिरहाने रखें और उसे अगले दिन सुबह खा लें। श्राद्ध पक्ष के किसी भी दिन गरीबों को दूध या मावे से बनी खाने की वस्तुएं भेंट करें।

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English summary
Pitri Paksha also spelt as Pitru paksha is a 16–lunar day period in Hindu calendar when Hindus pay homage to their ancestor (Pitrs), especially through food offerings.
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