Super Pink Moon 2020: क्या है 'सुपर पिंक मून' , जानिए भारत में कब और कहां दिखाई देगा?
नई दिल्ली। 7 अप्रैल को आकाशमंडल एक अद्भुत घटना का गवाह बनेगा क्योंकि इस दिन चांद का रंग बदला-बदला नजर आएगा और इसे 'सुपर पिंक मून' कहा जाएगा, यह इसलिए होगा क्योंकि चांद पृथ्वी के बेहद करीब आ जाएगा, हालांकि, भारत इस खास अनुभव को महसूस नहीं कर पाएगा क्योंकि जब ये सुपरमून दिखाई देगा, तब भारत में दिन के आठ बज रहे होंगे, यानी भारत में दिन होगा, लेकिन अगर आप इस घटना को देखना चाहते हैं, तो इसके लिए आप ऑनलाइन से लाइव देख सकते हैं।
इसे Pink Moon क्यों कहते हैं?
'पिंक मून' का मतलब ये बिल्कुल नहीं कि इस दिन चंद्रमा गुलाबी रंग का दिखाई देगा, बल्कि ये नाम एक गुलाबी फूल से पड़ा है, जो वसंत के मौसम में उत्तर अमेरिका के पूर्व में खिलता है, बता दें कि 'फुलमून' यानी 'पूर्णिमा' की प्रक्रिया अमेरिकी क्षेत्रों और मौसमों पर निर्भर करती है लेकिन धर्म की माने तो अप्रैल की पूर्णिमा के चांद को गुलाबी चंद्रमा यानी 'पिंकमून' कहा जाता है, वहीं, इस साल इसे 'सुपर पिंक मून' कहा जा रहा है, क्योंकि ये पूर्णिमा के दिन दिखाई देने वाला 'सुपरमून' है।
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क्या है 'सुपरमून' ?
'सुपरमून' के वक्त चांद पहले से ज्यादा बड़ा और चमकदार और बड़ा दिखाई देता है, बता दें कि 'सुपरमून' उन लोगों के लिए एक शानदार अवसर है, जो चंद्रमा के बारे में जानना और उसका अन्वेषण करना चाहते हैं, 'सुपरमून' के कारण चांद हर दिन के मुकाबले 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी ज्यादा चमकदार दिखाई देता है, पश्चिमी देशों में इसे Snow Moon, Storm Moon या Hunger Moon कहा जाता है।
क्यों दिखता है 'चांद' बड़ा?
मालूम हो कि पृथ्वी की कक्षा में घूमते हुए चंद्रमा जब धरती के सबसे नजदीक आ जाता है तो उस स्थिति को 'पेरीजी' और कक्षा में जब सबसे दूर होता है तो उस स्थिति को 'अपोजी' कहते हैं, 7 अप्रैल को चांद 'पेरीजी' होगा और इस कारण वो बड़ा दिखाई देगा, ये तो हुई खगोलीय बातें लेकिन साहित्य में तो चांद को सुंदरता और मोहब्बत की मिसाल माना जाता है, इसलिए आप सभी लोग चांद का दीदार अपने-अपने चांद के साथ करें तो बेहतर होगा।
चांद के बारे में कुछ खास बातें
- कहते हैं आज से 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी से हुई एक टक्कर के बाद चंद्रमा का जन्म हुआ था।
- चंद्रमा एक उपग्रह है जो कि पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है।
- विज्ञान के हिसाब से चांद पर पृथ्वी की तुलना में गुरुत्वाकर्षण कम है इसी कारण चंद्रमा पर पहुंचने पर इंसान का वजन कम हो जाता है।
- वजन में ये अंतर करीब 16.5 फीसदी तक होता है।
- यह सौर मंडल का 5वां सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है।
- चंद्रमा पर वायुमंडल नहीं है।
- चंद्रमा से आसमान नीला नहीं बल्कि काला दिखायी देता है क्योंकि वहां प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं है।
हिंदू धर्म में 'चांद' को भगवान माना गया है...
- सोवियत राष्ट्र का लूना-1 पहला अन्तरिक्ष यान था जो चन्द्रमा के पास से गुजरा था।
- सोवियत राष्ट्र का लूना-2 पहला यान था जो चन्द्रमा की धरती पर उतरा था।
- हिंदू धर्म में चांद को भगवान माना गया है, करवाचौथ, पूर्णिमा जैसे वर्त चंद्रमा को ही देखकर होते हैं।
- इस्लाम में तो चांद के बिना कोई काम ही नहीं होता है।
- ईद-उल-फितर, रमजान, ईदुज्जुहा और मुहर्रम जैसे प्रमुख पर्व चांद देखकर ही फाइनल होते हैं।