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Pavitra Ekadashi 2020: पवित्रा एकादशी आज, जानिए पूजा विधि, महत्व और कथा

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पवित्रा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी 30 जुलाई 2020, गुरुवार को आ रही है। इस श्रावणी एकादशी के बारे में शास्त्र कहते हैं कि जो व्यक्ति इसका व्रत करता है, उसे वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्ति के जीवन से सारे अभाव समाप्त हो जाते हैं और मृत्यु के बाद उसे भगवान विष्णु के परम धाम बैकुंठ की प्राप्ति होती है। यदि नि:संतान दंपती पवित्रा एकादशी का व्रत करे तो उन्हें उत्तम गुणों वाली संतान की प्राप्ति होती है। इसलिए इसे पुत्रदा एकादशी भी कहा जाता है। जिन लोगों की संतानें जीवित नहीं रहती, या किसी न किसी कारण से बीमार रहती है, उन्हें पवित्रा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।

कैसे करें पवित्रा एकादशी पूजा

कैसे करें पवित्रा एकादशी पूजा

पवित्रा एकादशी के दिन भगवान नारायण की पूजा विधि-विधान से की जाती है। व्रती सूर्योदय पूर्व उठकर स्नान करें। सूर्य देव को जल अर्पित करे और स्वच्छ वस्त्र धारण करके एकादशी व्रत का संकल्प लें। यदि किसी विशेष कामना की पूर्ति के लिए व्रत कर रहे हैं तो संकल्प के दौरान वह कामना भी बोलें। इसके बाद भगवान नारायण की पूजा करें। धूप-दीप नेवैद्य लगाएं। तुलसी पत्र अर्पण करें और दिनभर निराहार रहते हुए भगवान विष्णु का ध्यान करते रहें। सायंकाल में एक बार फिर पूजा करें, व्रत की कथा सुनें और फलाहार ग्रहण करें। इस दिन पवित्र नदियों में दीपदान का भी महत्व है। दूसरे दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाकर, दान देकर व्रत खोलें।

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पवित्रा एकादशी का फल

पवित्रा एकादशी का फल

  • यह एकादशी समस्त भौतिक सुख प्रदान करती है।
  • धन, संपत्ति, ऐश्वर्य प्रदान करती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति की कामना से व्रत किया जाए तो उसमें सफलता मिलती है।
  • इस व्रत को करने से नि:संतान दंपतियों को उत्तम संतान सुख मिलता है।
  • जन्म के बाद जिन लोगों की संतानें जीवित नहीं रहती, उन्हें यह व्रत जरूर करना चाहिए।
  • अपनी संतान की सुख-समृद्धि की कामना से किए गए व्रत का शुभ फल मिलता है।
पवित्रा एकादशी व्रत की कथा

पवित्रा एकादशी व्रत की कथा

प्राचीन काल में महिष्मति नगरी में महीजीत नामक राजा राज्य करता था। राजा धर्मात्मा, न्यायप्रिय, शांतिप्रिय तथा दानी था, किंतु उसकी कोई संतान नहीं थी। राजा ने एक बार ऋषियों को बुलाकार संतान प्राप्ति का उपाय पूछा। परमज्ञानी लोमेश ऋषि ने बताया कि राजन आपने पिछले जन्म में श्रावण माह की एकादशी के दिन अपने तालाब में प्यासी गाय को पानी नहीं पीने दिया था। उसी के परिणामस्वरूप आप अभी तक नि:संतान हैं। आप श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी का नियमपूर्वक व्रत रखिए तथा राित्र जागरण कीजिए। इससे तुम्हें अवश्य संतान की प्राप्ति होगी। ऋषि की आज्ञानुसार राजा रानी ने एकादशी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न प्राप्त हुआ।

एकादशी तिथि

  • एकादशी तिथि प्रारंभ 29 जुलाई मध्यरात्रि के बाद 1.15 बजे से
  • एकादशी तिथि पूर्ण 30 जुलाई रात्रि 11.49 बजे तक
  • व्रत का पारण 31 जुलाई को प्रात: 5.42 से 8.24 बजे तक

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Comments
English summary
Shravana or Sawan Putrada Ekadashi, also known as Pavitropana Ekadashi and Pavitra Ekadashi, is a Hindu holy day, here is importance and puja vidhi.
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