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Paush Putrada Ekdashi 2020: उत्तम संतान सुख की प्राप्ति के लिए करें पुत्रदा एकादशी

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। पौष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष पुत्रदा एकादशी 6 जनवरी 2020, सोमवार को आ रही है। इस दिन सुदर्शन चक्रधारी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस व्रत के बारे में मान्यता है कि इसे करने से उत्तम कोटि की संतान की प्राप्ति होती है। इस व्रत के प्रभाव से संतान की रक्षा भी होती है। जिन दंपतियों को संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा है, संतान सुख प्राप्ति में बाधाएं आ रही हैं, या जिनकी संतानें जन्म लेने के बाद जीवित नहीं रह पाती, या जिन स्त्रियों को बार-बार गर्भपात हो जाता हो उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।

 कैसे करें पौष पुत्रदा एकादशी व्रत

कैसे करें पौष पुत्रदा एकादशी व्रत

  • पौष पुत्रदा एकादशी के दिन श्रद्धापूर्वक चक्रधारी भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है।
  • पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को दशमी के दिन एक समय सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। दशमी के दिन से ही व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और पुत्रदा एकादशी व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद अपने घर के पूजा स्थान को साफ-स्वच्छ करके एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित कर पूजन करें। गंगा जल, तुलसी दल, तिल, फूल पंचामृत का प्रयोग पूजन में करें।
  • पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा का श्रवण-पठन अवश्य करें।
  • दिन भर निराहार रहें। वैसे तो इस व्रत में जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है, लेकिन सामर्थ्य ना हो तो भगवान विष्णु का ध्यान करके जल ग्रहण किया जा सकता है। व्रती चाहे तो संध्याकाल में दीपदान के पश्चात फलाहार कर सकते हैं।
  • इस एकादशी में गौ छाछ का फलाहार किया जाता है। यदि उपलब्ध हो तो गौ छाछ का सेवन अवश्य करना चाहिए।
  • व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिये।


संतान सुख की कामना के लिए ये करें

  • संतान सुख की प्राप्ति के लिए दंपती को यह व्रत संयुक्त रूप से करना चाहिए।
  • प्रातः काल पति-पत्नी दोनों भगवान श्री कृष्ण की उपासना करें।
  • संतान गोपाल मंत्र का जाप करें।
  • मंत्र जाप के बाद पति-पत्नी प्रसाद ग्रहण करें।
  • गरीब बच्चों को भोजन कराएं और यथाशक्ति दक्षिणा दें।

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पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

पुत्रदा एकादशी के संबंध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं। एक सर्वाधिक प्रचलित कथा के अनुसार किसी समय भद्रावती नगर में राजा सुकेतु का राज्य था। उसकी पत्नी का नाम शैव्या था। संतान नहीं होने की वजह से दोनों पति-पत्नी दुःखी रहते थे। एक दिन राजा और रानी मंत्री को राजपाठ सौंपकर वन को चले गए। वन में भटकते हुए एक दिन उन्हें वेद पाठ के स्वर सुनाई दिए और वे उसी दिशा में बढ़ते गए। वहां पहुंचने पर उन्होंने देखा अनेक ऋषि वैदिक मंत्रों से यज्ञ कर रहे थे। राजा-रानी ने ऋषियों को प्रणाम किया। उन्हें दुखी देखकर ऋषियों ने जान लिया कि इस राज दंपती की परेशानी का कारण उनका संतानहीन होना है। ऋषियों ने उन्हें पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व बताते हुए उन्हें यह एकादशी व्रत करने का आदेश दिया। ऋषियों से आशीर्वाद पाकर दोनों पति-पत्नी ने पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत विधि-विधान से किया। व्रत के प्रभाव से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई।

पौष पुत्रदा एकादशी कब से कब तक

पौष पुत्रदा एकादशी कब से कब तक

  • एकादशी तिथि प्रारंभ 6 जनवरी तड़के 3.06 बजे से
  • एकादशी तिथि पूर्ण 7 जनवरी तड़के 4.01 बजे तक
  • पारण मुहूर्त 7 जनवरी को दोपहर 1.29 से 3.34 बजे तक
  • हरि वासर समाप्त होने का समय 7 जनवरी को प्रातः 10.07 पर

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English summary
Paush Putrada Ekdashi, also known as Pavitropana Ekadashi and Pavitra Ekadashi, is a Hindu holy day, here is importance and puja vidhi.
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