आपके हाथ में कैसी है भाग्यरेखा और हृदयरेखा ?
हस्तरेखा विज्ञानी जीवनरेखा, मस्तिष्करेखा और हृदयरेखा के साथ-साथ भाग्यरेखा को भी गहराई से अध्ययन करते हैं
नई दिल्ली। हस्तरेखा विज्ञान में भाग्यरेखा सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है, क्योंकि अच्छी भाग्यरेखा के बिना व्यक्ति के सारे प्रयास व्यर्थ चले जाते हैं। इसलिए हस्तरेखा विज्ञानी जीवनरेखा, मस्तिष्करेखा और हृदयरेखा के साथ-साथ भाग्यरेखा को भी गहराई से अध्ययन करते हैं। भाग्यरेखा सभी के हाथों में नहीं होती, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे व्यक्ति भाग्यहीन होते हैं। जिनके हाथ में भाग्यरेखा नहीं होती उन्हें कड़े परिश्रम के बाद सफलता मिलती है और कई बार सफलता नहीं भी मिलती है। read also : रोगों का राशि से है गहरा संबंध, जानिए बचें कैसे
लेकिन जिन लोगों के हाथ में भाग्यरेखा होती है उन्हें कम मेहनत में ही उन्नति मिलने लगती है। भाग्यरेखा को शनि रेखा भी कहा जाता है क्योंकि यह हथेली के किसी भी स्थान से प्रारंभ होकर शनि पर्वत पर जाकर समाप्त होता है। इस रेखा के माध्यम से व्यक्ति की किस्मत, धन, संपत्ति, बौद्धिक क्षमता, मान, पद, प्रतिष्ठा की स्थिति देखी जाती है। read also : जानिए आखिर क्यों भगवान को चढ़ाया जाता है वस्त्र?
हस्तरेखा सामुद्रिक विज्ञान के अनुसार भाग्यरेखा का प्रारंभ होने का स्थान भिन्न-भिन्न हो सकता है। मुख्यतः इसके पांच प्रकार माने गए हैं, लेकिन इससे ज्यादा स्थान भी हो सकते हैं। आइये देखते हैं किस जगह से निकलने वाली भाग्यरेखा का क्या महत्व होता है।
1. मणिबंध यानी कलाई के ऊपर
हथेली में भाग्यरेखा का सर्वाधिक प्रचलित स्थान मणिबंध यानी कलाई के उपर होता है। मणिबंध के उपर से निकलकर अन्य रेखाओं से जुड़ती हुई शनि पर्वत तक पहुंचने वाली भाग्यरेखा सर्वोत्तम कहलाती है। यह रेखा जितनी अधिक गहरी और स्पष्ट होती है उतनी अच्छी कही जाती है। यह रेखा शनि पर्वत पर आकर रूक जाए तो श्रेष्ठ होती है और यदि शनि पर्वत को पार करके मध्यमा अंगुली पर चढ़े तो अशुभ परिणाम देने वाली होती है। ऐसी भाग्यरेखा यदि अपने अंतिम छोर पर जाकर दोमुंही हो जाए तो विशेष सफलता की सूचक होती है। व्यक्ति उच्च पद, सम्मान प्राप्त करता है।
2. ऐसे व्यक्ति धनी होते हैं लेकिन..
भाग्यरेखा यदि जीवनरेखा के पास से निकलकर शनि क्षेत्र तक पहुंचे तो यह श्रेष्ठ मानी जाती है। परंतु यदि इस प्रकार की भाग्यरेखा मध्यमा अंगुली के उपर चढ़ने लगे तो इससे कार्यों में रुकावट आती है। ऐसे व्यक्ति धनी होते हुए भी परेशानियों से घिरा रहता है। जीवन में सफलता मिलती तो है, लेकिन बहुत मेहनत और लंबे इंतजार के बाद। जिस व्यक्ति के हाथ में ऐसी भाग्यरेखा शनि पर्वत पर जाकर रूक जाए तो वह गरीब परिवार में जन्म लेकर भी अपने प्रयासों से अत्यधिक उंचाइयां हासिल करता है। धनी और सुखी बनता है। 28वें वर्ष की आयु में उसका भाग्योदय होता है।
3. अंगूठे के नीचे से निकलकर...
भाग्यरेखा शुक्र पर्वत यानी अंगूठे के नीचे से निकलकर भी शनि पर्वत तक पहुंचती है। ऐसी रेखा जितनी स्पष्ट होती है उतनी ही शुभ होती है। इस तरह की रेखा जीवनरेखा को काटकर शनि पर्वत की ओर बढ़ती है। जिस जगह यह जीवनरेखा को काटती है उस समय में व्यक्ति के जीवन में भारी उठापटक होती है। हर तरफ से उसके जीवन में कष्ट आते हैं। ऐसे व्यक्ति की भयंकर दुर्घटना में मृत्यु होने तक की स्थिति बनती है। चूंकि यह रेखा शुक्र पर्वत से निकलती है इसलिए व्यक्ति का भाग्योदय विवाह के बाद होता है। ऐसा व्यक्ति अनेक प्रेम संबंध बनाता है। यदि भाग्येरखा के किसी स्थान पर द्वीप चिन्ह हो तो व्यक्ति का तलाक होता है।
4. अत्यंत शुभ और दुर्लभ
मस्तिष्क रेखा से प्रारंभ होकर शनि पर्वत तक जाने वाली भाग्यरेखा अत्यंत शुभ और दुर्लभ होती है। बहुत कम लोगों के हाथ में ऐसी भाग्यरेखा होती है। ऐसे लोगों का व्यक्तित्व भव्य होता है। इनके जीवन में चकाचौंध, ग्लैमर, रूतबा, पैसा सबकुछ बहुत ज्यादा होता है। समाज इनके कार्यों का अनुसरण करता है। देश की तरक्की में इनका बड़ा योगदान होता है। भौतिक दृष्टि से इन्हें किसी बात की कमी नहीं होती। साधारण परिवार में जन्म लेकर भी ऐसा व्यक्ति बहुत जल्दी योग्य, सम्पन्न और सुखी हो जाता है।
5. अतुलनीय धन का स्वामी
चंद्र पर्वत से निकलकर शनि क्षेत्र तक जाने वाली भाग्यरेखा जिस व्यक्ति के हाथ में होती है वह अतुलनीय धन का स्वामी होता है। शनि पर्वत पर जाकर यह रेखा दो या तीन भागों में बंट जाए तो व्यक्ति जीवन में पूर्ण प्रगति करता है। वह अनेक तरह की संपत्तियां अर्जित करता है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में आय के अनेक साधन होते हैं। यदि इस प्रकार की भाग्यरेखा का अंतिम सिरा गुरु पर्वत की ओर जा रहा हो तो व्यक्ति श्रेष्ठ साहित्यकार, लेखक बनता है। यदि ऐसी रेखा का सिरा सूर्य पर्वत की ओर जा रहा हो तो व्यक्ति विदेशों में व्यापार करता है।
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