Nirjala Ekadashi 2020: निर्जला एकादशी पर भूलकर भी ना करें ये काम
नई दिल्ली। साल की सबसे बड़ी एकादशी निर्जला एकादशी 2 जून 2020, मंगलवार को आ रही है, हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी व्रत को व्रतराज कहा गया है, एकादशी के विषय में शास्त्र कहते हैं, न विवेकसमो बंधुर्नैकादश्या: परं व्रतं, यानी विवेक के सामान कोई बंधु नहीं और एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं है। जो व्यक्ति एकादशी के दिन पांच ज्ञान इंद्रियां (त्वचा, आंख, कान, नाक, जिव्हा), पांच कर्म इंद्रियां (हाथ, पैर, मुंह, गुदा, लिंग) और एक मन, इन ग्यारह अवयवों को साध लेता है, वह एकादशी के समान पवित्र हो जाता है। प्रत्येक माह में दो बार आने वाली एकादशी का व्रत अलग-अलग महीनों की मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग प्रकार से किया जाता है। एकादशी व्रत के बारे में शास्त्रों का कथन है कि जो व्यक्ति शास्त्रोक्त विधि के अनुसार एकादशी व्रत करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वह धन-धान्य से परिपूर्ण होता है। दांपत्य सुख में राजा बनता है और उसे समस्त प्रकार के भौतिक सुख प्राप्त हो जाते हैं। यहां तक कि मृत्यु के बाद वह व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर बैकुंठ लोक का वासी बन जाता है। लेकिन इस व्रत को करने में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। यदि जरा भी चूक हुई तो व्रत का फल नहीं मिलेगा और उल्टा आप व्रत के नियमों का पालन नहीं करने के कारण पाप के भागी बन जाएंगे।
तो आइए जानते हैं पांच बातें जो एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी ना करें...
चावल ना खाएं
किसी भी एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए। ऐसा माना गया है कि एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति रेंगने वाले प्राणी की योनि में जन्म लेता है। चावल ना खाने के संबंध में पुराणों में एक कथा मिलती है, जिसके अनुसार एक समय ऋषि मेधा हुए थे। वे शक्ति के परम भक्त थे, लेकिन किसी एक गलती के कारण देवी उसने भयंकर क्रोधित हो गई। देवी के कोप से बचने के लिए ऋषि मेधा ने योग बल से अपना शरीर छोड़ दिया और उनका अंश धरती में समा गया। उसी अंश से जौ और चावल उत्पन्न् हुए। यह घटना एकादशी के दिन हुई थी। इसलिए एकादशी के दिन जौ और चावल नहीं खाए जाते हैं। जौ और चावल ऋषि मेधा के शरीर के टुकड़े हैं, इन्हें जीवधारी माना गया है।
दूसरे का अन्न् ग्रहण ना करना
एकादशी के दिन किसी दूसरे व्यक्ति के घर का अन्न् ग्रहण नहीं करना चाहिए। यदि आप एकादशी का व्रत करते हैं तो दूसरे के घर फलाहार भी नहीं करना चाहिए। यदि आप व्रत नहीं करते हैं तो भी इस दिन अपने ही घर का भोजन ग्रहण करना चाहिए। किसी बाहरी व्यक्ति का दिया हुआ भोजन भूलकर भी ग्रहण ना करें। इससे आपके एकादशी का पुण्य उस व्यक्ति को प्राप्त हो जाएगा।
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पर निंदा से बड़ा पाप कोई नहीं
एकादशी के दिन दूसरों की निंदा करने से बचना चाहिए। किसी व्यक्ति की चुगली करना, बुराई करना, बुरे विचारों में संलग्न रहने से व्यक्ति के पुण्य कर्म क्षीण होते हैं। शास्त्रों का कथन है कि एकादशी के दिन पाप कर्म करने वाले मनुष्यों से बात भी नहीं करना चाहिए। इससे आपका दुर्भाग्य प्रारंभ हो जाता है।
फूल-पत्ते ना तोड़ें
एकादशी के दिन किसी भी पेड़ के फूल-पत्ते आदि नहीं तोड़ना चाहिए। इस दिन तुलसी पत्र तो बिलकुल ना तोड़ें, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और इस दिन पूजा में प्रयुक्त की जाती है। पूजा के लिए आवश्यक फूल पत्ते एक दिन पहले ही तोड़कर सुरक्षित रख लें। एकादशी पर पेड़ पौधों को नुकसान पहुंचाना ब्रह्म हत्या के समान माना गया है।
भोग-विलास से दूर रहें
एकादशी के दिन पूर्णत: सात्विक दिनचर्या रखना चाहिए। एकादशी के दिन बाल, दाढ़ी, नाखून नहीं काटना चाहिए। इस दिन भोग विलास की समस्त चीजों से दूर रहते हुए मानसिक और शारीरिक रूप से सात्विक रहना चाहिए। इस दिन अपनी कामेंद्रियों को वश में रखना चाहिए। इस तरह के विचार मन में लाना भी पाप है।
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