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Chaitra Navratri 2021: नौ ग्रहों की शांति करते हैं देवी के नौ स्वरूप

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। मां दुर्गा का प्रत्येक स्वरूप मंगलकारी है और एक-एक स्वरूप एक-एक ग्रह से संबंधित है। इसलिए नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूप की पूजा प्रत्येक ग्रहों की पीड़ा को शांत करती है।

आइए जानते हैं देवी के कौन-से स्वरूप की पूजा से किस ग्रह की शांति होती है...

शैलपुत्री

शैलपुत्री

देवी दुर्गा का प्रथम स्वरूप है शैलपुत्री। मां का यह स्वरूप चंद्रमा से संबंधित है। इसलिए प्रथम दिन शैलपुत्री माता का पूजन करने से चंद्र से जुड़े समस्त दोष समाप्त हो जाते हैं। चंद्र की अनुकूलता होने से मानसिक सुख-शांति प्राप्त होती है।

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ब्रह्मचारिणी

ब्रह्मचारिणी

देवी दुर्गा का दूसरा स्वरूप है ब्रह्मचारिणी। देवी के इस स्वरूप का संबंध मंगल से है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करने से मंगल ग्रह से जुड़ी समस्त पीड़ाएं दूर हो जाती है। इससे रोग दूर होते हैं और आत्मविश्वास, आत्मबल में वृद्धि होती है।

चंद्रघंटा

चंद्रघंटा

देवी का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करता है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। जीवन में आकर्षण, सौंदर्य, प्रेम में वृद्धि होती है। भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है।

कुष्मांडा

कुष्मांडा

नवरात्रि के चौथे दिन देवी के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी का यह स्वरूप सूर्य से संबंधित है। इनकी पूजा से सूर्य ग्रह से मिल रही पीड़ाएं दूर हो जाती है। मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। आर्थिक तरक्की होती है।

स्कंदमाता

स्कंदमाता

देवी स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन की जाती है। देवी का यह स्वरूप बुध ग्रह को नियंत्रित करता है। मां स्कंदमाता की पूजा करने से बुद्धि, ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है। आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। कार्य में लाभ प्राप्त होता है।

कात्यायनी

कात्यायनी

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। देवी का यह स्वरूप बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करता है। मां कात्यायनी की पूजा से बृहस्पति के दुष्प्रभाव दूर होते हैं। जीवन में संयम, धैर्य और प्रसिद्धि में वृद्धि में होती है।

कालरात्रि

कालरात्रि

नवरात्रि के सातवें दिन देवी के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी का यह स्वरूप शनि ग्रह से संबंधित है। इसलिए सप्तम दिन पूजन करने से शनि की पीड़ा शांत होती है। शनि की साढ़ेसाती, ढैया आदि के दुष्प्रभाव कम होते हैं।

महागौरी

महागौरी

देवी का आठवां स्वरूप महागौरी है। इनकी पूजा नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है। देवी का यह स्वरूप राहु को नियंत्रित करता है। राहू की पीड़ा होने पर जातक का जीवन अव्यवस्थित हो जाता है। महागौरी की पूजा से राहु शांत होता है।

सिद्धिदात्री

सिद्धिदात्री

देवी का नवम स्वरूप सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करता है। इनकी पूजा से केतु ग्रह के दुष्प्रभावों से राहत मिलती है।

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English summary
Read Important facts about Nine Goddesses.
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