नवग्रहों के बिना अधूरी है नवरात्रि की पूजा, जानिए इनका महत्व
नई दिल्ली। देवी दुर्गा का प्रत्येक स्वरूप मनुष्यों के लिए जीवनदायी कहा गया है। दुर्गा की आराधना न केवल मनुष्यों को जीवन की मुश्किलों से बचाती है, बल्कि शुद्ध और विषयरहित मन से की गई आराधना सुख-संपत्ति भी प्रदान करती हैं। इसीलिए देवी दुर्गा में नवग्रहों का वास माना गया है।
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शास्त्रों का मत है कि नवरात्रि के समय दुर्गा पूजा और आराधना करने से नवग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है, ग्रह अनुकूल होते हैं और दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से रक्षा होती है।
आइये जानते हैं देवी दुर्गा का स्वरूप कैसा है और उनमें नवग्रहों का वास कहां है?
देवी का स्वरूप
देवी के मुख्य तीन स्वरूप बताए गए हैं दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी। मध्य में गुर्राते हुए सिंह पर विराजित होती हैं देवी दुर्गा, उनके बाएं ओर देवी सरस्वती और दाएं ओर लक्ष्मी का स्थायी है। दुर्गा के बाएं ओर नीचे के भाग में कुमार और दाएं ओर गणपति का स्थान है। उन्हें अपने त्रिशूल से महिसासुर नामक राक्षस का वध करते हुए दिखाया जाता है। साथ ही राक्षस को डंसते हुए एक सर्प भी है।
देवी में साक्षात नवग्रहों का वास
देवी दुर्गा की मुख्य प्रतिमा सुनहरे पीले रंग की होती है जो सूर्य का प्रतीक है और मनुष्य को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करती है। देवी दुर्गा का वाहन श्वेत सिंह चंद्रमा का प्रतीक है। सिंह का खुला मुंह राहु और सिंह की पूंछ केतु की प्रतीक है। भगवान गणेश सिद्धि और बुद्धि के दाता हैं जो ग्रह बुध का प्रतिनिधित्व करते हैं। देव सेना के सेनापति भगवान कुमार मंगल के प्रतीक हैं। देवी लक्ष्मी में बृहस्पति का वास है जो सुख, समृद्धि और प्रतिष्ठा प्रदान करते हैं। सरस्वती शुक्र का प्रतिनिधित्व करती हैं जिसका संबंध संगीत, कला से है। राक्षस को काटते हुए सर्प शनि का प्रतीक है, जो जहर के समान है।
दुर्गा साधना से पाएं नवग्रहों की अनुकूलता
देवी दुर्गा की साधना में मंत्रों का बड़ा महत्व है। दुर्गा साधना में मन के साथ तन की शुद्धता भी अत्यंत आवश्यक होती है। दुर्गा मंत्र के माध्यम से नवग्रह को प्रसन्न करने के लिए ऊं ह्रीं दुं दुर्गायै नमः मंत्र का नवरात्रि में आठ हजार बार जाप करें। इससे ग्रह बाधा दूर होती है और मानसिक सुख शांति प्राप्त होती है। दुर्गा यंत्र से बना पेंडेंट गले में धारण करेन से भी नकारात्मक शक्तियां और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
बुध और बृहस्पति से संबंधित परेशानियां
यदि कुंडली में बुध और बृहस्पति से संबंधित परेशानियां आ रही है तो नदी में दुर्गा की स्वर्ण से बनी प्रतिमा प्रवाहित की जाती है। यदि चंद्र और शुक्र पीड़ा दे रहे हों तो दुर्गा की चांदी से बनी प्रतिमा प्रवाहित करें। तांबे से बनी प्रतिमा या दुर्गा यंत्र प्रवाहित करने से ग्रहों के बुरे प्रभाव नष्ट होते हैं। मिट्टी से बनी प्रतिमा प्रवाहित करने से मंगल दोष और लोहे से बनी प्रतिमा प्रवाहित करने से राहु-केतु की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
दुर्गा को लाल चुनरी और सिंदूर
- सूर्य और मंगल पीड़ा दे रहे हों तो दुर्गा को लाल चुनरी और सिंदूर अर्पित करें।
- दुर्गा यंत्रों के जरिए भी ग्रहों की बाधा से बचा जा सकता है।
- नवरात्रि में कन्याओं, गरीब बच्चों को भोजन करवाने, उन्हें दान-दक्षिणा देने से नवग्रहों की अनुकूलता प्राप्त होती है।