Must Read: जानिए गणेश-विसर्जन का अर्थ, महत्व और कारण
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नई दिल्ली। पूरा देश इस वक्त गणेश उत्सव में डूबा हुआ है, 25 अगस्त से शुरू हुआ ये उत्सव 5 सितंबर को समाप्त होने जा रहा है यानी कि 5 सितंबर को गणेश-विसर्जन होगा।
यहां जानिए गणेश-विसर्जन का शुभ मुहूर्त और समय
वैसे तो गणपति कहीं एक दिन, कहीं 3 दिन, कहीं 5, 7 दिन या कहीं पूरे 10 दिन तक विराजते हैं, लेकिन गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ गणेश उत्सव अनंत चतुर्दशी के दिन ही खत्म होता है और इस दिन तक गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन हर दशा में हो जाना चाहिए।
क्या है 'विसर्जन'?
'विसर्जन' शब्द संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है कि 'पानी में विलीन होना', ये सम्मान सूचक प्रक्रिया है इसलिए घर में पूजा के लिए प्रयोग की गई मूर्तियों को विसर्जित करके उन्हें सम्मान दिया जाता है।
गणेश 'विसर्जन का मतलब
गणेश 'विसर्जन ये सिखाता है कि मिट्टी से जन्में शरीर को मिट्टी में ही मिलना है। गणेश जी की प्रतिमा मिट्टी से बनती है और पूजा के बाद वो मिट्टी में मिल जाती है। गणेश जी को मूर्त रूप में आने के लिए मिट्टी का सहारा लेना पड़ता है, मिट्टी प्रकृति की देन है लेकिन जब गणेश जी पानी में विलीन होते हैं तो मिट्टी फिर प्रकृति में ही मिल जाती है। मतलब ये कि जो लिया है उसे लौटाना ही पड़ेगा, खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जाना पड़ेगा।
ऊपर वाला तो निराकार...
ये धर्म और विश्वास की बात है कि हम गणेश जी को आकार देते हैं लेकिन ऊपर वाला तो निराकार है और सब जगह व्याप्त है लेकिन आकार को समाप्त होना पड़ता है इसलिए 'विसर्जन' होता है।
जन्म का त्याग करना पड़ेगा
'विसर्जन ये सिखाता है कि इंसान को अगला जन्म पाने के लिए इस जन्म का त्याग करना पड़ेगा। गणेश जी की मूर्ति बनती है, उसकी पूजा होती है लेकिन फिर उन्हें अगले साल आने के लिए इस साल विसर्जित होना पड़ता है। जीवन भी यही है, अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कीजिये और समय समाप्त होने पर अगले जन्म के लिए इस जन्म को छोड़ दीजिये।
मोह-माया को त्यागो
'विसर्जन' ये सिखाता है कि सांसरिक वस्तुओं से इंसान को मोह नहीं होना चाहिए क्योंकि इसे एक दिन छोड़ना पड़ेगा। गणेश जी घर में आते हैं, उनकी पूजा होती है और उसके बाद मोह-माया बिखेरकर वो हमसे विदा हो जाते हैं ठीक उसी तरह जीवन भी है, इसे एक दिन छोड़कर जाना होगा इसलिए इसके मोह-माया नहीं फंसना चाहिए।