Mauni Amavasya 2020: पिता-पुत्र ग्रह रहेंगे एक ही राशि में
नई दिल्ली। माघ मास में आने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस बार मौनी अमावस्या के साथ महत्वपूर्ण संयोग बन रहे हैं जो इस दिन व्रत, उपवास, दान-पुण्य और पवित्र नदियों में स्नान करने वालों को करोड़ों गुना अधिक फल प्रदान करेंगे। भारतीय वैदिक पंचांग के अनुसार मौनी अमावस्या 24 जनवरी 2020 शुक्रवार को आ रही है। इस दिन सूर्य श्रवण नक्षत्र में रहेंगे और सबसे खास बात यह है कि इसी दिन शनि का राशि परिवर्तन भी हो रहा है। शनि ढाई साल के बाद अपनी राशि बदल रहे हैं और मकर राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। मकर राशि में 14 जनवरी से सूर्य ने भी प्रवेश किया है। सूर्य और शनि में पिता-पुत्र का संबंध होता है और दोनों एक-दूसरे के शत्रु भी माने गए हैं। तो मकर राशि में इन दोनों ग्रहों का इकट्ठा होना अनेक बड़े परिवर्तन करने वाला साबित होगा। मौनी अमावस्या पर दान-पुण्य और पवित्र नदियों में स्नान का बड़ा महत्व है।
मौनी अमावस्या का महत्व
शास्त्रीय मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा, यमुना, नर्मदा आदि सप्त पवित्र नदियों का जल अमृत बन जाता है। इसलिए माघ स्नान के लिए मौनी अमावस्या विशेष होती है। इस दिन व्रती को मौन धारण करते हुए दिन भर मुनियों जैसा आचरण करना चाहिए। साधु, संत, ऋषि, महात्मा सभी प्राचीन समय से प्रवचन सुनाते रहे हैं कि मन पर नियंत्रण रखना चाहिये। मन बहुत तेज गति से दौड़ता है। मौनी अमावस्या का भी यही उद्देश्य है कि इस दिन मौन व्रत धारण कर मन को संयमित किया जाए। मन ही मन ईश्वर के नाम का स्मरण करें। यह एक प्रकार से मन को साधने की यौगिक क्रिया भी है। मान्यता यह भी है कि यदि किसी के लिए मौन रहना संभव न हो तो वह अपने विचारों में किसी भी प्रकार की मलिनता न आने दे, किसी के प्रति कोई कटुवचन न कहे तो भी मौनी अमावस्या का व्रत उसके लिए सफल होता है। इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु व भगवान शिव की पूजा करें।
यह पढ़ें: Mauni Amavasya 2020: नवग्रहों की शांति के लिए करें कुछ खास उपाय
मौनी अमावस्या पर दान का महत्व
दान-पुण्य, पितृ तर्पण, कालसर्प दोष शांति, शनि दोष की शांति, ग्रहण दोष, नाग दोष आदि दुर्योगों की शांति के लिए मौनी अमावस्या खास दिन होता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके उनके तट पर किसी योग्य पुरोहित से दोष से संबंधित पूजन करवाया जाए तो उस दोष से मुक्ति अवश्य मिलती है। पितरों की शांति के लिए इस दिन गया में बड़े पैमाने पर पिंड दान, तर्पण आदि क्रिया करवाई जाती है। इस दिन गरीबों को भोजन करवाने, वस्त्र दान करने, अन्न दान करने, गायों को चारा खिलाने, परिंदों को दाना खिलाने से हजारों गुना अधिक पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सूर्य-शनि का एक ही राशि में आना
सूर्य इस समय मकर राशि में चल रहे हैं और इसी राशि में 24 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन शनिदेव भी आ रहे हैं। इसके प्रभाव से जातकों के पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए इस दिन सूर्य और शनिदेव की विशेष आराधना करें। सुबह सूर्य को अर्घ्य देकर शिवलिंग का कच्चे दूध और जल से अभिषेक करें। शनि मंदिर जाएं। शनिदेव का तैलाभिषेक करें। भिखारियों, कोढि़यों, दिव्यांगों को भोजन, वस्त्र भेंट करें।
- अमावस्या तिथि प्रारंभ 23 जनवरी को रात्रि 2.16 बजे से
- अमावस्या तिथि समाप्त 24 जनवरी को रात्रि 3.11 बजे तक
यह पढ़ें: Vivah Muhurat 2020: ये हैं साल 2020 के शुभ-विवाह मुहूर्त