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7 मई से बदलेगी ग्रहों की चाल, 22 जून तक पड़ेगा जनजीवन पर असर

By Pt.gajendra Sharma
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नई दिल्ली। 7 मई से 22 जून 2019 तक मंगल, शनि, राहु और गुरु के कारण तीन-तीन अनिष्टकारी और भयानक अशुभ योग बनने वाले हैं। इन दुर्योगों का असर न केवल प्रत्येक मनुष्य पर होने वाला है बल्कि प्रकृति, पर्यावरण, देश और विदेशों के लिए भी अनिष्टप्रद साबित होने वाला है। 7 मई 2019 मंगलवार को प्रातः 6 बजकर 54 मिनट पर मंगल के मिथुन राशि में प्रवेश करने के साथ ही अशुभ योग शुरू हो जाएंगे। मंगल 22 जून 2019 शनिवार को रात्रि 11 बजकर 23 मिनट पर इसी राशि में रहेगा, उसके बाद कर्क राशि में प्रवेश कर जाएगा। 47 दिन मंगल का मिथुन राशि में गोचर तीन-तीन अशुभ योग का निर्माण कर रहा है। ये तीन दुर्योग हैं गुरु-मंगल का षडाष्टक योग, शनि-मंगल का समसप्तक योग और राहु-मंगल की युति से अंगारक योग।

षडाष्टक योग

षडाष्टक योग

7 मई से 22 जून तक मंगल और गुरु का षडाष्टक योग बन रहा है। षडाष्टक योग एक प्रकार का भकूट दोष होता है। अर्थात जब दो राशियों के बीच की दूरी का संबंध 6-8 का हो जाता है तो यह षडाष्टक योग कहलाता है। गोचर में मंगल मिथुन राशि में रहेगा और गुरु वृश्चिक राशि में। इस प्रकार मंगल से गुरु छठा और गुरु से मंगल आठवां होने के कारण षडाष्टक योग बना है। मंगल और गुरु परस्पर शत्रु ग्रह हैं। इस योग के कारण लोगों में सात्विक गुणों का ह्रास हो जाता है और राजसी और तामसिक गुणों का समावेश हो जाता है। जातक व्यसनी हो जाता है। अनेक लंबी बीमारियों का कारण भी यह योग है। इस योग के कारण मनुष्यों में रोगों की प्रधानता हो जाती है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और रक्त की कमी हो जाती है। इससे कई रोग हो जाते हैं। जातक मानसिक रूप से परेशान हो जाता है। सारे कार्य अटक जाते हैं। अच्छे भले चलते हुए कार्यों में बाधा आने लगती है। पैसों की कमी होने लगती है। व्यक्ति कर्ज में फंस जाता है। कहा जाता है इसी गुरु-मंगल के योग के कारण भगवान राम को भी 14 वर्ष वनवास भोगना पड़ा था।

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शनि-मंगल समसप्तक योग

शनि-मंगल समसप्तक योग

दूसरा खतरनाक योग शनि-मंगल का समसप्तक योग बन रहा है। 7 मई से मंगल के मिथुन राशि में गोचर करने से यह योग बन रहा है। मंगल से शनि सप्तम और शनि से मंगल भी सप्तम स्थान में रहने के कारण समसप्तक योग बन रहा है। शनि और मंगल परस्पर एक-दूसरे के सम ग्रही कहलाते हैं। यह योग प्रत्येक राशि वालों को आर्थिक रूप से बुरी तरह नुकसान पहुंचाने वाला है। इस योग के प्रभाव से शनि और मंगल की महादशा, मंगल दोष, शनि की साढ़ेसाती या ढैया जिन लोगों को चल रहा हो उन्हें भयंकर वाद-विवाद, दुर्घटना आदि के योग बनेंगे। बीमारियों पर खर्च होगा।

राहु-मंगल का अंगारक योग

राहु-मंगल का अंगारक योग

राहु पहले से ही मिथुन राशि में चल रहा है। इसी राशि में मंगल के आ जाने से राहु-मंगल की युति बन रही है। राहु-मंगल के कारण गोचर में अंगारक योग का निर्माण हो गया है। इस योग के प्रभाव से लोगों में क्रोध की प्रधानता हो जाएगी। जरा-जरा सी बातों पर वाद-विवाद बढ़ेंगे। निर्णय क्षमता प्रभावित होगी। यह योग अग्नि का कारक ग्रह है। इसके प्रभाव से दुर्घटनाएं, आगजनी, युद्ध जैसी स्थिति बनेगी।

कैसे बचें इन दुर्योगों से

कैसे बचें इन दुर्योगों से

  • तीन-तीन हानिकारक दोषों से बचने के लिए अपने गुरुजनों की सेवा करें। यदि किसी गुरु से मंत्र दीक्षा ली है तो उसका जाप प्रतिदिन करें।
  • जिन लोगों के पास गुरुमंत्र नहीं है वे लोग भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र ऊं नमः शिवाय की एक माला प्रतिदिन जाप करें।
  • मंगल यंत्र को घर में रखकर नियमित पूजा करें।
  • संभव हो तो 7 मई से 22 जून के बीच एक बार उज्जैन स्थित मंगलनाथ मंदिर में जाकर पूजा करवाएं।
  • प्रत्येक मंगलवार को काले पत्थर के शिवलिंग पर दो मुट्ठी मसूर की दाल अर्पित करें। इससे आर्थिक संकटों का समाधान होगा।
  • हनुमान जी की आराधना दुर्योगों से रक्षा करती है। प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें और शाम के समय हनुमान मंदिर में आटे के पांच दीपक जलाएं।
  • भगवान शिव को प्रतिदिन एक लोटा जल में गाय का कच्चा दूध मिलाकर चढ़ाएं।
  • भगवान शिव को प्रतिदिन एक मुट्ठी चावल अर्पित करें।
  • गरीबों की सेवा करें। जरूरतमंदों को भोजन करवाएं। उनकी जरूरत की वस्तुएं दान करें।

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Comments
English summary
Mars will transit in the sign of Gemini from 7th May 2019 to 22nd June 2019. This transitory movement of Mars in the Zodiac Belt will be very crucial as far as affecting the lives of countless people is concerned.
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