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महाशिवरात्रि 2017: भगवान शंकर को क्यों प्रिय है चतुर्दशी तिथि?

उपवास से जहां तन की शुद्धि होती है, वहीं पूजन व अर्चना से मानसिक उर्जा प्राप्त होती है।

By पं. अनुज के शुक्ल
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लखनऊ। स्कन्द पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि सभी व्रतों में सर्वोपरि है। विधि-विधान से शिवजी का पूजन और रात्रि जागरण का विशेष महत्व वर्णित है। उपवास से जहां तन की शुद्धि होती है, वहीं पूजन व अर्चना से मानसिक उर्जा प्राप्त होती है और रात्रि जागरण से स्वंय का आत्म साक्षात्कार होता है। ईशान सहिंता के अनुसार-फाल्गुन चतुर्दशी की अर्द्धरात्रि में भगवान शंकर लिंग के रूप में अवतरति हुए थे। चतुर्दशी तिथि के महानिशीथ काल में महेश्वर के निराकार ब्रहम स्वरूप प्रतीक शिवलिंग का अविभार्व होने से भी यह तिथि महाशिवरात्रि के नाम से विख्यात हो गयी। महाशिवरात्रि ( 24 फरवरी 2017): पूजा करने का मुहूर्त एवं समय

महाशिवरात्रि 2017: भगवान शंकर को क्यों प्रिय है चतुर्दशी तिथि?

भगवान शंकर को क्यों प्रिय है चतुर्दशी तिथि

भगवान शंकर को क्यों प्रिय है चतुर्दशी तिथि

आशुतोष भगवान शंकर की यह विशेष प्रिय तिथि है और शिव के उपासकों के लिए इस तिथि की विशेष महिमा है। हमारे देश में भगवान शिव के चौदह ज्योर्तिलिंग है, और उन सब मन्दिरों में शिवरात्रि के दिन विशेष पूजन-अर्चन कर भोले बाबा को प्रसन्न किया जाता है। जिस दिन अर्द्धरात्रि में चतुर्दशी हो, उसी दिन शिवरात्रि का व्रत रखना चाहिए। यह व्रत रविवार, मंगलवार और शिव योग होने पर अत्यन्त प्रशस्त माना गया है। जो व्यक्ति शिवरात्रि को निर्जला व्रत रखकर रात्रि जागरणकर रात्रि के चारों प्रहर में चार बार पूजन व आरती करते है। उन जातकों पर शिव जी की विशेष अनुकम्पा बनी रहती है।

विशेष

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1-जिन जातकों का चन्द्र ग्रह पीडि़ति होकर अशुभ फल दे रहा हो एंव मॉ से वैचारिक मतभेद बना रहता हो। वह लोग शिवरात्रि के दिन पंचाअमृत से शिव जी का अभिषेक करें।
2-सन्तान की चाह रखने वाले जातक शिवरात्रि के दिन रूद्राभिषेक करें या शिवपुराण का पाठ करायें तो, अवश्य लाभ मिलेगा।

विशेष

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3-शिवरात्रि के दिन जौ, तिल तथा खीर से 108 आहुतियॉ महामृत्युजंय मन्त्र से देने पर पूरे वर्ष घर में सुख व समृद्धि बनी रहती है।
4-भगवान शिव को कर्पूर की सुगन्ध अत्यन्त प्रिय है। कर्पूर वातावरण से नकारात्मक उर्जा को हटाकर सकारात्मक उर्जा को प्रवाहित करता है, जिससे वातावरण शुद्ध होता है। अतः शिव पूजन के समय कर्पूर अवश्य जलायें।

विशेष

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5-समुद्र मन्थन के दौरान शिव ने विष धारण किया था जिससे उनका शरीर गर्म और कंठ नीला पड़ गया था। इस कारण देवताओं ने शिव जी पर जल चढ़ाया जाता है। ताकि भोले बाबा के शरीर को ठंडक पहुंचे। तभी से शिव जी पर जल चढ़ाने की परम्परा चली आ रही है।

विशेष

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6-अगर आप शिवरात्रि पर भोले बाबा से कोई मनोकामाना पूरी होने की प्रार्थना करते है तो शिव जी पर ऑकड़े का फूल जरूर चढ़ाये। पुराणों में शिव पूजा में एक ऑकड़े का फूल चढ़ाना सोने के दान के बराबर पुण्य मिलता है।

English summary
The legend of marriage of Shankara and Parvati is one the most important legends, related to the festival of Mahashivaratri.
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