महाशिवरात्रि 4 मार्च को, सोमवार और सर्वार्थसिद्धि योग का शुभ संयोग
नई दिल्ली। भगवान शिव को प्रसन्न करने का वर्ष का सबसे शुभ दिन महाशिवरात्रि 4 मार्च 2019 को आ रही है। इस दिन सोमवार और सर्वार्थसिद्धि योग होने के कारण विशेष शुभ संयोग बन रहे हैं जो सभी कार्यों में सफलता, धन, संपत्ति, सुख, प्रेम प्रदान करेंगे। इस दिन यदि कुछ विशेष प्रयोग किए जाएं तो सफलता मिलना निश्चित है। शिव महापुराण के कथन के अनुसार महाशिवरात्रि पर सायंकाल सूर्यास्त से रात्रि के प्रत्येक प्रहर में शिवजी की विशेष पूजा की जाना चाहिए। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव के अलग-अलग स्वरूप की पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त करने का विधान बताया गया है। महाशिवरात्रि पर सायंकाल से लेकर रात्रि के चारों प्रहर में अलग-अलग पूजा की जाती है। यह पूजा किसी विशेष मनोरथ को पूरा करने का संकल्प लेकर प्रारंभ की जाए तो उसमें शीघ्र ही सफलता मिलती है और मनोरथ पूर्ण होता है।
प्रथम प्रहर:
महाशिवरात्रि पर उज्जैन के समय के अनुसार सूर्यास्त सायं 6.28 बजे होगा। इसी समय से रात्रि का प्रथम प्रहर प्रारंभ होगा। प्रथम प्रहर में भगवान शिव के भोलेनाथ स्वरूप की पूजा की जाती है। पूजा से पूर्व स्नान करें और साफ स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण करें। इसे बार अपनी किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए संकल्प लें। अपने पूजा स्थान में एक चौकी पर श्वेत वस्त्र बिछाकर उस पर शिव परिवार का चित्र स्थापित करें। चित्र के स्थान पर बालूरेत से शिवलिंग बनाकर पूजन किया जा सकता है। शिव महिम्नस्तोत्र के मंत्रों से शिवपूजन करें। बेल, धतूरा, आंकड़े के पुष्प अर्पित करें। दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। 2 रूद्राक्ष की माला पूजा में रखें। एक से ऊं नमः शिवाय मंत्र की 11 या 21 माला जाप करें और दूसरी माला को अपने गले में धारण करें।
दूसरा प्रहर:
रात्रि का दूसरा प्रहर रात्रि 9.33 से प्रारंभ होगा। इसमें भगवान शिव के आशुतोष स्वरूप का ध्यान करते हुए पूजन करें। इसमें पूजा प्रथम प्रहर के अनुसार ही होगी, लेकिन इसमें रूद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र की 5 या 11 माला जाप करना है। इसके बाद शिव को देसी घी से बने हलवे का नैवेद्य लगाएं।
तीसरा प्रहर:
तीसरा प्रहर मध्यरात्रि में 12 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होगा। इस प्रहर में भगवान शिव के अघोर स्वरूप का पूजन किया जाता है। इसमें शिव तांडव स्तोत्र के सस्वर 11 पाठ किए जाते हैं और उन्हें भोग में भांग अर्पित की जाती है।
चौथा प्रहर:
महाशिवरात्रि की रात्रि का चतुर्थ प्रहर अपररात्रि 3 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ होगा। इसमें शिव के सौम्य स्वरूप का ध्यान करते हुए पूजा करना है। यह अंतिम प्रहर है इसलिए इसमें पूजन का समापन किया जाता है। इसमें पंचामृत से रूद्राभिषेक किया जाता है और महामृत्युंजय मंत्र की 108 आहूतियों से हवन संपन्न करें। नैवेद्य में गाय के ताजे दूध से बनी खीर का भोग लगाएं।