Mahashivratri 2018: जानिए भोले बाबा के कितने हैं अवतार और क्या है उनका महत्व
इस महाशिवरात्रि के अवसर पर जानते है कि बाबा भोले के कितने अवतार है और उनका क्या महत्व है। शक्ति और साधना के प्रतीक शिव के 28 अवतारों का उल्लेख पुराणों में मिलता है, किन्तु उनमें से 10 अवतारों की प्रमुखता से चर्चा होती है। जो निम्न प्रकार से है-
नई दिल्ली। शिवरात्रि के दिन शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। यानि आकाश और पृथ्वी का मिलन। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का अंश प्रत्येक शिव लिंग में रात्रि-दिन रहता है। शिवपुराण के अनुसार सृष्टि के निर्माण के समय महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि में शिव अपने रूद्र रूप में प्रकट हुये थे। महाशिवरात्रि के दिन मानव शरीर में प्राकृतिक रूप से ऊर्जा ऊपर की ओर चढ़ती है।
भोले बाबा के भक्तों को महाशिवरात्रि का बेसब्री से इन्तजार रहता है। इस बार शिवरात्रि को लेकर पंचांगों में कुछ मतभेद नजर आ रहे है। वैसे तो शिवरात्रि चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है, लेकिन इस बार कुछ स्थानों पर शिवरात्रि 13 फरवरी को मनाई जायेगी और कुछ जगहों पर 14 फरवरी को मनाई जायेगी। आईये इस महाशिवरात्रि के अवसर पर जानते है कि बाबा भोले के कितने अवतार है और उनका क्या महत्व है। शक्ति और साधना के प्रतीक शिव के 28 अवतारों का उल्लेख पुराणों में मिलता है, किन्तु उनमें से 10 अवतारों की प्रमुखता से चर्चा होती है। जो निम्न प्रकार से है-
1- महाकाल- शिव का पहला अवतार महाकाल को माना जाता है। इस अवतार की शक्ति माॅ काली है। उज्जैन में महाकाल नाम से ज्योतिर्लिंग प्रसिद्ध है।
2- तारा- शिव का दूसरा अवतार तारा नाम से प्रसिद्ध है। इस अवतार शक्ति की तारा देवी मानी जाती है। यह स्थान पश्चिम बंगाल के बीरभूमि में द्वारिका नदी के पास महाशमशान में स्थित है।
3- बाल भुवनेश्वर- दस महाविद्या में से एक माता भुवनेश्वरी की शक्ति पीठ उत्तरांचल में स्थित है जो शिव के तीसरे अवतार के रूप में प्रसद्धि है।
4-षोडश श्री विद्येश- दस महाविद्याओं में तीसरी महाविद्या भगवती षोडशी है, जो त्रिपुरा के उदयपुर के निकट राधाकिशोरपुर गाॅव के माताबाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दाॅया पैर गिरा था। यह स्थान शिव के चैथे अवतार के रूप में प्रसिद्ध है।
5- भैरव- शिव का पाॅचवां रूद्रावतार भैरव सबसे अधिक विख्यात है। जिन्हे काल भैरव कहा जाता है। उज्जैन की शिप्रा नदी तट स्थित भैरव पर्वत पर माॅ भैरवी शक्ति के नाम से प्रचलित है। यहाॅ पर माॅ के ओंठ गिरे थे।
6- छिन्नमस्तक- छिन्नमस्तिका मन्दिर तांत्रिक पीठ के नाम से विख्यात है। यह झारखण्ड की राजधानी राॅची से 75 किमी दूर रामगढ़ में स्थित है। रूद्र का छठा अवतार छिन्नमस्तक नाम से प्रसिद्ध है।
7- द्यूमवान- धूमावती मन्दिर मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित प्रसद्धि शक्ति पीठ पीताम्बरा पीठ के प्रागंण में स्थित है। पूरे भारत में धूमावती के नाम से एकमात्र मन्दिर है। यह शक्ति पीठ रूद्र के सातवें अवतार के रूप में प्रसद्धि है।
8- बगलामुखी- दस महाविद्याओं में से बगलामुखी के तीन प्रसिद्ध शक्ति पीठ है। 1- हिमाचल में कांगड़ा में बगलामुखी मन्दिर। 2- मध्यप्रदेश के दतिया जिले में बगलामुखी मन्दिर। 3- मध्य प्रदेश के शाजापुर में स्थित बगलामुखी मन्दिर। शिव का आठवा रूद्र अवतार बगलामुखी नाम से प्रचलित है।
9- मातंग- शिव के नौंवे अवतार के रूप में मातंग प्रसिद्ध है। मातंगी देवी अर्थात राजमाता दस महाविद्याओं के देवी है और मोहकपुर की मुख्य अधिष्ठा है।
10- कमल- शिव का दसवां अवतार कमल नाम से प्रसद्धि है। इस अवतार की शक्ति माॅ कमला देवी है।
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