Mahalaxmi Vrat 2019: अतुलनीय धन-धान्य की प्राप्ति का शुभ दिन 'धान्य लक्ष्मी व्रत'
नई दिल्ली। लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए हिंदू धर्मशास्त्रों में अनेक प्रकार के व्रत-पर्वों का वर्णन मिलता है, उन्हीं में से एक है धान्य लक्ष्मी व्रत। यह व्रत मुख्यतः दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में किया जाता रहा है, लेकिन व्रत की प्रभाव क्षमता के कारण अब यह अन्य राज्यों में भी समान भावना से किया जाता है।
धान्य लक्ष्मी व्रत 15 नवंबर को...
धान्य लक्ष्मी व्रत मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष के प्रथम शुक्रवार को किया जाता है। इस वर्ष यह शुक्रवार 15 नवंबर को आ रहा है। इस दिन संकष्टी चतुर्थी का संयोग होने के कारण यह दिन और भी शुभकारी बन गया है।
आइए जानते हैं कैसे किया जाता है यह व्रत...
कैसे करें पूजन
- धान्य लक्ष्मी व्रत के लिए सूर्योदय पूर्व उठकर पवित्र नदियों के जल का समावेश करके स्नान करें। शुद्ध-स्वच्छ सफेद रेशमी वस्त्र धारण करें।
- स्त्रियां सिल्क की साड़ी और पुरुष सिल्क की धोती-कुर्ता पहनें और व्रत का संकल्प लें।
- इस व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोष काल में की जाती है।
- इसके लिए अपने घर के पूजा स्थान को साफ कर एक चौकी पर लाल रेशमी वस्त्र बिछाएं।
- इस वस्त्र के मध्य में चावल की एक बड़ी सी ढेरी बनाएं और उस पर मिट्टी का कलश स्थापित करें।
- कलश के आसपास लाल गुलाब के पुष्पों की माला सजाएं। कलश के उपर कमलगट्टे की माला भी सजाएं।
- कलश को मिश्री से पूरा भर दें और इसके लाल वस्त्र रखकर मिट्टी के ढक्कन से बंद कर दें।
- इसके उपर मां लक्ष्मी की धातु या मिट्टी की प्रतिमा स्थापित करें।
- अब षोडशोपचार से पूजा करें। मां लक्ष्मी को गुलाब के पुष्प अर्पित करें।
- हलवे का नैवेद्य लगाएं और कमलगट्टे की माला से मंत्र ।। ऊं श्रीं श्रीये नमः।। की सात माला जाप करें।
- आरती करके प्रसाद वितरण करें।
- इसके बाद व्रत खोलें। प्रसाद ग्रहण करें और भोजन कर सकते हैं।
व्रत का प्रभाव
धान्य लक्ष्मी व्रत उन लोगों को अवश्य करना चाहिए जिनका जीवन अभावों में गुजर रहा है। जिन्हें आर्थिक संकट बना हुआ है। लाख कोशिश के बाद भी तरक्की नहीं हो पा रही है, उन्हें इस व्रत का संकल्प लेकर विधि विधान से अवश्य करना चाहिए। इससे समस्या का निवारण होता है और घर में धन-धान्य की वर्षा होने लगती है।
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