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Maha Shivratri 2020: महाशिवरात्रि पर करें इस तरह से पूजा, मिट जाएंगे सारे दोष

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। वैदिक ज्योतिष में ऐसे अनेक दुर्योगों का वर्णन मिलता है, जिनके जन्मकुंडली में मौजूद होने पर व्यक्ति का संपूर्ण जीवन कष्टमय हो जाता है। इन दोषों की उपस्थिति में जातक के जीवन में तरक्की रूक जाती है, वह हर दम आर्थिक संकटों का सामना करता रहता है, जिस भी काम में हाथ डालता है वह असफल रहता है, शारीरिक रोगों से ग्रसित होता है। ये दोष हैं नाग दोष, ग्रहण दोष, कालसर्प दोष, मृत्यु दोष, व्याधि दोष। ये पांच दोष ऐसे हैं, जिनके निवारण की पूजा यदि महाशिवरात्रि के दिन की जाए तो एक बार में ही ये दोष नष्ट हो जाते हैं। इस बार महाशिवरात्रि 21 फरवरी 2020 को आ रही है, यह मौका है आपके लिए इन दोषों के निवारण का।

नाग दोष

नाग दोष

वैदिक ज्योतिष में वर्णित सबसे खतरनाक दोषों में से एक है बताया गया है नाग दोष। यह दोष जातक के पूर्व जन्म के कर्मों और उसकी मृत्यु की प्रकृति के अनुसार इस जन्म में बनता है। इस दोष का निर्माण मुख्यत: राहु के कारण होता है क्योंकि राहु का संबंध नाग से होता है। वैदिक ज्योतिष की परिभाषा के अनुसार किसी जातक की जन्मकुंडली में जब राहु या केतु पहले स्थान में चंद्रमा या शुक्र के साथ हों तो उसकी कुंडली में नाग दोष होता है। इस दोष का प्रभाव जातक के जीवन में दोष के कमजोर या बलशाली होने के कारण अलग-अलग होता है। नाग दोष से प्रभावित जातकों के जीवन में कई प्रकार की परेशानियां देखने में आती हैं। जातक को बार-बार दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। संभव है कि उसकी मृत्यु भी दुर्घटना में हो। ऐसे जातक का विवाह होने में अत्यधिक रूकावटें आती हैं, खासकर महिलाओं का विवाह बड़ी ही मुश्किलों के बाद होता है या कई महिलाओं का विवाह तो होता ही नहीं है। नाग दोष से पीड़ित जातकों का विवाह यदि हो भी जाए तो तलाक अवश्य हो जाता है। इन जातकों को स्वप्न में सांप डराते हैं और इसके कारण इनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है।

ग्रहण दोष

जन्मकुंडली में यदि सूर्य या चंद्र के साथ राहु का संबंध हो, सूर्य या चंद्र के साथ राहु बैठा हुआ हों तो ग्रहण दोष का निर्माण होता है। सूर्य के साथ राहु होने पर सूर्य ग्रहण दोष बनता है और चंद्र के साथ होने पर चंद्र ग्रहण दोष होता है। इन दोनों ही प्रकार के दोष की उपस्थित में जातक का जीवन बंध सा जाता है। वह बहुत प्रयासों के बाद भी तरक्की नहीं कर पाता है। ऐसे जातक की सामाजिक प्रतिष्ठा को बड़ा आघात पहुंचता है। ऐसे में इस दोष का जब तक निवारण नहीं किया जाए, तब जीवन बर्बाद ही रहता है।

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कालसर्प दोष

कालसर्प दोष

किसी जन्मकुंडली में जब राहु और केतु के बीच बाकी सभी ग्रह आ जाएं तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है। जन्मकुंडली के बारह भावों में राहु-केतु की अलग-अलग स्थिति के कारण कालसर्प दोष 12 प्रकार का होता है। कालसर्प दोष होने पर जातक को आर्थिक संकटों का सामना बहुत ज्यादा करना पड़ता है। जातक शारीरिक रोगों से ग्रसित होता है। इस दोा की मुक्ति के लिए द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक त्रयंबकेश्वर में पूजा करवाना चाहिए।


मृत्यु दोष

जन्मकुंडली में मृत्यु दोष का संबंध कुंडली के अष्टम भाव से होता है। जब जातक की जन्मकुंडली के अष्टम भाव में अशुभ ग्रह हों या अष्टम का संबंध बुरे ग्रहों से हो तो जातक पर अकाल मृत्यु का खतरा मंडराता रहता है। अलग-अलग अशुभ ग्रहों की उपस्थिति के कारण मृत्यु दोष अनेक प्रकार का हो सकता है, जिसका निवारण महाशिवरात्रि के दिन उस संबंधित अशुभ ग्रह के अनुसार की जाती है।

व्याधि दोष

जन्मकुंडली में व्याधि दोष का संबंध कुंडली के छठे भाव से होता है। इस भाव पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि होने से जातक जीवनभर बीमारियों से घिरा रहता है। इस दोष का जब तक निवारण नहीं कर दिया जाए, जातक बीमार रहता है और बीमारियों पर बहुत खर्च करना होता है।

कैसे करें इन दोषों का निवारण

कैसे करें इन दोषों का निवारण

वैसे तो उपरोक्त वर्णित सभी प्रकार के दोषों के निवारण की अलग-अलग पूजा पद्धतियां हैं लेकिन महाशिवरात्रि एक ऐसा दिन है जिस दिन भगवान शिव से जुड़े उपाय कर लेने से इन समस्त दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है।

  • नाग दोष के निवारण के लिए महाशिवरात्रि के दिन काले पत्थर के शिवलिंग पर गंगाजल मिश्रित कच्चे दूध से शिवाष्टक का पाठ करते हुए अभिषेक करना होता है। शिवाष्टक का पाठ 108 बार किया जाना चाहिए।
  • यदि सूर्य ग्रहण दोष है तो उसके निवारण के लिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करके लाल चंदन का लेप लगाएं और दोष मुक्ति की प्रार्थना करें। चंद्र ग्रहण दोष है तो दही में शकर मिलाकर अभिषेक करें और फिर शुद्ध जल से अभिषेक करके सफेद चंदन का लेप पूरे शिवलिंग पर लगाएं।
  • कालसर्प दोष की मुक्ति के लिए महाशिवरात्रि के दिन किसी ऐसे शिवलिंग पर सर्प लगवाएं जहां पहले से कोई सर्प लगा हुआ ना हो। इसके बाद सवा किलो अक्षत से शिवजी का अभिषेक करें। इस दौरान महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करते रहें।
  • मृत्यु योग सबसे भयंकर दोष होता है। यदि कुंडली में यह दोष मौजूद है तो महामृत्युंजय मंत्र के 1008 पाठ करते हुए पंचामृत से अभिषेक करें।
  • व्याधि दोष के निवारण के लिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का अभिषेक शहद से करें।

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English summary
Maha Shivratri will be observed on February 21 this year.Maha Shivratri (Night of Lord Shiva) is an annual festival that celebrated across India in honour of Lord Shiva.
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