माघ स्नान 21 जनवरी से, पवित्र नदियों में स्नान कर पाएं पुण्य फल
नई दिल्ली। पौष शुक्ल पूर्णिमा 21 जनवरी सोमवार से माघ स्नान शुरू हो रहा है। यह स्नान पूरे माघ माह किया जाता है, यानी माघी पूर्णिमा के दिन तक यह स्नान चलता है। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से माघ स्नान का बड़ा महत्व बताया गया है। इसे मोक्ष प्रदाता कहा गया है। मान्यता है कि माघ मास में प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर स्नान करने से दस हजार अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर फल प्राप्त होता है। माघ मास में प्रात:काल ब्रह्म मूहुर्त में जागकर गंगा, नर्मदा, यमुना आदि पवित्र नदियों में स्नान अवश्य करना चाहिए। इस माह में दान-पुण्य, रोगियों, निशक्तों की सेवा करने से करोड़ों गुना शुभ फल प्राप्त होता है। इन दिनों प्रयागराज में अर्द्धकुंभ भी चल रहा है जिसमें एक बार डुबकी लगाने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति की आध्यात्मिक चेतना जागृत होती है।
माघ माह में स्नान, जप, तप का फल
माघ माह में सूर्य मकर राशि में गोचर करते हैं। इसलिए इस माह का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। इस माह के दौरान हरिद्वार, नासिक, उज्जैन, इलाहाबाद इत्यादि में स्नान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इस माह में स्नान के बाद दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए। इस माह में अपने गुरु या ईष्ट के मंत्रों का जाप करने से आत्मसंयम की प्राप्ति होती है। शरीर से नकारात्मक ऊर्जा निष्कासित हो जाती है। यहां तक कि इस माह में पवित्र नदियों के तट पर निवास करने का भी बड़ा महत्व है। इसे कल्पवास कहा जाता है। पुराणों में कल्पवास का वर्णन मिलता है, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि माघ माह में पवित्र नदियों के तट पर कल्पवास करना चाहिए। इस दौरान संयम, धैर्य और मौन रहते हुए सात्विक जीवन जीना चाहिए।
21 जनवरी को प्रयागराज में शाही स्नान
21 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन से माघ स्नान शुरू होता है। इसी दिन प्रयागराज में चल रहे अर्द्धकुंभ में शाही स्नान होगा। ऐसे पुण्य और पवित्र दिन संगम में डुबकी लगाने का बड़ा महत्व है। डुबकी के बाद अपनी सामर्थ्य और क्षमता के अनुसार दान-पुण्य करें, सिद्ध योगियों-संतों के दर्शन करें। कहा जाता है माघ स्नान के फलस्वरूप ही प्रतिष्ठानपुरी के राजा पुरुरवा को अपनी कुरूपता से मुक्ति मिली थी और उन्होंने दैदीप्यमान काया प्राप्त की थी। इसी स्नान के प्रताप से गौतम ऋषि द्वारा शापित इंद्र भी श्राप मुक्त हुए थे।
घर में भी पाएं पुण्य
यदि आपके आसपास कोई पवित्र नदी ना हो या पवित्र नदियों में स्नान के लिए जाने की आपकी क्षमता ना हो तो घर में भी माघ स्नान के बराबर पुण्य प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए आपके मन में पवित्रता, शुद्धता और श्रद्धा होना आवश्यक है। आप प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में जागकर पवित्र नदियों का जल (गंगाजल लगभग सभी घरों में होता है) डालकर उससे स्नान करें। शुद्ध वस्त्र धारण करने घर के देवी-देवताओं की पूजा करें और यथाशक्ति गरीबों को भोजन करवाएं। गायों को हरा चारा खिलाएं। पक्षियों को दाना डालें। इससे आपको पुण्य फलों की प्राप्ति होगी। इस दिन शिवार्चन और विष्णुपूजा करना पुण्यदायी होता है।