Chandra Grahan 2020: साल का पहला चंद्र ग्रहण आज, चांद का रंग होगा हल्का लाल
नई दिल्ली। साल का पहला चंद्र ग्रहण आज रात लगने वाला है, ये चार घंटे का ग्रहण है, इस दौरान आपको चांद का रंग कुछ देर के लिए हल्के लाल रंग का दिखाई देगा। दरअसल ऐसा पृथ्वी के वातावरण में मौजूद धूल के कणों के चलते होता है, जब सूर्य की किरणें पृथ्वी के एटमॉसफियर और इसमें मौजूद पार्टिकल्स से होकर गुज़रती हैं और इसके रिफ्लेक्शन के चलते चांद का रंग बदल जाता है।
क्या होता है चंद्र ग्रहण
खगोलशास्त्र के मुताबिक चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाए, चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। पूर्ण ग्रहण, आंशिक ग्रहण और खंडच्छायायुक्त ग्रहण। पूर्ण चंद्र ग्रहण में पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चांद की सतह को ढंक देती है, आंशिक ग्रहण में पृथ्वी की छाया चांद की सतह के एक छोटे से भाग को ही ढकती है जबकि खग्रास ग्रहण में पृथ्वी की हल्की सी बाहरी छाया चांद को ढंकती है।
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क्या होता है चंद्र ग्रहण
खगोलशास्त्र के मुताबिक चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाए, चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। पूर्ण ग्रहण, आंशिक ग्रहण और खंडच्छायायुक्त ग्रहण। पूर्ण चंद्र ग्रहण में पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चांद की सतह को ढंक देती है, आंशिक ग्रहण में पृथ्वी की छाया चांद की सतह के एक छोटे से भाग को ही ढकती है जबकि खग्रास ग्रहण में पृथ्वी की हल्की सी बाहरी छाया चांद को ढंकती है।
चंद्र ग्रहण 2020 का समय
- ग्रहण काल शुरू होने का समय : 10 जनवरी की रात 10:39 से
- ग्रहण काल का मध्य : 12:39 ए एम बजे
- ग्रहण खत्म होने का समय : 2:40 ए एम बजे
कहां-कहां दिखेगा
एशिया, भारत, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका।
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उपच्छाया चंद्र ग्रहण का प्रभाव नहीं
10-11 जनवरी 2020 की मध्यरात्रि में होने वाले चंद्र ग्रहण का कोई प्रभाव किसी भी मनुष्य और प्रकृति पर नहीं होगा और ना ही इससे किसी प्रकार का दोष लगेगा। यह मात्र उपच्छाया चंद्र ग्रहण है, जिसका कोई सूतक नहीं लगेगा, हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण को एक प्रमुख घटना माना जाता है, जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि जो चंद्र ग्रहण नग्न आंखों से स्पष्ट दिखाई ना दे तो उस ग्रहण का कोई धार्मिक महत्व नहीं होता है। मात्र उपच्छाया वाले चंद्र ग्रहण नग्न आंखों से दिखाई नहीं देते हैं, इसलिए हिंदू पंचांगों में भी ऐसे चंद्र ग्रहणों का वर्णन नहीं किया जाता है और ग्रहण से संबंधित कोई कर्मकांड भी नहीं किया जाता है।
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