Lunar Eclipse 2020: जानिए चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या ना करें ?
नई दिल्ली। 5 जून को उपच्छाया या पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण है, धर्म के जानकारों का कहना है कि इसके लिए कोई सूतक नहीं लगेगा लेकिन ग्रहण को मानने वाले हर नियम का पालन करते हैं, लोग इस दौरान कुछ खास बातों का ख्याल रखते हैं, वैसे आपको बता दें कि चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण से 9 घंटे पहले लगता है और इस दौरान जिन बातों का खास ख्याल रखा जाता है, आइए जानते हैं उसके बारे में विस्तार से।
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ये काम नहीं करने चाहिए...
- ग्रहण काल में भोजन न करें।
- गर्भवती स्त्रियां बाहर न निकलें।
- सहवास न करें, झूठ न बोलें और ना ही सोए।
- पूजा स्थल को स्पर्श ना करें ।
- मांस-मदिरा का सेवन ना करें।
- प्याज-लहसुन भी ना खाएं।
- झगड़ा-लड़ाई से बचें।
- प्रभु का ध्यान करें।
- ग्रहण-काल में तुलसी के पौधे को नहीं छूना चाहिए बल्कि दूर से तुलसी के पास एक तेल का दीपक जलाकर रखना चाहिए।
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ग्रहण काल में करें ये काम
ग्रहण काल के दौरान भगवान का ध्यान करना चाहिए और कुछ मंत्रों का जाप करना चाहिए जो कि निम्नलिखित हैं...
- हनुमान जी का मंत्र- ऊं रामदूताय नम:
- भगवान विष्णु का मंत्र- ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:
- महादेव का जाप: ऊं नम: शिवाय
- श्रीकृष्ण मंत्र- क्लीं कृष्णाय नम: श्रीराम का जाप: सीताराम
कब लगेगा ग्रहण और कहां दिखेगा
चंद्र ग्रहण 5 जून की रात को 11 बजकर 16 मिनट से शुरू हो जाएगा। फिर 6 जून की रात को 2 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। यह चंद्रग्रहण दुनिया के कुछ हिस्सों में थोड़े समय के लिए ही दिखाई देगा। अधिकांश एशिया (भारत सहित), ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण / पूर्व दक्षिण अमेरिका, यूरोप, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर और अंटार्कटिका के अधिकांश हिस्से में स्काईवॉचर्स कल प्रायद्वीपीय चंद्र ग्रहण देख सकते हैं।
कब लगता है उपच्छाया चंद्रग्रहण
उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी की परिक्रमा करने के दौरान चंद्रमा पेनुम्ब्रा से हो कर गुजरता है। ये पृथ्वी की छाया का बाहरी भाग होता है। इस दौरान, चंद्रमा सामान्य से थोड़ा गहरा दिखाई देता है।
क्या होता है चंद्र ग्रहण
खगोलशास्त्र के मुताबिक चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाए, साथ ही ऐसी स्थिति में भी चंद्र ग्रहण माना जाता है जब पृथ्वी की छाया से चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक जाती है। इस स्थिति में पृथ्वी सूर्य की किरणों को चंद्रमा तक नहीं पहुंचने देती है। इस वजह से पृथ्वी के उस हिस्से में चंद्र ग्रहण नजर आता है।
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